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                                                                           सत्य के एकाकी पथ पर,शेष बचा है कौन ?
केवल जीवन का मौन,
केवल जीवन का मौन...

जीवन तो है सहज शब्द,हम पल-पल मरते रहते,
महाकाल के महाक्षणों की, नित प्रतीक्षा करते,
जीवन-मृत्यु के मध्य फिर,शेष बचा है कौन???
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1 day ago
                                                                           ये मरहम, ये दवाएं रास नही आती।
बेवफा को, वफाएं रास नही आती।।

जलती हुई शम्मा कह रही है हमसे।
चिरागों को, हवाएं रास नही आती।।

खामोश रहकर ही करते हैं गुफ़्तगू।
उदासी को सदाएं रास नही आती।।

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1 day ago
                                                                           है मुझमें जो प्यार, स्नेह, आनंद, सुकून, ज्ञान, या,
नफ़रत, उदासी, दुख, व पूर्वाग्रह,
सब सौगात में मिला था, ज़िंदगी का बख्शा।

मैं नासमझ था, वक्त के साथ भागता रहा,
खूब बटोरा,
संभाला, दुलारा, संजोया।
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4 days ago
                                                                           उदास चेहरा, खामोश आंखें,
कह रही हैं दास्ताँ कोई बिन लफ्ज़ों के।
बिखरे बाल, कांपते होंठ,
सहेज रहे हैं तूफ़ान दिल के अदब से।

हर मुस्कान के पीछे छुपी एक थकावट है,
हर नज़र में बसी कोई अधूरी सी चाहत है।
भी...और पढ़ें
4 days ago
                                                                           मुझे मानना पड़ा उदासी का मलाल है।
हकीकत में कोई नही मन का ख्याल है।।

उसे बहाना चाहिए आसपास रहने का।
उसका काम चौकस मेरा जी बेहाल है।।

उदासी एक इबादत मजहबी इश्क की।
कामयाबी हासिल ज़रूर मग़र जंजाल है।।...और पढ़ें
4 days ago
                                                                           ग़ज़ल नहीं कहती है कि..... दाम से आया
नहीं पता दुनिया में वो... ..नाम से आया।।

क़रीब से दिल देखा मिली उदासी हैं
नसीब में जो ख़लिश है वो शाम से आया।।

हबीब तन मन यारों हया नहीं होती
कहे तो क्या अब उसकोऔर पढ़ें
4 days ago
                                                                           यह किताब न तो शब्दों का उलझाव है और न ही भावनाओं की जटिल गुत्थी। यह निबंध संग्रह लेखिका के मन की एक उन्मुक्त अभिव्यक्ति है। पहले ही निबंध 'झुलफुलाह' को पढ़ कर उम्मीद जागी कि अंतिम जैसा कुछ नहीं 'छुपी हुई जगह' को पढ़कर यह जाना कि मनुष्...और पढ़ें
                                                
6 days ago
                                                                           लंबी है उदासी ये,
ख़ामोश तराना है II

कभी ठोकर लगती है,
ये दर्द पुराना है II

कभी डूब गए माना,
फ़िर तैर के जाना है II

कुछ राहें सफ़र की यूँ,
मुझे बढ़ते जाना है II

हँ...और पढ़ें
1 week ago
                                                                           गांव की दुर्दशा।।

आधा ख्वाब अधूरा गाँव,
जहाँ पीर भरी पगडंडी है,
घायल नदियाँ दुखती छाँव,
रीती पनघट की हंडी है।

बदरी मुख मोड़ गई,
ताल पोखरें सूखी हैं,
लू भरि पवन चली,
निष्ठुर धूप ब...और पढ़ें
1 week ago
                                                                           चलो अब साथ-साथ चलते हैं
छोड़कर शहर गांव चलते हैं
है सब कुछ मगर उदासी है
देखिए सुबह तक रुऑसी है
व्यस्तता है उबन है धोखा है
तरबतर जिंदगी को सोखा है
आज सब कुछ भुला के चलते हैं
छोड़कर शहर गांव चलते हैं...और पढ़ें
1 week ago
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