आप अपनी कविता सिर्फ अमर उजाला एप के माध्यम से ही भेज सकते हैं

बेहतर अनुभव के लिए एप का उपयोग करें

                                                                           सन्नाटे में भी गूँज उठती है,
दिल की बिखरी हुई कहानी,
जब शब्द थककर चुप हो जाएँ,
तो बहता है दर्द—पानी।
इन बूंदों में संचित पीड़ा है,
टूटे अरमानों की रवानी,
हर अश्रु एक गीत सुनाता है,
दुःख बन जाता है मधुर...और पढ़ें
6 hours ago
                                                                           आजकल उम्मीद नही हिचकियों पर।
फिर भी नजर ज़माई खिड़कियों पर।।

तरस आ जाता दे भी देता माँगने पर।
मगर भरोसा कैसे करे ल़डकियों पर।।

कोई पूछे मेरी आँखों में उदासी क्यों?
दिल हार आया जब से बस्तियों पर।।...और पढ़ें
1 day ago
                                                                           अक्सर उम्मीदों की छांव  में,
हम यूं  ही बैठे रहते हैं ।
तू ना मिले तो ना  ही सही,
पर राह  निहारते रहते हैं ।
बहुत हुईं थीं बातें  पर,
अभी भी  थीं कुछ करने को,
गर ना हो पाईं तुझसे तो क्या,
अब हवाओं  से...और पढ़ें
1 day ago
                                                                           पिता - प्रतिबिम्ब है,
एक आधार है,
शिथिल ज़िन्दगी की जीविका है।

पिता - पराक्रम है,
एक मौन है,
उदासी में मुस्कुराहट है।

पिता - चिराग है,
एक पथ है,
आकांक्षा का अलंकार है।
...और पढ़ें
1 day ago
                                                                           
जैसे उसे क़ुबूल था करना पड़ा मुझे
हर ज़ाविए से ख़ुद को बदलना पड़ा मुझे

यादों की रेल और कहीं जा रही थी फिर
ज़ंजीर खींच कर ही उतरना पड़ा मुझे

हर हादसे के बा'द कोई हादिसा हुआ
हर हादसे के बा...और पढ़ें
1 day ago
                                                                           आजकल उम्मीद नही हिचकियों पर।
फिर भी नजर ज़माई खिड़कियों पर।।

तरस आ जाता दे भी देता माँगने पर।
मगर भरोसा कैसे करे ल़डकियों पर।।

कोई पूछे मेरी आँखों में उदासी क्यों?
दिल हार आया जब से बस्तियों पर।।...और पढ़ें
3 days ago
                                                                           
हवा की डोर में टूटे हुए तारे पिरोती है
ये तन्हाई अजब लड़की है सन्नाटे में रोती है

मोहब्बत में लगा रहता है अंदेशा जुदाई का
किसी के रूठ जाने से कमी महसूस होती है

ख़मोशी की क़बा पहने है महव-ए-गुफ़्तुगू...और पढ़ें
3 days ago
                                                                           माना हर शाम खुबसूरत नहीं हो होती
जिंदगी में हर खुशी अपनी नहीं होती
मगर उदासी में जिंदगी का मजा ही कुछ और है।...और पढ़ें
4 days ago
                                                                           पिता - प्रतिबिम्ब है,
एक आधार है,
शिथिल ज़िन्दगी की जीविका है।

पिता - पराक्रम है,
एक मौन है,
उदासी में मुस्कुराहट है।

पिता - चिराग है,
एक पथ है,
आकांक्षा का अलंकार है।
...और पढ़ें
4 days ago
                                                                           आजकल उम्मीद नही हिचकियों पर।
फिर भी नजर ज़माई खिड़कियों पर।।

तरस आ जाता दे भी देता माँगने पर।
मगर भरोसा कैसे करे ल़डकियों पर।।

कोई पूछे मेरी आँखों में उदासी क्यों?
दिल हार आया जब से बस्तियों पर।।...और पढ़ें
5 days ago
X
बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही

अब मिलेगी लेटेस्ट, ट्रेंडिंग और ब्रेकिंग न्यूज
आपके व्हाट्सएप पर