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OpenAI: अब चैटजीपीटी पर चैट करते-करते हो सकेगी शॉपिंग, पायलट प्रोग्राम वाला ये फीचर जल्द हो सकता है शुरू

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: सुयश पांडेय Updated Fri, 10 Oct 2025 08:05 PM IST
सार

ओपनएआई, एनपीसीआई और रेजरपे ने चैटजीपीटी पर यूपीआई पेमेंट का पायलट शुरू किया है। जानिए इस नई एआई पेमेंट तकनीक के फायदे और संभावित खतरे के बारे में।

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India rolls out pilot for e commerce payments via ChatGPT
NPCI - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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ओपनएआई ने एनपीसीआई (NPCI) और रेजरपे के साथ मिलकर चैटजीपीटी में यूपीआई पेमेंट फीचर की टेस्टिंग शुरू कर दी है। इस पहल के तहत यूजर्स अब चैट के अंदर ही पेमेंट कर सकेंगे। यानी बात करते-करते बिगबास्केट जैसी वेबसाइट से खरीदारी भी हो पाएगी।। ओपनएआई ने एनपीसीआई और रेजरपे के साथ साझेदारी करते हुए यूपीआई पेमेंट फीचर को चैटबॉट में इंटीग्रेट किया है। 

भारत में शुरू हुआ चैपजीपीटी का यूपीआई  पायलट प्रोग्राम

ओपनएआई ने भारत में इस पहल की घोषणा कर दी है। कंपनी का कहना है कि यह पायलट प्रोग्राम इस बात की जांच करेगा कि एआई एजेंट्स किस तरह सुरक्षित, पारदर्शी और यूजर-कंट्रोल्ड तरीके से वित्तीय लेनदेन कर सकते हैं। इस प्रयोग के तहत चैपजीपीटी को यूपीआई  नेटवर्क से जोड़ा गया है जिससे चैट के दौरान ही ट्रांजैक्शन पूरे किए जा सकेंगे। ओपनएआई के मुताबिक, यह प्रयोग फिलहाल सीमित यूजर्स और प्लेटफॉर्म्स पर शुरू किया गया है।

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बिगबास्केट बना पहला पार्टनर

टाटा ग्रुप की ई-कॉमर्स कंपनी बिगबास्केट इस फीचर को अपनाने वाला पहला प्लेटफॉर्म है। वहीं एक्सिस बैंक और एयरटेल पेमेंट्स बैंक इस पायलट में बैंकिंग पार्टनर के रूप में शामिल हुए हैं। ओपनएआई के इंटरनेशनल स्ट्रैटेजी निदेशक ओलिवर जे ने कहा, "एनपीसीआई के साथ काम करना हमारे लिए गर्व की बात है। हमारा लक्ष्य एआई और यूपीआई को मिलाकर एक सुरक्षित, आसान और इंटरएक्टिव पेमेंट अनुभव बनाना है।"

यूपीआई  बना ग्लोबल टेक इनोवेशन का हिस्सा

भारत का यूपीआई  (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) हर महीने 20 अरब से अधिक लेनदेन को संभालता है। यह दुनिया के सबसे भरोसेमंद डिजिटल पेमेंट नेटवर्क्स में से एक है। ओपनएआई और एनपीसीआई का यह सहयोग दिखाता है कि अब भारत की फिनटेक तकनीक वैश्विक एआई प्लेटफॉर्म्स का हिस्सा बन रही है।

एनपीसीआई की नई घोषणाएं भी चर्चा में

इसी दौरान, ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 में एनपीसीआई ने कई नई तकनीकी पहलों का एलान किया-

  • एआई-बेस्ड यूपीआई  हेल्प: एनपीसीआई के स्मॉल लैंग्वेज मॉडल (SLM) पर आधारित हेल्प टूल, जो पेमेंट्स और डिस्प्यूट सॉल्विंग में मदद करेगा।

  • आईओटी पेमेंट्स वाया यूपीआई: अब कार, वियरेबल्स और स्मार्ट टीवी जैसे डिवाइस से भी पेमेंट संभव होगा।

  • यूपीआई  रिजर्व पे: एक ऐसा फीचर जिससे यूजर किसी खास ट्रांजैक्शन के लिए क्रेडिट लिमिट ब्लॉक और मैनेज कर सकेंगे।

