जब भी स्वास्थ्य की बात आती है तो हम शारीरिक स्वास्थ्य पर खूब चर्चा करते हैं पर मानसिक स्वास्थ्य को जाने-अनजाने अनदेखा कर देते हैं। आज के समय में मानसिक स्वास्थ्य एक गंभीर और बड़ी चुनौती बनकर उभरता हुआ देखा जा रहा है। हालांकि हाल के दशकों में, मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है। स्ट्रेस-एंग्जायटी हो या अवसाद की समस्या, हर साल दुनिया भर में लाखों लोगों में इसका निदान किया जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, ये गंभीर चुनौती बनती जा रही है क्योंकि कम उम्र के लोग, यहां तक कि 20 से भी कम आयु वालों को मेंटल हेल्थ की समस्याओं का शिकार पाया जा रहा है।
Mental Health: टेली मानस पर 30 लाख कॉल! भारत में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े
Mental Health Helpline Call Reports : आकंडों के मुताबिक भारत सरकार के मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन नंबर पर हर दो मिनट में दो काॅल मदद मांगने के लिए आती है। जहां ये आंकड़े दर्शाते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूकता बढ़ी है, वहीं ये भी स्पष्ट है कि इतनी संख्या में लोग किसी न किसी प्रकार की मानसिक पीड़ा से ग्रसित है।
भारत में मानसिक सेहत से संबंधित आंकड़े
राज्यसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि 10 अक्टूबर 2022 को शुरू किए गए राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (National Tele Mental Health Programme) का मुख्य उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को आसान बनाना, हर भाषा में काउंसलिंग उपलब्ध कराना और लोगों को 24×7 मदद देना था।
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन नंबर 1800-89-14416 है। सरकार के मुताबिक, अब तक कुल 29,82,000 से अधिक कॉल आई हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक, हर मिनट औसतन दो कॉल मदद मांगने के लिए आती हैं। हेल्पलाइन पर 20 भाषाओं में सेवा उपलब्ध है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि भारत में मानसिक तनाव बढ़ रहा है, भले ही लोग खुलकर मदद मांगने लगे हों।
ये आंकड़े बताते हैं कि हमें मानसिक स्वास्थ्य को शारीरिक स्वास्थ्य जितना गंभीरता से लेना होगा। समय पर बातचीत और काउंसलिंग जीवन बचा सकती है। परिवारों में संवाद बढ़ाने की जरूरत है। युवा पीढ़ी में भावनात्मक थकान बेहद आम है। स्कूल, कॉलेज और दफ्तर हर जगह मानसिक हाइजीन को महत्व देना होगा।
इतने लोग क्यों कर रहे कॉल?
लोग इतनी तादाद में मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन पर कॉल कर रहे हैं, इसके पीछे कई कारण है।
बढ़ती चिंता और तनाव
काम का दबाव, अनिश्चित भविष्य और आर्थिक चुनौतियां, ये सब मानसिक सेहत को गहरी चोट पहुंचा रहे हैं।
सोशल मीडिया का दबाव
तुलना, कुछ छूट जाने का डर और डिजिटल हूबहूपन ने दिमाग को थका दिया है। सोशल मीडिया के दबाव से ग्रसित लोग मानसिक शांति के लिए मदद तलाश रहे हैं।
रिश्तों और परिवार में दूरी
व्यस्तता या अन्य कारणों से लोग अपने परिवार और रिश्तों से दूर हो रहे हैं। भावनात्मक रूप से अकेले पड़ रहे लोग तनाव का शिकार हो रहे हैं।
मानसिक बीमारी को लेकर जागरूकता बढ़ना
अब लोग समझ रहे हैं कि अवसाद, एंग्जायटी, पैनिक डिसऑर्डर या तनाव कमजोरी नहीं है, बल्कि ये इलाज योग्य स्थितियां हैं।
आत्महत्या के बढ़ते मामलों की चिंता
अवसाद की स्थिति में बढ़ रहे आत्महत्या के मामलों से लोग सचेत हुए। ऐसे में कई लोग अपने या अपने करीबियों के लिए तुरंत मानसिक सहायता चाहते हैं।
क्या है टेली मानस एप?
ये मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का डिजिटल विस्तार है। सरकार की इस पहल में सभी नागरिकों को 24 घंटे मुफ्त और गोपनीय मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान की जाती है। साल 2024 में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर इसे लॉन्च किया गया था। ये प्लेटफार्म मनोवैज्ञानिकों, काउंसलर, मनोचिकित्सकों और क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट के लिए बना है, जिनकी मदद आप एक क्लिक में प्राप्त कर सकते हैं। इससे यह साफ है कि भारत में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जो भ्रांतियां थीं, वह धीरे-धीरे टूट रही हैं।