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X: सहयोग पोर्टल पर विवाद, हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा एक्स
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: सुयश पांडेय
Updated Mon, 29 Sep 2025 02:35 PM IST
सार
एलन मस्क का सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स भारत में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करेगा। यह मामला सहयोग पोर्टल से जुड़ा है, जिसके जरिए लाखों पुलिस अधिकारियों को कंटेंट हटाने का अधिकार दिया गया है। जानें क्या है पूरा विवाद।
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विस्तार
एलन मस्क का सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर एक बार फिर विवादों के केंद्र में आ गया है। कंपनी ने सोमवार को कहा कि वह कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ अपील करेगी, जिसमें सरकार के "सहयोग पोर्टल" को मंजूरी दी गई है। इस पोर्टल के जरिए देशभर के करीब 20 लाख पुलिस अधिकारियों को कंटेंट हटाने का अधिकार मिल गया है।
एक्स ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, "हम इस आदेश को चुनौती देंगे ताकि फ्री स्पीच की रक्षा की जा सके।" कंपनी का आरोप है कि सहयोग पोर्टल अधिकारियों को सिर्फ 'अवैधता' के आरोप के आधार पर कंटेंट हटाने का आदेश देने का अधिकार देता है। इसमें न तो न्यायिक समीक्षा होती है और न ही प्रभावित यूजर्स को कोई सुनवाई का मौका मिलता है। इसके अलावा प्लेटफॉर्म पर गैर-अनुपालन करने पर आपराधिक कार्रवाई का खतरा भी रहता है।
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सरकार का पक्ष क्या है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का कहना है कि यह व्यवस्था ऑनलाइन अवैध कंटेंट पर रोक लगाने और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को जवाबदेह बनाने के लिए जरूरी है। सरकार का दावा है कि इस कदम से इंटरनेट पर बढ़ती गलत जानकारी, फर्जी कंटेंट और अवैध गतिविधियों पर लगाम लगेगी।
एक्स और भारत सरकार का टकराव
एक्स और भारत सरकार के बीच कंटेंट हटाने को लेकर यह पहली लड़ाई नहीं है। पहले भी कंपनी कई बार सरकार के आदेशों को सेंसरशिप करार दे चुकी है। एलन मस्क खुद को फ्री स्पीच एब्सोल्यूटिस्ट बताते हैं और कई देशों की सरकारों के साथ कंटेंट मॉडरेशन को लेकर उनका टकराव रहा है।
क्या है सहयोग पोर्टल?
यह पोर्टल अक्तूबर 2023 में शुरू किया गया था। इसके जरिए अधिकृत अधिकारी सीधे टेक कंपनियों तक कंटेंट हटाने का आदेश भेज सकते हैं। हाईकोर्ट ने हाल ही में इसे वैध करार दिया था, जिसके खिलाफ अब एक्स अपील करेगा।
अब आगे क्या?
अब अदालतों में होने वाली सुनवाई यह तय करेगी कि भारत में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट मॉडरेशन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन कैसे बनाया जाएगा। यह मामला न केवल एक्स के लिए बल्कि पूरे सोशल मीडिया इकोसिस्टम के लिए अहम साबित हो सकता है।