अभी ये सभी पायलट स्टेज में हैं लेकिन जल्द ही इनके पब्लिक रोलआउट की संभावना है।
 

संभावित खतरे और चुनौतियां

आइए जानते हैं इस नई टेक्नोलॉजी के संभावित नुकसान क्या हो सकते हैं।

  • डेटा प्राइवेसी और सुरक्षा का खतरा: चैटजीपीटी जैसे एआई चैटबॉट लगातार यूजर डेटा का विश्लेषण करते हैं। अगर ये चैट सिस्टम बैंकिंग डिटेल्स या यूपीआई आईडी तक पहुंच गया तो डेटा लीक और साइबर अटैक का बड़ा खतरा पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि NPCI और ओपनएआई को सख्त डेटा एन्क्रिप्शन और लोकल सर्वर स्टोरेज नीति अपनानी होगी।

  • फिशिंग और ऑनलाइन फ्रॉड के नए तरीके: एआई पेमेंट के साथ फेक चैटबॉट्स और नकली लिंक का खतरा बढ़ जाएगा। साइबर अपराधी चैटजीपीटी जैसे चैट इंटरफेस की नकल कर यूजर्स को गलत वेबसाइट या स्कैम ट्रांजैक्शन की तरफ ले जा सकते हैं। इससे फ्रॉड और फिशिंग अटैक के मामले बढ़ सकते हैं।

  • एआई द्वारा गलत निर्णय (ऑटोनॉमस एरर): चैटजीपीटी जैसे एजेंटिक एआई मॉडल खुद से निर्णय ले सकते हैं। कई बार सिस्टम यूजर के आदेश को गलत समझकर अनचाहे पेमेंट या गलत ऑर्डर कर सकता है। ऐसे में जिम्मेदारी तय करना मुश्किल होगा कि गलती यूजर की थी या एआई की?

  • बिना सोचे पेमेंट का खतरा: चैट फॉर्मेट में पेमेंट होने की वजह से कई यूजर्स बिना वेरिफिकेशन के 'ओके' या 'हाँ' दबाकर जल्दी-जल्दी ट्रांजैक्शन कर देंगे, इससे अनजाने पेमेंट या फंड मिसयूज का खतरा रहेगा।

  • टेक्निकल दिक्कतें और सिस्टम फेलियर: अगर चैटजीपीटी सर्वर डाउन हुआ या यूपीआई नेटवर्क में रुकावट आई तो ट्रांजैक्शन फेल हो सकता है। यह स्थिति खासकर रीयल-टाइम खरीदारी में यूजर अनुभव और व्यापारी दोनों के लिए नुकसानदेह हो सकती है।

  • नियामक और कानूनी चुनौतियां: एआई-आधारित पेमेंट के लिए भारत में फिलहाल स्पष्ट रेगुलेटरी गाइडलाइन नहीं है। अगर कोई ट्रांजैक्शन गड़बड़ हो जाए तो यह तय करना मुश्किल होगा कि गलती एआई की थी या ग्राहक की। इसलिए सरकार और आरबीआई को एआई फिनटेक रेगुलेशन फ्रेमवर्क तैयार करना होगा।

  • पक्षपाती या गलत सुझाव (एआई बायस): अगर चैटजीपीटी किसी खास ब्रांड या व्यापारी के साथ साझेदारी करता है तो संभव है कि वह यूजर्स को सीमित या पक्षपाती खरीदारी विकल्प दिखाए। इससे मार्केट में फेयर ट्रांजैक्शन और यूजर ट्रस्ट पर असर पड़ सकता है।

एनपीसीआई, रेजरपे और ओपनएआई मिलकर इस प्रयोग के दौरान सुरक्षा, उपयोग में आसानी और सिस्टम स्टेबिलिटी का परीक्षण करेंगे। अगर प्रयोग सफल रहता है तो जल्द ही यह सेवा सभी यूजर्स के लिए शुरू की जा सकती है जिससे चैपजीपीटी एक इंटरएक्टिव शॉपिंग असिस्टेंट के रूप में भी काम करेगा। लेकिन, जहां एक ओर यह तकनीक डिजिटल सुविधा का नया अध्याय खोलती है, वहीं दूसरी ओर इसमें कई संभावित खतरे और चुनौतियां भी छिपी हैं।

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