{"_id":"03faaf1db5c63e3a876ee4da4a98ea9d","slug":"manav-robot-india-s-first-humanoid-robot-hindi-news-va","type":"story","status":"publish","title_hn":"भारत का पहला 3डी ह्यूमनॉयड रोबोट यानी इंसानी रूप वाला रोबोट","category":{"title":"Tech Diary","title_hn":"टेक डायरी","slug":"tech-diary"}}
भारत का पहला 3डी ह्यूमनॉयड रोबोट यानी इंसानी रूप वाला रोबोट
वैभव दीवान/बीबीसी संवाददाता
Updated Wed, 25 Mar 2015 02:54 PM IST
विज्ञापन

विज्ञापन
मिलिए मानव से। यह है भारत का पहला 3डी ह्यूमनॉयड रोबोट - यानी इंसानी रूप वाला रोबोट।

Trending Videos
यह 60 सेंटीमीटर लम्बा और 2 किलोग्राम भारी है। मानव को 3 डी प्रिंटर की मदद से बनाया गया। इसके पुर्ज़ों को फैक्ट्री में नहीं बल्कि कंप्यूटर में फ़ीड किये गए डिज़ाइन से बनाया है।
मानव को दिल्ली में रहने वाले रोबोटिक वैज्ञानिक दिवाकर वैश ने बनाया है। दिवाकर रोबोटिक्स के क्षेत्र में पिछले 10 वर्षों से रिसर्च कर रहें हैं।
वे मानव को अपने अविष्कारों में से सबसे बड़ा मानते हैं, ऐसा इसलिए कि मानव, मनुष्यों के सारे काम कर सकता है।
पर फ़िलहाल दिवाकर का ये मानव सिर्फ नाच सकता है। मानव में दिवाकर ने गानो पर थिरकने का प्रोग्राम फ़ीड किया हुआ है।
दिवाकर का कहना है कि 'अगर आप एक रोबोट को नचा सकते हैं तो आप उससे और सभी काम करवा सकते हैं जैसे उसे चलवाना, गिर के खड़े करवाना और साथ ही आवाज़ को महसूस करना समझ पाए की आवाज़ कहां से आ रही है। मानव में हमने आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस यानी कृत्रिम बुद्धि को डाला है जो एक बड़ी बात है।
विज्ञापन
विज्ञापन
इन्ही सब विशेषताओ के कारण मानव को हमारे आस पास - हमारे घरो में चलते फिरते देख सकेंगे।'
दिवाकर अपने इस रोबोट मानव को जल्द बाज़ार में उतारना चाहते हैं। इसकी कीमत डेढ़ लाख से दो लाख रुपए हो सकती है।
दिवाकर मानते हैं कि 'अभी मानव को घरेलू नौकर बनाने में काफ़ी समय लगेगा। पर रोबोट्स के क्षेत्र में रिसर्च करने वाले वैज्ञानिको के लिए यह एक अच्छा प्लेटफ़ार्म हो सकता है। रोबोटिक्स में रूचि लेने वाले इससे सीख पाएंगे'।
रोबोट को नौकर बनाने में वक़्त
आज हमारे आसपास कई तरह के रोबोट्स मौजूद हैं - सफ़ाई करने वाले वैक्यूम क्लीनर, उड़ने वाले ड्रोन - जिन्हे सुरक्षा और फ़ोटोग्राफ़ी के लिए इस्तेमाल किया जाता है और इंसान जैसे दिखने वाले - यानी ह्यूमनॉयड रोबोट।
अमरीका से रोबोटिक्स की पढाई करने वाले आकाश सिन्हा अब दिल्ली में रोबोटिक्स कंपनी चलाते हैं। आकाश मानते हैं की रोबोट्स को घरो में काम करते देखने में अभी वक़्त लगेगा। विश्व के सबसे विकसित रोबोट्स जापानी कंपनी होंडा का 'असीमो' पिछले 30 साल से बन ही रहा है। अभी भी उसमें मनुष्य की बुद्धि नहीं दी जा सकी है। फ़िलहाल, रोबोटिक्स में ज़रुरत है की इस बात पर खोज की जाये की हम कैसे हैं और उसको रोबोट्स में डालें। जिस दिन ऐसा हो पायेगा ये रोबोट्स हमारे घरो में आजाएंगे।
रोबोटिक्स के क्षेत्र में भारत कहाँ?
विश्व में रोबोट्स पर कई देश काम कर रहें हैं। ऐसे में भारत भी इसी भीड़ का हिस्सा है।
आकाश कहते हैं कि 'भारत रोबोट बनाने वाले टॉप 10 देशो की सूची में आता है पर अभी अमरीका, जापान और साउथ कोरिया से काफ़ी पीछे है।
पर भारत पर भी इन सभी विकसित देशो की नज़रें हैं क्योकि भारत ही ऐसा देश है जो वाजिब दामो में सबसे बढ़िया रोबोटिक सोल्यूशन दे सकता है।'
भारत के बारे में एक विचित्र बात ये है कि रोबोटिक्स उद्योग भारत में आने वाले समय में एक बिलियन डॉलर तक पहुंच जायेगा।
मौजूदा रोबोट्स का उदाहरण देते हुए आकाश कहते हैं कि ड्रोन के प्रति सुरक्षा एजेंसिओं की काफ़ी रूचि है। भारतीय सेना ने सुरक्षा के लिए ड्रोन के कई करोड़ के टेंडर निकले हैं।
इंसान बनाम रोबोट
रोबोट्स देखने में तो इंसानी लग गए हैं पर दिमाग अभी भी इंसानी नहीं है।
रोबोट्स और रोबोट्स को बनाने वाले वैज्ञानिको के सामने अभी ये चुनौती है कि वो कैसे रोबोट्स को सोचने पर मजबूर करें। अगर रोबोट्स को हमारे घरो में घुसना है तो उन्हें सबसे पहले महसूस करना, सोचना और क्रियशील होना पड़ेगा।
रोबोट्स को बनाने वालों के लिए ये एक बड़ी चुनौती हैं।