Sri Lanka: विक्रमसिंघे ने कोलंबो में प्रमुख सरकारी भवनों को सुरक्षा क्षेत्र घोषित करने के आदेश पर यू-टर्न लिया
23 सितंबर को विक्रमसिंघे ने संसद, सुप्रीम कोर्ट परिसर और राष्ट्रपति सचिवालय को उच्च सुरक्षा क्षेत्र घोषित कर दिया था और इसके परिसर के आसपास किसी भी तरह के विरोध या आंदोलन पर प्रतिबंध लगा दिया था।

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श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कोलंबो में प्रमुख सरकारी भवनों को उच्च सुरक्षा क्षेत्र घोषित करने के आदेश पर यू-टर्न लिया है। राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने शनिवार को एक विशेष राजपत्र जारी किया, जिसमें पिछले सप्ताह के आदेश को रद्द कर दिया। राष्ट्रपति ने यह कदम विपक्ष और देश के मानवाधिकार प्रहरी के लगातार दबाव के बाद उठाया है।

23 सितंबर को विक्रमसिंघे ने संसद, सुप्रीम कोर्ट परिसर और राष्ट्रपति सचिवालय को उच्च सुरक्षा क्षेत्र घोषित कर दिया था और इसके परिसर के आसपास किसी भी तरह के विरोध या आंदोलन पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह कदम, जिसे कई लोग लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) के दिनों में लगाए गए प्रतिबंधों की वापसी के रूप में देख रहे थे, जिसमें ऐसे प्रमुख स्थानों पर आत्मघाती विस्फोट हुए थे। उस समय दिए आदेश में प्रमुख सरकारी भवनों के आसपास कारों की पार्किंग पर भी रोक लगा दी गई थी।
शनिवार को राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा जारी एक विशेष गजट अधिसूचना के अनुसार, राजपत्र संख्या 2299/71 में राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने कहा कि वह उक्त आदेश को रद्द कर रहे हैं। 23 सितंबर को जारी एक अधिसूचना में, राष्ट्रपति सचिवालय ने प्रमुख सरकारी भवनों के इलाकों को उच्च सुरक्षा क्षेत्र घोषित किया था। अधिसूचना में कहा गया था कि संसद के आसपास के क्षेत्रों, सुप्रीम कोर्ट परिसर, कोलंबो में स्थित हाई कोर्ट परिसर, कोलंबो में मजिस्ट्रेट कोर्ट परिसर और अटॉर्नी जनरल के विभाग, राष्ट्रपति सचिवालय, राष्ट्रपति भवन, श्रीलंका नौसेना मुख्यालय और पुलिस मुख्यालय को उच्च सुरक्षा क्षेत्र घोषित किया गया है। इसमें रक्षा मंत्रालय और संसद के पास स्थित श्रीलंका सेना मुख्यालय, श्रीलंका वायु सेना मुख्यालय, प्रधानमंत्री कार्यालय, प्रधानमंत्री का आवास और रक्षा मंत्रालय के सचिव और तीनों बलों के कमांडरों के आधिकारिक निवास भी शामिल हैं।
अधिसूचना के अनुसार, उच्च सुरक्षा क्षेत्रों के रूप में घोषित क्षेत्रों में विरोध-प्रदर्शन और सार्वजनिक समारोहों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, जबकि किसी भी निर्दिष्ट स्थान के आसपास वाहन पार्किंग की भी अनुमति नहीं थी।
विक्रमसिंघे का यू-टर्न मुख्य विपक्षी पार्टी समागी जन बालवेगया (एसजेबी) के निरंतर दबाव के बीच आया, जिसने आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।श्रीलंका के मानवाधिकार आयोग ने भी इस कदम की निंदा की थी और इसे अवैध बताया था।