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US: शख्स को थी माइग्रेन की शिकायत, दिमाग में निकला कृमि
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: यशोधन शर्मा
Updated Mon, 18 Mar 2024 08:23 AM IST
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सार
अमेरिकन जर्नल ऑफ केस रिपोर्ट में प्रकाशित इस घटना में शोधकर्ताओं ने बताया कि अमेरिका में इससे पहले भी संक्रमित पोर्क (सुअर) के इन्फेक्शन से जुड़े मामले सामने आ चुके हैं, ऐसे में यह एक सामान्य केस है।

सांकेतिक तस्वीर
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विस्तार
अमेरिका में एक शख्स को लगातार माइग्रेन की शिकायत की थी। इसके बाद जांच में पता चला कि उसके दिमाग में कृमि (टेपवर्म का लार्वा) है। जानकारी के मुताबिक, 52 वर्षीय शख्स बार-बार माइग्रेन की शिकायत कर रहा था। लेकिन कुछ दिनों में ही हालात बिगड़ने लगी और दवाईयों ने काम करना बंद कर दिया।

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सीटी स्कैन में पता चला कि लगभग चार महीने से उसके दिमाग में जीवित था और अंडे दे रहा था। यह ऐसा परजीवी कीड़ा है, जो इंसानों और जानवरों को संक्रमित करता है। आमतौर पर यह आंतों में पाया जाता है, लेकिन कुछ परिस्थितियों में इसके लिए दिमाग तक पहुंचना भी कोई मुश्किल काम नहीं है।
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जानलेवा साबित हो सकता है संक्रमण
अमेरिकन जर्नल ऑफ केस रिपोर्ट में प्रकाशित इस घटना में शोधकर्ताओं ने बताया कि अमेरिका में इससे पहले भी संक्रमित पोर्क (सुअर) के इन्फेक्शन से जुड़े मामले सामने आ चुके हैं, ऐसे में यह एक सामान्य केस है। अब मरीज के दिमाग में जमा गांठ को डॉक्टरों ने खत्म कर दिया है। हालांकि, यह एक ऐसा संक्रमण है, जो किसी की जान भी ले सकता है।
पत्ता गोभी में पाया जाता है यह कीड़ा
सब्जियों में यह कीड़ा पत्ता गोभी में भी पाया जाता है। वहीं, मांसाहारी भोजन में यह कच्चा मांस खाने से दिमाग तक पहुंचता है। डॉक्टरों के मुताबिक, शख्स बचपन से अधपका या कच्चा मांस खाता रहा होगा। अधपके बेकन में कई बैक्टीरिया होते हैं, जो आंत में प्रवेश करके दिमाग तक चले जाते हैं।
क्या है सिस्टिसिरोसिस
सिस्टिसिरोसिस एक तरह का संक्रमण है जो पैरासाइट टेनिया सोलियम के लार्वा के कारण होता है, जिसे पोर्क टैपवार्म भी कहा जाता है, इससे दिमाग में गांठ बनने लगती है। यह शरीर से अपशिष्ट के रूप में बाहर निकल सकता है और संक्रमण फैलाता है।