भीख मांगकर बच्चियों में सोने की बालियां बांटता है ये भिखारी
खुशियां बांटने के लिए जरूरी नहीं है आपकी झोली बड़ी हो, लेकिन आपका दिल बड़ा हो तो बहुतों के चेहरे पर मुस्कान आ सकती है। गुजरात के मेहसाणा के मागपारा स्कूल में दस गरीब बच्चियों के चेहरे पर उस समय मुस्कान आ गई जब एक व्यक्ति उनके लिए सोने की बाली लेकर पहुंच गया।
बच्चियों के लिए बाली लेकर आने वाले खिंबाजी प्रजापति का हुलिया देखकर हर कोई हैरन था, क्योंकि उन्होंने बच्चियों के लिए ये उपहार भीख मांगकर जुटाए गए पैसे से खरीदे थे। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार खिंबाजी पास के ही मंदिर में भीख मांगकर अपनी गुजर बसर करते हैं।
मंगलवार सुबह जब खिंबाजी स्कूल में दाखिल हुए तो बच्चियों के माता पिता ने यही सोचा कि हर बार की तरह खिंबाजी इस बार भी उनकी बेटियों के लिए किताबें और स्कूल ड्रेस लेकर आए हैं। लेकिन जब उन्होंने अपने झोले में से दस छोटे छोटे डिब्बी निकाली तो हर कोई हैरान रह गया।
उन डिब्बियों में सोने की छोटी छोटी बालियां थी जो वो स्कूल में पढ़ने वाली बच्चियों के लिए लेकर आए थे। उन्होंने दस बच्चियों को एक एक सोने की बाली दी।
बच्चियों को आगे बढ़ते देखना चाहते हैं खिंबाजी प्रजापति
स्कूल में पढ़ने वाली तीन साल की भूमि की मां कुमुद लुहारिया ने कहा कि हम लोग अपने महीने के खर्च निकाल के लिए ही जद्दोजहद करते हैं, हम कभी सोने की बाली खरीदने के बारे में नहीं सोच सकते थे।
लेकिन जब प्रजापति ने स्कूल में पढ़ने वाली दस बच्चियों को सोने की बाली देने की इच्छा जताई तो आंगनबाड़ी ने दस ऐसी बच्चियों का चयन किया जो बहुत ही गरीब परिवार से आती थीं। इन बच्चियों के माता पिता दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोग हैं जो मेहसाणा की झुग्गी झोपड़ियों में रहते हैं।
प्रजापति ने कहा कि, लड़कियों को पढ़ाई में प्रोत्साहन देने की जरूरत है, ताकि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। लेकिन मेहसाणा में लड़कियों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। लड़कों के मुकाबले उन्हें पढ़ने का मौका कम ही मिल पाता है, इसी वजह से मैने उनके लिए कुछ करने की सोची।
इस आंगनबाड़ी केन्द्र को चलाने वाली शीतल सथवारा ने कहा, भिखारी तो छोड़ दीजिए मैंने अपनी जिंदगी में किसी गरीब आदमी को बच्चियों को सोना देते हुए नहीं देखा।
13 सालों में 80 हजार की कापी किताबें और ड्रेस कर चुके हैं दान
प्रजापति ने इन बालियों को दीपक शाह नाम के एक सुनार से खरीदा था। दीपक शाह ने बताया कि, प्रजापति ने उन्हें बताया कि वे ये बच्चियों के लिए बालियां खरीदना चाहते हैं, जिनकी कीमत 13 हजार रुपये के करीब बैठी थी।
जब मुझे पता चला खिंबाजी ये बालियां गरीब बच्चियों को देंगे तो मैने उनके लिए तीन हजार रुपये का डिस्काउंट कर दिया। जिससे उन्हें ये बालियां दस हजार रुपये में मिली।
बता दें कि पिछले 13 सालों में खिंबाजी गरीब परिवारों की बच्चियों के लिए स्कूल ड्रेस और किताबें खरीदने में 80 हजार से ज्यादा की रकम खर्च कर चुके हैं। वह कुल 12 स्कूलों में अभी तक ड्रेस और किताबें दान कर चुके हैं जिनमें विकलांगों के लिए बने स्कूल भी हैं।
बालियों में अपनी रकम खर्च करने के बाद प्रजापति फिर अपने पुराने काम पर लग गए हैं। मंगलवार को उन्हें भीख भी अच्छी मिली जब स्कूल की एक शिक्षिका ने अपना ट्रांसफर होने की खुशी में उन्हें 500 रुपये दिए।