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टेलीकॉम: TRAI ने COAI की आपत्तियों को किया खारिज, सैटकॉम सिफारिशों की समीक्षा से किया इनकार
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Wed, 04 Jun 2025 07:01 PM IST
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सार
सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) की आपत्तियों के बावजूद टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने सैटकॉम स्पेक्ट्रम सिफारिशों की समीक्षा से साफ इनकार कर दिया है। TRAI का कहना है कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रही है।

TRAI
- फोटो : FREEPIK
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विस्तार
टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने सैटेलाइट संचार (सैटकॉम) स्पेक्ट्रम को लेकर अपनी सिफारिशों की समीक्षा की किसी भी संभावना से साफ इनकार कर दिया है। TRAI के सूत्रों के अनुसार, इंडस्ट्री बॉडी COAI की आपत्तियों के बावजूद फिलहाल किसी समीक्षा की जरूरत नहीं है।
TRAI सूत्रों ने बताया कि स्पेक्ट्रम को लेकर दी गई सिफारिशें सरकार को एक विस्तृत और पारदर्शी परामर्श प्रक्रिया के बाद सौंपी गई हैं। परामर्श के दौरान सभी पक्षों को अपनी बात रखने का पर्याप्त अवसर दिया गया था। ऐसे में COAI की प्रतिक्रिया के आधार पर अब किसी भी समीक्षा की कोई आवश्यकता नहीं बनती।
TRAI की सिफारिशों पर आपत्ति
COAI (सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया), जिसमें रिलायंस जियो और एयरटेल जैसे बड़े नाम शामिल हैं, ने 29 मई को दूरसंचार विभाग (DoT) को पत्र लिखकर TRAI की सिफारिशों पर आपत्ति जताई थी। COAI ने कहा था कि ये सिफारिशें गलत धारणाओं पर आधारित हैं, जिससे सैटेलाइट सेवा प्रदाताओं को अनुचित लाभ मिलेगा और टेरेस्ट्रियल नेटवर्क की स्थिरता पर असर पड़ेगा।
COAI का आरोप है कि TRAI ने NGSO (नॉन-जियोस्टेशनरी ऑर्बिट) सैटेलाइट सेवाओं को टेरेस्ट्रियल ब्रॉडबैंड सेवा प्रदाताओं के मुकाबले नियामकीय रूप से आगे रखा है, जिससे प्रतिस्पर्धा प्रभावित होगी और समान स्तर का खेल मैदान नहीं मिलेगा।
ब्रॉडबैंड सेवाएं हो सकती हैं प्रभावित
TRAI की सिफारिश के अनुसार, स्टारलिंक जैसी सैटेलाइट कंपनियों को समायोजित सकल राजस्व (AGR) का 4% स्पेक्ट्रम शुल्क देना होगा। शहरी क्षेत्रों में ग्राहकों से प्रति वर्ष 500 रुपये अतिरिक्त लिए जाएंगे, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं होगा।
COAI का कहना है कि ये शुल्क बिना उचित आधार के तय किए गए हैं और इससे टेरेस्ट्रियल सेवाएं प्रभावित होंगी, जो देश की डिजिटल बुनियाद हैं।

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TRAI सूत्रों ने बताया कि स्पेक्ट्रम को लेकर दी गई सिफारिशें सरकार को एक विस्तृत और पारदर्शी परामर्श प्रक्रिया के बाद सौंपी गई हैं। परामर्श के दौरान सभी पक्षों को अपनी बात रखने का पर्याप्त अवसर दिया गया था। ऐसे में COAI की प्रतिक्रिया के आधार पर अब किसी भी समीक्षा की कोई आवश्यकता नहीं बनती।
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TRAI की सिफारिशों पर आपत्ति
COAI (सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया), जिसमें रिलायंस जियो और एयरटेल जैसे बड़े नाम शामिल हैं, ने 29 मई को दूरसंचार विभाग (DoT) को पत्र लिखकर TRAI की सिफारिशों पर आपत्ति जताई थी। COAI ने कहा था कि ये सिफारिशें गलत धारणाओं पर आधारित हैं, जिससे सैटेलाइट सेवा प्रदाताओं को अनुचित लाभ मिलेगा और टेरेस्ट्रियल नेटवर्क की स्थिरता पर असर पड़ेगा।
COAI का आरोप है कि TRAI ने NGSO (नॉन-जियोस्टेशनरी ऑर्बिट) सैटेलाइट सेवाओं को टेरेस्ट्रियल ब्रॉडबैंड सेवा प्रदाताओं के मुकाबले नियामकीय रूप से आगे रखा है, जिससे प्रतिस्पर्धा प्रभावित होगी और समान स्तर का खेल मैदान नहीं मिलेगा।
ब्रॉडबैंड सेवाएं हो सकती हैं प्रभावित
TRAI की सिफारिश के अनुसार, स्टारलिंक जैसी सैटेलाइट कंपनियों को समायोजित सकल राजस्व (AGR) का 4% स्पेक्ट्रम शुल्क देना होगा। शहरी क्षेत्रों में ग्राहकों से प्रति वर्ष 500 रुपये अतिरिक्त लिए जाएंगे, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं होगा।
COAI का कहना है कि ये शुल्क बिना उचित आधार के तय किए गए हैं और इससे टेरेस्ट्रियल सेवाएं प्रभावित होंगी, जो देश की डिजिटल बुनियाद हैं।