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Kanya Pujan Muhurat 2025: क्या है कन्या पूजन का महत्व, जानिए तिथि और अष्टमी-नवमी पूजा शुभ मुहूर्त
धर्म डेस्क, अमर उजाला
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Sat, 05 Apr 2025 06:22 AM IST
सार
नवरात्रि पर कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है, दरअसल छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। ऐसे में नौ दिनों तक 2 से 10 वर्ष की आयु तक की कन्याओं का विशेष रूप से पूजन होता है।
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नवरात्रि पर अष्टमी-नवमी तिथि पर कन्या पूजन का महत्व
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विस्तार
Chaitra Navratri Kanya Pujan Muhurat 2025: देवी आराधना का पर्व चैत्र नवरात्रि जारी है। हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विधि-विधान के साथ पूजा होती है। नौ दिनों तक मंदिरों और घरों में देवी पाठ चलते है। नवरात्रि पर कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है, दरअसल छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। ऐसे में नौ दिनों तक 2 से 10 वर्ष की आयु तक की कन्याओं का विशेष रूप से पूजन होता है। वैसे तो नवरात्रि के हर दिन कन्याओं के पूजन का महत्व होता है, लेकिन अष्टमी और नवम तिथि पर कन्या पूजन और भोजन का विशेष महत्व होता है। इस बार नवरात्रि 9 दिन न होकर 8 दिन का है। दरअसल एक तिथि के क्षय होने की वजह से इस बार ऐसा हुआ है। आइए जानते हैं नवरात्रि पर अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन का महत्व, तिथि और शुभ मुहूर्त।
चैत्र नवरात्रि अष्टमी और नवमी तिथि 2025
नवरात्रि पर्व पर अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। इस तिथि पर नौ दिनों तक मां की पूजा-आराधना और कन्या पूजन करके माता की विदाई की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार 4 अप्रैल को रात 08 बजकर 12 मिनट पर अष्टमी तिथि की शुरुआत हो रही है, जो अगले दिन यानी 05 अप्रैल को शाम 07 बजकर 26 मिनट पर खत्म हो जाएगी। अष्टमी के बाद नवमी तिथि की शुरुआत होगी, जो 06 अप्रैल को शाम 07 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। इस तरह से चैत्र अष्टमी 05 अप्रैल और रामनवमी 06 अप्रैल को होगी।
चैत्र नवरात्रि महाष्टमी के दिन कन्या पूजन का समय- 5 अप्रैल सुबह 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक।
राम नवमी पर कन्या पूजन का अभिजित मुहूर्त- 06 अप्रैल सुबह 11 बजकर 59 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक।
कन्या पूजन का समय
नवरात्रि पर जितना महत्व देवी आराधना का होता है उतनी ही नौ दिनों के उपवास के बाद अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन का होता है। कन्या पूजन से मां दुर्गा का पूर्ण आशीर्वाद मिलता है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि के साथ धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से अष्टमी एवं नवमी तिथि को कन्या पूजन करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है।
कन्या पूजन मंत्र
स्तोत्र मंत्र:
"या देवी सर्वभूतेषु कन्या रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
ऊं श्री दुं दुर्गायै नम: ।।
अंबे जी की आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।
तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी॥
सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टों को तू ही ललकारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
माँ-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता।
पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥
सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखड़े निवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे चरणों में छोटा सा कोना॥
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को संवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली,
भक्तों के कारज तू ही सारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
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चैत्र नवरात्रि अष्टमी और नवमी तिथि 2025
नवरात्रि पर्व पर अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। इस तिथि पर नौ दिनों तक मां की पूजा-आराधना और कन्या पूजन करके माता की विदाई की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार 4 अप्रैल को रात 08 बजकर 12 मिनट पर अष्टमी तिथि की शुरुआत हो रही है, जो अगले दिन यानी 05 अप्रैल को शाम 07 बजकर 26 मिनट पर खत्म हो जाएगी। अष्टमी के बाद नवमी तिथि की शुरुआत होगी, जो 06 अप्रैल को शाम 07 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। इस तरह से चैत्र अष्टमी 05 अप्रैल और रामनवमी 06 अप्रैल को होगी।
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Navratri Vrat Kanya Pujan: क्यों आवश्यक है कन्या पूजन? जानिए नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व और फल
कन्या पूजन का समयचैत्र नवरात्रि महाष्टमी के दिन कन्या पूजन का समय- 5 अप्रैल सुबह 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक।
राम नवमी पर कन्या पूजन का अभिजित मुहूर्त- 06 अप्रैल सुबह 11 बजकर 59 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक।
कन्या पूजन का समय
नवरात्रि पर जितना महत्व देवी आराधना का होता है उतनी ही नौ दिनों के उपवास के बाद अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन का होता है। कन्या पूजन से मां दुर्गा का पूर्ण आशीर्वाद मिलता है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि के साथ धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से अष्टमी एवं नवमी तिथि को कन्या पूजन करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है।
कन्या पूजन मंत्र
स्तोत्र मंत्र:
"या देवी सर्वभूतेषु कन्या रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
ऊं श्री दुं दुर्गायै नम: ।।
अंबे जी की आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।
तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी॥
सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टों को तू ही ललकारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
माँ-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता।
पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥
सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखड़े निवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे चरणों में छोटा सा कोना॥
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को संवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली,
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