{"_id":"6909b46c16883edbbe0e0ec5","slug":"bangladesh-jei-chief-issues-apology-for-party-s-past-mistakes-ahead-of-elections-in-february-2025-11-04","type":"story","status":"publish","title_hn":"Bangladesh: चुनाव से पहले सियासत तेज, जमात-ए-इस्लामी ने पिछली गलतियों के लिए देशवासियों से मांगी माफी","category":{"title":"World","title_hn":"दुनिया","slug":"world"}}
    Bangladesh: चुनाव से पहले सियासत तेज, जमात-ए-इस्लामी ने पिछली गलतियों के लिए देशवासियों से मांगी माफी
 
            	    वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ढाका             
                              Published by: पवन पांडेय       
                        
       Updated Tue, 04 Nov 2025 01:38 PM IST
        
       
            सार 
            
            
        
                                    
                बांग्लादेश में फरवरी 2026 में होने वाले आम चुनाव से पहले राजनीतिक दलों की तरफ से अपनी छवि सुधारने की कोशिश की जा रही है। इस कड़ी में जमात-ए-इस्लामी प्रमुख शफीकुर रहमान ने पार्टी की पिछली गलतियों के लिए देशवासियों से माफी मांगी है।
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                        शफीकुर रहमान, प्रमुख, बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी
                                    - फोटो : ANI 
                    
    
        
    
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विस्तार
                                                 
                बांग्लादेश की राजनीतिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) के अमीर शफीकुर रहमान ने अपनी पार्टी की 'पुरानी गलतियों' के लिए बिना शर्त माफी मांगी है। फरवरी 2026 में होने वाले आम चुनावों से पहले यह माफी कई राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है। जेईआई चीफ शफीकुर रहमान ने 22 अक्तूबर को न्यूयॉर्क में पत्रकारों से कहा, '1947 से अब तक, जिन-जिन लोगों को हमारी वजह से कोई कष्ट या नुकसान हुआ, हम उनसे दिल से माफी मांगते हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि यह माफी सभी के लिए है, 'किसी एक दिन या घटना के लिए नहीं, बल्कि हर उस समय के लिए जब किसी को हमारी वजह से पीड़ा मिली।'
                                
                
                
                 
                    
                                                                                                        
                                                
                        
                        
                        
                                                                                      
                   
                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
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आलोचकों ने कहा- माफी अधूरी और अस्पष्ट
वहीं शफीकुर रहमान के इस माफीनामे की कुछ लोग जमकर आलोचना कर रहे हैं, आलोचकों का कहना है कि यह माफी अधूरी और अस्पष्ट है। इसमें यह साफ नहीं किया गया कि पार्टी किस अपराध या गलती के लिए माफी मांग रही है। खासतौर पर 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान किए गए अपराधों और नरसंहारों का कोई सीधा उल्लेख नहीं है।
                                
                
                
                                
                
                                                                                     
            
                            
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
1971 - जमात का काला अध्याय
बता दें कि 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जमात-ए-इस्लामी ने पाकिस्तान के साथ मिलकर काम किया था। उस समय 'अल-बदर', 'अल-शम्स' और 'रजाकार' नाम के अर्धसैनिक संगठन बने, जिन पर स्वतंत्रता सेनानियों, महिलाओं और आम नागरिकों की हत्या के गंभीर आरोप हैं। इन संगठनों को जमात से ही जोड़ा जाता है। जेईआई चीफ ने माफी मांगने के बाद कहा कि पार्टी पहले भी कई बार माफी मांग चुकी है, 'प्रोफेसर गुलाम आजम ने माफी मांगी थी, मौलाना मतीउर रहमान ने भी मांगी थी, और मैंने भी पहले माफी मांगी थी।'
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                                                                
                                
                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
हसीना सरकार के पतन के बाद जमात पर से हटा प्रतिबंध
विशेषज्ञों का मानना है कि यह माफी पार्टी की राजनीतिक वापसी की कोशिश का हिस्सा है। अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद जमात पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया था। इसके बाद से पार्टी फिर सक्रिय हो गई है, छात्र संघ चुनावों में हिस्सा ले रही है और दूसरे इस्लामी दलों के साथ गठजोड़ बना रही है।
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
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शफीकुर रहमान ने किया पार्टी का बचाव
वहीं आलोचनाओं पर जवाब देते हुए रहमान ने कहा, 'किसी ने कहा कि माफी का तरीका ऐसा नहीं होना चाहिए था। मैंने बिना किसी शर्त के माफी मांगी है, इससे आगे क्या कहा जा सकता है?' उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई पार्टी यह दावा करे कि उसने कभी गलती नहीं की, तो जनता उसे स्वीकार नहीं करेगी। रहमान के इस बयान को कई लोग चुनावी रणनीति मान रहे हैं। बांग्लादेश के राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 1971 के जख्म अब भी लोगों के दिलों में ताजा हैं, और जमात की साख सुधारना आसान नहीं होगा।
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                                                
                                
                                
                
                                                                
                               
                                                        
        
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            आलोचकों ने कहा- माफी अधूरी और अस्पष्ट
वहीं शफीकुर रहमान के इस माफीनामे की कुछ लोग जमकर आलोचना कर रहे हैं, आलोचकों का कहना है कि यह माफी अधूरी और अस्पष्ट है। इसमें यह साफ नहीं किया गया कि पार्टी किस अपराध या गलती के लिए माफी मांग रही है। खासतौर पर 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान किए गए अपराधों और नरसंहारों का कोई सीधा उल्लेख नहीं है।
1971 - जमात का काला अध्याय
बता दें कि 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जमात-ए-इस्लामी ने पाकिस्तान के साथ मिलकर काम किया था। उस समय 'अल-बदर', 'अल-शम्स' और 'रजाकार' नाम के अर्धसैनिक संगठन बने, जिन पर स्वतंत्रता सेनानियों, महिलाओं और आम नागरिकों की हत्या के गंभीर आरोप हैं। इन संगठनों को जमात से ही जोड़ा जाता है। जेईआई चीफ ने माफी मांगने के बाद कहा कि पार्टी पहले भी कई बार माफी मांग चुकी है, 'प्रोफेसर गुलाम आजम ने माफी मांगी थी, मौलाना मतीउर रहमान ने भी मांगी थी, और मैंने भी पहले माफी मांगी थी।'
हसीना सरकार के पतन के बाद जमात पर से हटा प्रतिबंध
विशेषज्ञों का मानना है कि यह माफी पार्टी की राजनीतिक वापसी की कोशिश का हिस्सा है। अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद जमात पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया था। इसके बाद से पार्टी फिर सक्रिय हो गई है, छात्र संघ चुनावों में हिस्सा ले रही है और दूसरे इस्लामी दलों के साथ गठजोड़ बना रही है।
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शफीकुर रहमान ने किया पार्टी का बचाव
वहीं आलोचनाओं पर जवाब देते हुए रहमान ने कहा, 'किसी ने कहा कि माफी का तरीका ऐसा नहीं होना चाहिए था। मैंने बिना किसी शर्त के माफी मांगी है, इससे आगे क्या कहा जा सकता है?' उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई पार्टी यह दावा करे कि उसने कभी गलती नहीं की, तो जनता उसे स्वीकार नहीं करेगी। रहमान के इस बयान को कई लोग चुनावी रणनीति मान रहे हैं। बांग्लादेश के राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 1971 के जख्म अब भी लोगों के दिलों में ताजा हैं, और जमात की साख सुधारना आसान नहीं होगा।