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Navratri Durga Ashtami 2025: दुर्लभ योगों में नवरात्रि दुर्गा अष्टमी आज, जानिए कन्या पूजन मुहूर्त और पूजा विधि
धर्म डेस्क, अमर उजाला
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Sat, 05 Apr 2025 07:18 AM IST
सार
Navratri Durga Ashtami 2025: आज चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि है। आज के दिन माता के आठवें स्वरूप की पूजा होती है और कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है।
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अष्टमी तिथि के दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान के पश्चात् कलश पूजन के पश्चात मां की विधि-विधान से पूजा करें।
- फोटो : adobe stock
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विस्तार
Navratri Durga Ashtami 2025: पवित्र चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व चल रहे हैं और आज महाष्टमी है। हिंदू धर्म में महाष्टमी का विशेष महत्व होता है। इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा-आराधना और मंत्रोंचार का विधान होता है। महाष्टमी पर कन्या पूजन करने का भी विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि के 9 दिनों तक माता दुर्गा 2 से 10 उम्र की आयु की छोटी कन्याओं के अंदर विराजमान होती है। इसलिए कन्याओं को माता का रूप मानकर इन विधि-विधान के साथ पूजन और भोज कराया जाता है। आइए जानते हैं आज महाष्टमी पर बने दुर्लभ योग, पूजा मुहर्त और कन्या पूजन के लिए समय से लेकर सबकुछ।
सवार्थिसिद्धि योग में चैत्र नवरात्रि महाष्टमी
वैदिक पंचांग के अनुसार आज 05 अप्रैल को महा अष्टमी पर देवी दुर्गा की पूजा-आराधना सवार्थिसिद्धि और सुकर्मा योग में की जाएगी। यह योग बहुत ही शुभ फलदायी माना जाता है। इसके अलावान पंचग्रही, लक्ष्मी नाराययण, शुक्रादित्य जैसे योगों का भी निर्माण हुआ है। इन शुभ योगों में मां दुर्गा की पूजा और कन्या पूजन करने से कई गुने फलों की प्राप्ति होती है।
महाष्टमी पर आज कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
आज महाष्टमी पर कन्या पूजन के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 59 से लेकर दोपहर 12 बजकर 49 मिनट कर सकते हैं। यह समय कन्या पूजन के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त होगा।
नवरात्रि महाष्टमी और नवमी तिथि
आज महाष्टमी और कल नवमी तिथि है। पंचांग के अनुसार आज चैत्र माह की अष्टमी तिथि है, जो कल यानी 04 अप्रैल को रात 08 बजकर 12 मिनट से आरंभ हो गई जो जो 5 अप्रैल को शाम 07 बजकर 26 मिनट पर खत्म होगी, फिर इसके बाद नवमी तिथि आरंभ हो जाएगी। नवमी तिथि 06 अप्रैल को शाम 07 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। इस तरह से अष्टमी 05 और रामनवमी 06 अप्रैल को है।
अष्टमी पर महागौरी पूजा का शुभ मुहूर्त
प्रात:काल पूजा मुहूर्त- 04 बजकर 35 मिनट से 06 बजकर 07 मिनट तक।
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 49 मिनट तक।
विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से लेकर 03 बजकर 20 मिनट तक।
संध्या पूजा मुहूर्त- शाम 06 बजकर 40 मिनट से लेकर 07 बजकर 50 मिनट तक।
नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप ‘महागौरी की आराधना का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार मां महागौरी की उपासना से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और भक्त को सुख, शांति व समृद्धि प्राप्त होती है। इनकी पूजा अष्टमी के दिन की जाती है,और आमतौर पर इसी दिन कन्या पूजन किया जाता है।
महागौरी का स्वरूप
मां महागौरी अत्यंत सुंदर, उज्ज्वल और शांत स्वरूप वाली देवी हैं। इनका रंग पूर्णतः गौर अर्थात दूध के समान उज्ज्वल है, इसीलिए इन्हें महागौरी कहा जाता है। मां का वाहन वृषभ (बैल) है, इनके चार हाथ हैं-दाहिने दो हाथों में त्रिशूल और अभय मुद्रा तथा बाएं हाथों में डमरू और वर मुद्रा है। ये सौम्यता, करुणा और शुद्धता की प्रतीक मानी जाती हैं।
महागौरी पूजा का महत्व
महागौरी की पूजा से घर में सुख-शांति और ऐश्वर्य बढ़ता है। जो कन्याएं शीघ्र विवाह की इच्छा रखती हैं, उन्हें विशेष रूप से मां महागौरी की आराधना करनी चाहिए। कहा जाता है कि महागौरी की कृपा से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। दुर्गा अष्टमी की पूजन विधि
अष्टमी तिथि के दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान के पश्चात् कलश पूजन के पश्चात मां की विधि-विधान से पूजा करें। इस दिन मां को सफेद पुष्प अर्पित करें, मां की वंदना मंत्र का उच्चारण करें। आज के दिन माँ की हलुआ,पूरी,सब्जी,काले चने एवं नारियल का भोग लगाएं।माता रानी को चुनरी अर्पित करें। अगर आपके घर अष्टमी पूजी जाती है तो आप पूजा के बाद कन्याओं को भोजन भी करा सकते हैं ये शुभ फल देने वाला माना गया है।
Navratri Vrat Kanya Pujan: क्यों आवश्यक है कन्या पूजन? जानिए नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व और फल
