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'असहज' चीन को साधने मई में चीन जाएंगे पीएम मोदी

Updated Mon, 02 Feb 2015 12:21 PM IST
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pm modi will go to China In May
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कूटनीतिक मोर्चे पर जापान और अमेरिका को साधने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘असहज’ चीन को मनाने की मुहिम में जुट गए हैं। इन्हीं प्रयासों के तहत मोदी बतौर प्रधानमंत्री मई में बीजिंग की अपनी पहली यात्रा पर जाएंगे। यह दौरा मुख्य रूप से निवेश, सीमा विवाद और कैलास मानसरोवर यात्रा के लिए चीन की ओर से एक नया मार्ग खोलने पर केंद्रित होगा।

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भारत-अमेरिका संबंधों के नए अध्याय से चिंतित चीन खुद को अलग-थलग होने से बचाने के लिए पीएम मोदी का जोरदार स्वागत करेगा। प्रधानमंत्री की यात्रा को अंतिम रूप देने बीजिंग पहुंचीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का प्रोटोकॉल तोड़ना यही दिखाता है।
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माना जा रहा है कि चीन यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी न केवल नए मार्ग से कैलास मानसरोवर की यात्रा करेंगे बल्कि चीनी राष्ट्रपति उन्हें अपने गृह प्रदेश शांशी की राजधानी शियान भी ले जाएंगे। बीते साल शी की भारत यात्रा के दौरान पीएम मोदी उन्हें अपने गृह प्रदेश गुजरात के अहमदाबाद ले गए थे।

रिश्तों को मजबूत करने में जुटी सुषमा

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विदेश मंत्री सुषमा स्वराज मोदी की चीन यात्रा के कार्यक्रम को अंतिम रूप देंगी। इधर विदेश मंत्रालय ने मोदी के चीन दौरे की तैयारी शुरू कर दी है। भारत-अमेरिका के मजबूत होते रिश्तों से चिंतित और असहज चीन को कूटनीतिक मोर्चे पर मनाने की जिम्मेदारी खुद प्रधानमंत्री ने संभाली है।

उनकी योजना चीन के बाद असंतुष्ट दिख रहे रूस की भी यात्रा करने की है। पीएम मोदी चीन को उसकी कीमत पर अमेरिका से रिश्ता मजबूत न करने का संदेश देंगे।

चूंकि अधिक नाराजगी जताने पर चीन के समक्ष भारत-जापान-अमेरिका के रिश्तों के और मजबूत होने का खतरा है, इसलिए चीन भी मोदी की इस यात्रा का जोरदार स्वागत करने की तैयारी कर रहा है। इस यात्रा के दौरान दोनों देश सीमा विवाद, व्यापार, निवेश और रक्षा संपर्कों के आदान प्रदान पर बातचीत करेंगे।

कैलास मानसरोवर यात्रा का नया मार्ग

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भारत और चीन ने रविवार को जून तक सिक्किम होते हुए तिब्बत में कैलास मानसरोवर के लिए दूसरे नए रास्ते को खोलने के तौर-तरीकों पर नोट्स का आदान प्रदान किया। नया रास्ता नाथुला दर्रे के जरिए मानसरोवर झील तक जाता है। खास बात यह है कि इस मार्ग पर मोटर साइकिल और बस से भी सफर किया जा सकता है।

मौजूदा वक्त में इस यात्रा के लिए उत्तराखंड की दुर्गम पहाड़ियों से होकर लिपुलेख दर्रे के जरिए चीन सीमा में प्रवेश किया जाता है। करीब 1000 किमी की इस यात्रा में भारतीय सीमा की 700 किमी की यात्रा बेहद दुर्गम और तकलीफदेह है।

पीएम मोदी ने ब्रिक्स सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति के समक्ष इस मार्ग को खोलने का आग्रह किया था। चीनी राष्ट्रपति जब भारत आए थे तो इस पर अपनी सहमति दे दी थी।

सुषमा ने रिश्ते सुधारने के लिए रखा 6 सूत्री मॉडल

चीन यात्रा पर पहुंचीं सुषमा स्वराज ने दोनों देशों के रिश्ते सुधारने के लिए 6 सूत्री मॉडल पेश किया है। भारत-चीन मीडिया फोरम को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों को कार्योंमुखी रुख, व्यापक आधार वाले द्विपक्षीय रिश्ते, सामान्य, क्षेत्रीय और वैश्विक हितों को साथ लेकर चलना चाहिए।

इसके अलावा उन्होंने नए क्षेत्रों के विकास, रणनीतिक संपर्क में विस्तार के साथ एशियाई सदी का परिचय कराने के लिए समान आकांक्षाओं को पूरा करने पर भी जोर दिया।

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