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UPSC: मोबाइल चोरी की FIR नहीं लिखी, तो ठान लिया अफसर बनूंगा; बकरी चराने वाले ने पहले प्रयास में पास की परीक्षा

अमर उजाला ब्यूरो, कोल्हापुर, महाराष्ट्र Published by: शिवम गर्ग Updated Sat, 26 Apr 2025 11:21 AM IST
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सार

UPSC Success Story: महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में खानाबदोश जनजाति धनगर से आने वाले छात्र बिरुदेव ने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास कर ली। एक बार मोबाइल फोन खोने पर वह थाने पहुंचा तो पुलिस ने उसकी एफआईआर तक नहीं लिखी थी। तभी उसने ठान लिया कि एक दिन अफसर बनकर रहेगा।

UPSC Success Story: Denied FIR for Stolen Mobile, He Vowed to Become an Officer; Birdev Clears Exam
बिरुदेव सिद्धाप्पा ढोणे - फोटो : ANI
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UPSC Birdev Success Story: महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में खानाबदोश जनजाति धनगर से आने वाले छात्र बिरुदेव ने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास कर ली। दरअसल, आईपीएस बनना उसके लिए एक जुनून की तरह था। एक बार मोबाइल फोन खोने पर वह थाने पहुंचा तो पुलिस ने उसकी एफआईआर तक नहीं लिखी थी। तभी उसने ठान लिया कि एक दिन अफसर बनकर रहेगा।

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यूपीएससी परीक्षा में हासिल की 551वीं रैंक

हाथ में लकड़ी और पैरों में बड़ी बड़ी धनगरी चप्पलें पहनकर धूप में बकरी चराने के लिए भटकने वाले के बेटे ने यूपीएससी परीक्षा में 551वीं रैंक पाई है। बिरुदेव यूपीएससी परीक्षा पास करने वाला कागल तहसील का पहला छात्र है। यमगे गांव निवासी बिरुदेव सिद्धाप्पा ढोणे (27) ने दिल्ली में रहकर यूपीएसएस की तैयारी की। पुणे के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिले से पहले उसने अपनी तहसील के स्कूल से ही दसवीं और बारहवीं पास की थी।

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बिरुदेव के पिता का बकरियों को चराने के पारंपरिक व्यवसाय

बिरुदेव के पिता सिद्धापा बारहवीं कक्षा तक पढ़े हैं लेकिन अपना जीवन बकरियों को चराने के पारंपरिक व्यवसाय में बिता दिया। आर्थिक तंगी की वजह से कई बार उसके पिता ने कोई और नौकरी करने की सलाह दी लेकिन वह अपनी जिद पर अड़ा रहा। उसने परीक्षा के लिए कड़ी मेहनत की और कई बार तो दिन में 22 घंटे तक पढ़ाई करता था। बिरुदेव के दोस्त ने जब यूपीएससी परीक्षा पास होने की सूचना दी तो माता-पिता और परिजन खुशी से झूम उठे।

पहले प्रयास में यूपीएससी में मिली सफलता

बीरप्पा हमेशा से भारतीय सेना में अधिकारी बनने का सपना देखते थे। यह प्रेरणा उन्हें अपने बड़े भाई से मिली, जो खुद भारतीय सेना में कार्यरत हैं। उन्होंने पुणे के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक किया और सेना में जाने की पूरी कोशिश की, लेकिन कुछ कारणों से वह संभव नहीं हो सका।

सपना टूटा जरूर, लेकिन हौसला नहीं। इसके बाद बीरप्पा ने सिविल सेवा परीक्षा की ओर रुख किया। उन्होंने पूरे समर्पण और धैर्य के साथ तैयारी की और पहले प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास कर ली। अब उनकी इच्छा है कि उन्हें भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में जगह मिले और वे समाज की सेवा कर सकें।

करीब 13 लाख में चुने गए 1,009

इस बार यूपीएससी परीक्षा के लिए करीब 13 लाख छात्रों ने आवेदन किया था। इनमें से सिर्फ 14,627 ही प्रारंभिक परीक्षा पास कर पाए। कुल 2,845 उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था। जिसमें कुल 1,009 उम्मीदवारों को विभिन्न सेवाओं में नियुक्त किया गया। शक्ति दुबे शीर्ष स्थान पर आई हैं। दूसरे स्थान पर हर्षिता गोयल और तीसरे स्थान पर डोंगरे अर्चित पराग हैं। 
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