Surya Grahan 2025: साल का पहला सूर्य ग्रहण हुआ समाप्त, 21 सितंबर को अगला ग्रहण
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ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: श्वेता सिंह
Updated Sat, 29 Mar 2025 06:17 PM IST
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खास बातें
Surya Grahan 2025 Date Timing In India Solar Eclipse Upay Sutak Kaal Time In Hindi: साल का पहला सूर्य ग्रहण खत्म हो चुका है। यह सूर्य ग्रहण करीब 3 घंटे और 56 मिनट तक चला। यह सूर्य ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण था। अब अगला सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025 को लगेगा। भारत में 2 अगस्त 2027 को लगने वाला सूर्य ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा।

सूर्य ग्रहण 29 मार्च 2025
- फोटो : amar ujala

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लाइव अपडेट
06:16 PM, 29-Mar-2025
सूर्य ग्रहण के बाद करें यह कार्य
सूर्य ग्रहण की अवधि के बाद घर में झाड़ू लगाएं और गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें। माना जाता है कि इस कार्य को करने से घर में सूर्य ग्रहण की नकारात्मक शक्तियों का प्रवेश नहीं होता है।
06:03 PM, 29-Mar-2025
Donate these things after Surya Grahan: सूर्य ग्रहण के बाद करें इन चीजों का दान
- सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान कर पूजा-अर्चना करें। श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों को चना, गेहूं, गुड़ और दाल का दान करें।
- इसके अलावा केले, बेसन के लड्डू और पेड़े का भी दान करना चाहिए।
- अगर आप पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि चाहते हैं, तो नींबू और पके पपीते का दान करें।
- लाल रंग के वस्त्र, दूध और चावल का भी दान कर सकते हैं।
05:38 PM, 29-Mar-2025
Surya Grahan 2025: कब समाप्त होगा सूर्य ग्रहण
पहला सूर्य ग्रहण कुछ ही देर में समाप्त होने जा रहा है। पंचांग अनुसार शाम 6:16 पर ये ग्रहण समाप्त हो जाएगा। इसके बाद आप आवश्यक और शुभ कार्य कर सकते हैं।05:10 PM, 29-Mar-2025
Surya Chalisa Path on Surya Grahan: सूर्य ग्रहण पर जरूर करें सूर्य चालीसा का पाठ
॥ श्री सूर्य देव चालीसा ॥
॥ दोहा ॥
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग,
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥
॥ चौपाई ॥
जय सविता जय जयति दिवाकर,
सहस्त्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु पतंग मरीची भास्कर,
सविता हंस सुनूर विभाकर॥
विवस्वान आदित्य विकर्तन,
मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥
अम्बरमणि खग रवि कहलाते,
वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥
सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि,
मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर,
हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥
मंडल की महिमा अति न्यारी,
तेज रूप केरी बलिहारी॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते,
देखि पुरन्दर लज्जित होते॥
मित्र मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर,
सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै,
हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥
द्वादस नाम प्रेम सों गावैं,
मस्तक बारह बार नवावैं॥
चार पदारथ जन सो पावै,
दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥
नमस्कार को चमत्कार यह,
विधि हरिहर को कृपासार यह॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई,
अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥
बारह नाम उच्चारन करते,
सहस जनम के पातक टरते॥
उपाख्यान जो करते तवजन,
रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥
धन सुत जुत परिवार बढ़तु है,
प्रबल मोह को फंद कटतु है॥
अर्क शीश को रक्षा करते,
रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत,
कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥
भानु नासिका वासकरहुनित,
भास्कर करत सदा मुखको हित॥
ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे,
रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा,
तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥
पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर,
त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥
युगल हाथ पर रक्षा कारन,
भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥
बसत नाभि आदित्य मनोहर,
कटिमंह, रहत मन मुदभर॥
जंघा गोपति सविता बासा,
गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥
विवस्वान पद की रखवारी,
बाहर बसते नित तम हारी॥
सहस्त्रांशु सर्वांग सम्हारै,
रक्षा कवच विचित्र विचारे॥
अस जोजन अपने मन माहीं,
भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥
दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै,
जोजन याको मन मंह जापै॥
अंधकार जग का जो हरता,
नव प्रकाश से आनन्द भरता॥
ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही,
कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥
मंद सदृश सुत जग में जाके,
धर्मराज सम अद्भुत बांके॥
धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा,
किया करत सुरमुनि नर सेवा॥
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों,
दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥
परम धन्य सों नर तनधारी,
हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन,
मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥
भानु उदय बैसाख गिनावै,
ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥
यम भादों आश्विन हिमरेता,
कातिक होत दिवाकर नेता॥
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं,
पुरुष नाम रविहैं मलमासहिं॥
॥ दोहा ॥
भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य,
सुख सम्पत्ति लहि बिबिध, होंहिं सदा कृतकृत्य॥
॥ दोहा ॥
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग,
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥
॥ चौपाई ॥
जय सविता जय जयति दिवाकर,
सहस्त्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु पतंग मरीची भास्कर,
सविता हंस सुनूर विभाकर॥
विवस्वान आदित्य विकर्तन,
मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥
अम्बरमणि खग रवि कहलाते,
वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥
सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि,
मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर,
हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥
मंडल की महिमा अति न्यारी,
तेज रूप केरी बलिहारी॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते,
देखि पुरन्दर लज्जित होते॥
मित्र मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर,
सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै,
हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥
द्वादस नाम प्रेम सों गावैं,
मस्तक बारह बार नवावैं॥
चार पदारथ जन सो पावै,
दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥
नमस्कार को चमत्कार यह,
विधि हरिहर को कृपासार यह॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई,
अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥
बारह नाम उच्चारन करते,
सहस जनम के पातक टरते॥
उपाख्यान जो करते तवजन,
रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥
धन सुत जुत परिवार बढ़तु है,
प्रबल मोह को फंद कटतु है॥
अर्क शीश को रक्षा करते,
रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत,
कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥
भानु नासिका वासकरहुनित,
भास्कर करत सदा मुखको हित॥
ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे,
रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा,
तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥
पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर,
त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥
युगल हाथ पर रक्षा कारन,
भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥
बसत नाभि आदित्य मनोहर,
कटिमंह, रहत मन मुदभर॥
जंघा गोपति सविता बासा,
गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥
विवस्वान पद की रखवारी,
बाहर बसते नित तम हारी॥
सहस्त्रांशु सर्वांग सम्हारै,
रक्षा कवच विचित्र विचारे॥
अस जोजन अपने मन माहीं,
भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥
दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै,
जोजन याको मन मंह जापै॥
अंधकार जग का जो हरता,
नव प्रकाश से आनन्द भरता॥
ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही,
कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥
मंद सदृश सुत जग में जाके,
धर्मराज सम अद्भुत बांके॥
धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा,
किया करत सुरमुनि नर सेवा॥
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों,
दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥
परम धन्य सों नर तनधारी,
हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन,
मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥
भानु उदय बैसाख गिनावै,
ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥
यम भादों आश्विन हिमरेता,
कातिक होत दिवाकर नेता॥
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं,
पुरुष नाम रविहैं मलमासहिं॥
॥ दोहा ॥
भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य,
सुख सम्पत्ति लहि बिबिध, होंहिं सदा कृतकृत्य॥
04:39 PM, 29-Mar-2025
Puja is Prohibited During Grahan: ग्रहण के दौरान क्यों नहीं किया जाता पूजा पाठ?
ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ नहीं करने के पीछे धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताएं हैं। माना जाता है कि इस समय वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा अत्यधिक सक्रिय हो जाती है, जिससे सकारात्मक शक्तियां कमजोर पड़ जाती हैं। इस कारण देवताओं की कृपा प्राप्त करने के लिए किए जाने वाले पूजा-पाठ का उचित फल नहीं मिलता। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि जब सूर्य या चंद्र ग्रहण के प्रभाव में होते हैं, तो उनकी शक्ति क्षीण हो जाती है, जिससे इस दौरान की गई उपासना निष्फल हो सकती है। इसी कारण हिंदू धर्म में ग्रहण काल को अशुभ माना गया है।
04:20 PM, 29-Mar-2025
Surya GrahanThese Zodiac Signs Should Be Alert : सूर्य ग्रहण के दौरान ये राशियां रहें सतर्क
सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ राशियों को सावधान रहने की आवश्यकता है। इन राशियों को धन हानि हो सकती है। राहु के प्रभाव में आकार वो कुछ गलत निर्णय भी ले सकते हैं। इसके अलावा मानसिक तनाव और शारीरिक स्वास्थ्य में भी दिक्कत आ सकती है। इसीलिए ग्रहण के दौरान कर्क, कन्या, वृश्चिक,कुंभ और मीन राशि के जातकों को सतर्कता बरतनी होगी।
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03:44 PM, 29-Mar-2025
Surya Grahan 2025 Rahu Stotra Path: सूर्य ग्रहण के दिन करें राहु स्तोत्र का पाठ
|| राहु स्तोत्र ||
राहुर्दानव मन्त्री च सिंहिकाचित्तनन्दनः ।
अर्धकायः सदाक्रोधी चन्द्रादित्यविमर्दनः ॥॥
रौद्रो रुद्रप्रियो दैत्यः स्वर्भानुर्भानुमीतिदः ।
ग्रहराजः सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुकः ॥ ॥
कालदृष्टिः कालरुपः श्रीकष्ठह्रदयाश्रयः ।
विधुंतुदः सैंहिकेयो घोररुपो महाबलः ॥ ॥
ग्रहपीडाकरो द्रंष्टी रक्तनेत्रो महोदरः ।
पञ्चविंशति नामानि स्मृत्वा राहुं सदा नरः ॥ ॥
यः पठेन्महती पीडा तस्य नश्यति केवलम् ।
विरोग्यं पुत्रमतुलां श्रियं धान्यं पशूंस्तथा ॥ ॥
ददाति राहुस्तस्मै यः पठते स्तोत्रमुत्तमम् ।
सततं पठते यस्तु जीवेद्वर्षशतं नरः ॥ ॥
॥ इति श्रीस्कन्दपुराणे राहुस्तोत्रं संपूर्णम् ॥
राहुर्दानव मन्त्री च सिंहिकाचित्तनन्दनः ।
अर्धकायः सदाक्रोधी चन्द्रादित्यविमर्दनः ॥॥
रौद्रो रुद्रप्रियो दैत्यः स्वर्भानुर्भानुमीतिदः ।
ग्रहराजः सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुकः ॥ ॥
कालदृष्टिः कालरुपः श्रीकष्ठह्रदयाश्रयः ।
विधुंतुदः सैंहिकेयो घोररुपो महाबलः ॥ ॥
ग्रहपीडाकरो द्रंष्टी रक्तनेत्रो महोदरः ।
पञ्चविंशति नामानि स्मृत्वा राहुं सदा नरः ॥ ॥
यः पठेन्महती पीडा तस्य नश्यति केवलम् ।
विरोग्यं पुत्रमतुलां श्रियं धान्यं पशूंस्तथा ॥ ॥
ददाति राहुस्तस्मै यः पठते स्तोत्रमुत्तमम् ।
सततं पठते यस्तु जीवेद्वर्षशतं नरः ॥ ॥
॥ इति श्रीस्कन्दपुराणे राहुस्तोत्रं संपूर्णम् ॥
03:30 PM, 29-Mar-2025
What To Do During Surya Grahan on Its Peak: ग्रहण सर्वोच्च बिंदु पर होने के दौरान क्या करें?
- सूर्य मंत्र ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः का जाप करें।
- गरीबों को अन्न, वस्त्र और काले तिल दान करें।
- भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हुए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
03:20 PM, 29-Mar-2025
Astrological Effects of Solar Eclipse: सूर्य ग्रहण का ज्योतिषीय प्रभाव
सूर्य ग्रहण 2025 कुछ ही देर में चरम पर पहुंचेगा। 29 मार्च 2025 को शाम 4:17 बजे यह ग्रहण अपने सर्वोच्च बिंदु पर होगा। हालांकि भारत में यह दृश्य नहीं होगा, लेकिन इसका ज्योतिषीय प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा।
03:05 PM, 29-Mar-2025
Surya Grahan Mein Kya Khaein: सूर्यग्रहण के दौरान खानपान का रखे ध्यान
- सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और रोगियों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
- हालांकि इस दौरान खाना-पीना मना होता है, लेकिन गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और बीमार लोग उपवास न रखें।
- संभव हो तो पानी में कुछ बूंदे तुलसी के अर्क की या तुलसी पत्ते डालकर इसे उबाल कर पीना चाहिए।
- इस दौरान खाने में आप मेवे ले सकते हैं। यह कम मात्रा में खाने पर भी शरीर को पूरी ऊर्जा देंगे।
- महिलाओं को ग्रहण के दौरान सात्विक भोजन लेने की सलाह दी जाती है।
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