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Telecom Bill 2022 Draft: OTT प्लेटफॉर्म को टेलीकॉम लाइसेंस के तहत लाने का प्रस्ताव, ट्राई से मांगी राय

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: विशाल मैथिल Updated Thu, 22 Sep 2022 04:12 PM IST
सार

भारतीय दूरसंचार विधेयक 2022 के ड्राफ्ट के अनुसार ग्राहकों के हित को ध्यान में रखते हुए टेलीकॉम कंपनियों को मनमानी करने से रोका जाएगा। सरकार इसके लिए टेलीकॉम कंपनियों के फीस, पेनल्टी, और अन्य सर्विस चार्जेस को पूरी तरह से हटा सकती है। 

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Telecom Bill 2022 draft released ott platform like internet calling messaging apps under telecom licence
टेलीकॉम स्पेक्ट्रम - फोटो : iStock
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विस्तार
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भारतीय दूरसंचार विभाग ने प्रस्तावित भारतीय दूरसंचार विधेयक 2022 (Indian Telecom Bill 2022) के ड्राफ्ट की सार्वजनिक घोषणा कर दी है। डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनकेशंस (DoT) ने इस बिल के फ्रेमवर्क पर दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) से 20 अक्टूबर तक सुझाव मांगे हैं। प्रस्तावित बिल के अनुसार ओवर-द-टॉप (OTT) की परिभाषा बदलने और इन्हें टेलीकॉम लाइसेंस के तहत लाने का प्रस्ताव रखा गया है। 

सर्विस चार्ज हटाएगी सरकार

टेलीकॉम सेक्टर की ग्लोबल कॉम्पिटिटिव बनाने के लिए यह ड्राफ्ट जारी किया गया है। इसके अनुसार जरूरत पड़ने पर स्पेक्ट्रम आवंटन या नीलामी का भी फैसला संभव है। साथ ही ग्राहकों के हित को ध्यान में रखते हुए टेलीकॉम कंपनियों को मनमानी करने से रोका जाएगा। सरकार इसके लिए टेलीकॉम कंपनियों के फीस, पेनल्टी, और अन्य सर्विस चार्जेस को पूरी तरह से हटा सकती है। 

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OTT की परिभाषा बदलने पर फोकस

दूरसंचार विभाग के नए विधेयक मसौदे के अनुसार ओवर-द-टॉप (OTT) की परिभाषा बदलने और इसे टेलीकॉम लाइसेंस के तहत लाने का प्रस्ताव रखा गया है। यानी इंटरनेट कॉलिंग और मैसेजिंग एप व्हाट्सएप, सिग्नल, टेलीग्राम, स्काईप के साथ-साथ सभी इंटरनेट आधारित कॉलिंग एप लाइसेंस फीस के दायरे में आएंगे। 

ट्राई से पहले भी मांगी गई थी राय

बता दें कि पिछले महीने ही दूरसंचार विभाग ने ट्राई से इंटरनेट कॉलिंग और मैसेजिंग एप को रेगुलेट करने के लिए राय मांगी थी। दूरसंचार विभाग के एक अधिकारी ने कहा था कि दूरसंचार विभाग व्हाट्सएप, सिग्नल, गूगल मीट जैसे इंटरनेट कॉलिंग और मैसेजिंग एप को अच्छे से रेगुलेट करने के लिए एक ढांचा तैयार कर रही है और इसके लिए ट्राई से इस बारे में विचार मांगे गए हैं। 

समान सेवा-समान नियम को लागू करने की हो रही थी मांग

दरअसल, काफी समय से टेलीकॉम ऑपरेटर्स सरकार से इंडस्ट्री में समान सेवा-समान नियम के सिद्धांत को लागू करने की मांग कर रहे हैं। टेलीकॉम ऑपरेटर्स का कहना है कि इंटरनेट कॉलिंग और मैसेजिंग एप को भी टेलीकॉम कंपनियों के बराबर लाइसेंस फीस का भुगतान करना चाहिए। 

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