दुर्गा अष्टमी पूजा फल
इनकी उपासना से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं,उपासक सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है ।उसके पूर्व संचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं और भविष्य में पाप-संताप,दैन्य-दुःख उसके पास कभी नहीं रहते । धन-धान्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए माँ गौरी की उपासना की जानी चाहिए।
वंदना मंत्र
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
कन्या पूजन मंत्र
स्तोत्र मंत्र:
"या देवी सर्वभूतेषु कन्या रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
ऊं श्री दुं दुर्गायै नम: ।।
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सवार्थिसिद्धि योग में चैत्र नवरात्रि महाष्टमी
वैदिक पंचांग के अनुसार आज 05 अप्रैल को महा अष्टमी पर देवी दुर्गा की पूजा-आराधना सवार्थिसिद्धि और सुकर्मा योग में की जाएगी। यह योग बहुत ही शुभ फलदायी माना जाता है। इसके अलावान पंचग्रही, लक्ष्मी नाराययण, शुक्रादित्य जैसे योगों का भी निर्माण हुआ है। इन शुभ योगों में मां दुर्गा की पूजा और कन्या पूजन करने से कई गुने फलों की प्राप्ति होती है।
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महाष्टमी पर आज कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
आज महाष्टमी पर कन्या पूजन के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 59 से लेकर दोपहर 12 बजकर 49 मिनट कर सकते हैं। यह समय कन्या पूजन के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त होगा।
नवरात्रि महाष्टमी और नवमी तिथि
आज महाष्टमी और कल नवमी तिथि है। पंचांग के अनुसार आज चैत्र माह की अष्टमी तिथि है, जो कल यानी 04 अप्रैल को रात 08 बजकर 12 मिनट से आरंभ हो गई जो जो 5 अप्रैल को शाम 07 बजकर 26 मिनट पर खत्म होगी, फिर इसके बाद नवमी तिथि आरंभ हो जाएगी। नवमी तिथि 06 अप्रैल को शाम 07 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। इस तरह से अष्टमी 05 और रामनवमी 06 अप्रैल को है।
अष्टमी पर महागौरी पूजा का शुभ मुहूर्त
प्रात:काल पूजा मुहूर्त- 04 बजकर 35 मिनट से 06 बजकर 07 मिनट तक।
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 49 मिनट तक।
विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से लेकर 03 बजकर 20 मिनट तक।
संध्या पूजा मुहूर्त- शाम 06 बजकर 40 मिनट से लेकर 07 बजकर 50 मिनट तक।
नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप ‘महागौरी की आराधना का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार मां महागौरी की उपासना से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और भक्त को सुख, शांति व समृद्धि प्राप्त होती है। इनकी पूजा अष्टमी के दिन की जाती है,और आमतौर पर इसी दिन कन्या पूजन किया जाता है।
महागौरी का स्वरूप
मां महागौरी अत्यंत सुंदर, उज्ज्वल और शांत स्वरूप वाली देवी हैं। इनका रंग पूर्णतः गौर अर्थात दूध के समान उज्ज्वल है, इसीलिए इन्हें महागौरी कहा जाता है। मां का वाहन वृषभ (बैल) है, इनके चार हाथ हैं-दाहिने दो हाथों में त्रिशूल और अभय मुद्रा तथा बाएं हाथों में डमरू और वर मुद्रा है। ये सौम्यता, करुणा और शुद्धता की प्रतीक मानी जाती हैं।
महागौरी पूजा का महत्व
महागौरी की पूजा से घर में सुख-शांति और ऐश्वर्य बढ़ता है। जो कन्याएं शीघ्र विवाह की इच्छा रखती हैं, उन्हें विशेष रूप से मां महागौरी की आराधना करनी चाहिए। कहा जाता है कि महागौरी की कृपा से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। दुर्गा अष्टमी की पूजन विधि
अष्टमी तिथि के दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान के पश्चात् कलश पूजन के पश्चात मां की विधि-विधान से पूजा करें। इस दिन मां को सफेद पुष्प अर्पित करें, मां की वंदना मंत्र का उच्चारण करें। आज के दिन माँ की हलुआ,पूरी,सब्जी,काले चने एवं नारियल का भोग लगाएं।माता रानी को चुनरी अर्पित करें। अगर आपके घर अष्टमी पूजी जाती है तो आप पूजा के बाद कन्याओं को भोजन भी करा सकते हैं ये शुभ फल देने वाला माना गया है।
Navratri Vrat Kanya Pujan: क्यों आवश्यक है कन्या पूजन? जानिए नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व और फल
दुर्गा अष्टमी पूजा फल
इनकी उपासना से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं,उपासक सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है ।उसके पूर्व संचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं और भविष्य में पाप-संताप,दैन्य-दुःख उसके पास कभी नहीं रहते । धन-धान्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए माँ गौरी की उपासना की जानी चाहिए।
वंदना मंत्र
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
कन्या पूजन मंत्र
स्तोत्र मंत्र:
"या देवी सर्वभूतेषु कन्या रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
ऊं श्री दुं दुर्गायै नम: ।।
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