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Yes Bank-DHFL Case: कोर्ट ने दो कारोबारियों के खिलाफ आरोपपत्र पर विचार करने से किया इनकार,कहा- आरोप ठोस नहीं
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई।
Published by: निर्मल कांत
Updated Sat, 15 Mar 2025 11:07 PM IST
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सार
Yes Bank-DHFL Case: मुंबई की एक अदालत ने डीएचएफएल-यस बैंक धोखाधड़ी मामले में कारोबारी विनोद गोयनका और शाहिद बलवा के खिलाफ सीबीआई के आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ आरोप ठोस नहीं हैं।

सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : एएनआई (फाइल)
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विस्तार
मुंबई की एक विशेष अदालत ने डीएचएफएल-यस बैंक धोखाधड़ी मामले में व्यवसायियों विनोद गोयनका और शाहिद बलवा के खिलाफ केद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के पूरक आरोपपत्र पर विचार करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि उनके खिलाफ लगाए आरोप ठोस नहीं हैं।

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क्या है मामला?
सीबीआई के मुताबिक, अप्रैल से जून 2018 के बीच यस बैंक ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में करीब 4,727 करोड़ रुपये का निवेश किया। ये निवेश ऐसे बांड में निवेश किया गया। इसके अलावा, रियल एस्टेट से जुड़ी एक कंपनी को 750 करोड़ रुपये का ऋण भी दिया गया। आरोप है कि यस बैंक के तत्कालीन प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राणा कपूर ने कथित रूप से डीएचएफएल से 600 करोड़ रुपये की रिश्वत ली। इस मामले में राणा कपूर और डीएचएफएल के प्रमोटर कपिल वाधवान व उनके भाई धीरज वाधवान भी कई अन्य आरोपियों में शामिल हैं।
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सीबीआई ने चौथे पूरक आरोपपत्र में क्या कहा
केंद्रीय एजेंसी ने इस मामले में हाल ही में चौथा पूरक आरोपपत्र दायर किया, जिसमें गोयनका और बलवा सहित 12 और लोगों को आरोपी बनाया गया। इससे इस मामले में आरोपियों की संख्या 41 हो गई है। सीबीआई का कहना है कि गोयना और बलवा ने डीएचएफएल से ऋण लिया था, लेकिन इस धनराशि को किसी अन्य जगह भेज दिया।
अदालत ने संज्ञान लेने से किया इनकार
विशेष न्यायाधीश ए.सी. डागा ने 13 मार्च को गोयनका, बलवा और स्टॉक मार्केट ऑपरेटर संजय दांगी के खिलाफ आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि उनके खिलाफ धोखाधड़ी और पैसे के गबन के आरोप लगाए गए हैं, लेकिन प्राथमिकी या पहले दायर पूरक आरोपपत्रों में उनके नाम नहीं थे।
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अदालत ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे यह साबित हो सके कि डीएचएफएल से ऋण लेते समय आरोपियों का धोखाधड़ी करने का इरादा था। इसलिए उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता। अदालत ने दांगी पर लगाए गए धोखाधड़ी के आरोप को भी बेबुनियाद बताया। हालांकि, अदालत ने फरार आरोपी फरीद सामा, राहुल शाह, रमेश शाह और उनसे जुड़ी कंपनी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और जालसाजी का मुकदमा चलाने का आदेश दिया है।
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