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Digital Detox: माता-पिता फोन में बिजी, तो बच्चों ने AI को बना लिया दोस्त! रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नीतीश कुमार Updated Tue, 16 Dec 2025 10:58 AM IST
सार

Digital Detox: क्या आपके बच्चे भी आपसे बातें शेयर करने के बजाय मोबाइल में खोए रहते हैं? एक रिपोर्ट ने डरावनी सच्चाई सामने रखी है। माता-पिता की व्यस्तता के कारण बच्चे अब इंसानों से नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से दिल की बातें कर रहे हैं। जानिए क्या है यह पूरा मामला।

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व्यस्कों में बढ़ी स्मार्टफोन की लत - फोटो : AI जनरेटेड
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स्मार्टफोन ने दुनिया को तो मुट्ठी में कर दिया है, लेकिन घरों के अंदर दूरियां बढ़ा दी हैं। विवो (Vivo) की ताजा 'स्विच ऑफ रिपोर्ट' में परिवारों के बीच बढ़ती डिजिटल दीवार को लेकर हैरान करने वाले दावे किए गए हैं। रिपोर्ट बताती है कि माता-पिता के पास समय न होने के कारण बच्चे अब भावनात्मक सहारे के लिए AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की शरण में जा रहे हैं।
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व्यस्त पेरेंट्स, अकेले बच्चे और AI 
रिपोर्ट का सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा यह है कि 67% बच्चे अब अपनी समस्याओं और सवालों के लिए AI टूल्स का सहारा लेते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके माता-पिता बहुत व्यस्त हैं। कई बच्चों के लिए तो AI ही अब टीचर और साथी बन गया है। स्थिति यह है कि हर 4 में से 1 बच्चा अब AI की वजह से अपने माता-पिता से कम बात कर रहा है। यह इशारा करता है कि बच्चों के लिए इमोशनल टाइम कितना जरूरत है।
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डिनर टेबल पर विलेन बना स्मार्टफोन 
अध्ययन में पाया गया कि डिनर ही वह समय है जब 72% बच्चे अपने परिवार के साथ सबसे ज्यादा वक्त बिताते हैं। लेकिन यहां भी मोबाइल फोन विलेन बन जाता है। 72% माता-पिता और 30% बच्चे मानते हैं कि डाइनिंग टेबल पर फोन चेक करना बातचीत का सबसे बड़ा दुश्मन है। जब माता-पिता काम के बहाने बार-बार फोन देखते हैं, तो टीनेजर्स खुद को अनदेखा महसूस करते हैं और बातचीत बीच में ही बंद कर देते हैं।

फोन हटेगा तभी बात बनेगी 
राहत की बात यह है कि बच्चे और माता-पिता दोनों बदलाव चाहते हैं। 91% बच्चों ने माना कि जब आसपास फोन नहीं होता, तो वे अपने दिल की बात ज्यादा आसानी से कह पाते हैं। सर्वे के मुताबिक, जिन परिवारों ने 'नो-फोन डिनर' यानी बिना फोन देखे खाना शुरू किया है, वहां रिश्तों में भावनात्मक मजबूती लौटी है।

विवो की यह रिपोर्ट साफ संदेश देती है कि तकनीक का इस्तेमाल रिश्तों को जोड़ने के लिए होना चाहिए, उनकी जगह लेने के लिए नहीं। छोटी-छोटी आदतें, जैसे खाना खाते वक्त फोन दूर रखना, परिवार को फिर से करीब ला सकती हैं।
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