Mars Transit 2025: मंगल का सिंह राशि में गोचर, जानें वृश्चिक राशि पर कैसा होगा असर ?
Mars Transit 2025: मंगल ग्रह एक उग्र स्वभाव वाले ग्रह हैं जो 7 जून का अपनी नीच राशि कर्क से निकलकर सूर्यदेव की राशि सिंह में प्रवेश कर चुके हैं। मंगल और सूर्य दोनों ही क्रूर ग्रह माने जाते है।

विस्तार
Mars Transit 2025: ग्रहों के सेनापति कहे जाने वाले मंगल किसी एक राशि में करीब 45 दिनों तक रहते हैं फिर इससे बाद दूसरी राशि में गोचर करते हैं। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में मंगलदेव को साहस, पराक्रम, युद्ध, रक्त, भूमि और सेना के कारक ग्रह माने गए हैं। मंगल ग्रह एक उग्र स्वभाव वाले ग्रह हैं जो 7 जून का अपनी नीच राशि कर्क से निकलकर सूर्यदेव की राशि सिंह में प्रवेश कर चुके हैं। मंगल और सूर्य दोनों ही क्रूर ग्रह माने जाते है। इस तरह से मंगल के राशि परिवर्तन का प्रभाव कुछ राशि के जातकों के लिए अच्छे परिणाम दे सकते हैं। आइए जानते हैं मंगल के सिंह राशि में गोचर करने से वृश्चिक राशि के जातकों पर किस तरह का प्रभाव देखने को मिलेगा।

वृश्चिक राशि पर मंगल के राशि परिवर्तन का प्रभाव
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए मंगल लग्न और छठे भाव के स्वामी होते हैं और अब मंगल आपके दशम भाव में गोचर कर रहें हैं। कुंडली का दशम भाव बहुत ही शुभ भावों में से एक होता है। लेकिन मंगल का दशम भाव में गोचर अच्छा नहीं माना जाता है। लेकिन मंगल अपने मित्र की राशि में रहेंगे जिससे कुछ अच्छा परिणाम देखने को मिल सकता है। इस दौरान ऊर्जा, उत्साह और जोश में जबरदस्त इजाफा हो सकता है। मान-सम्मान में इजाफा देखने को मिल सकता है। लेकिन इस दौरान आपको कार्यक्षेत्र में गंभीर होना होगा तभी अच्छे परिणाम की प्राप्ति हो सकती है। पिता के मामले में आपको सावधान रखने की जरूरत है।
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ज्योतिष में मंगल ग्रह का महत्व
वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह को विशेष महत्व दिया गया है। सभी ग्रहों में जहां सूर्य को राजा, बुध को राजकुमार तो वहीं मंगल को सेनापति का दर्जा मिला हुआ है। ज्योतिष में मंगल को ऊर्जा, उत्साह, पराक्रम, युद्ध, रक्त, साहस और पराक्रम का कारक होता है। मंगल ग्रह एक अग्नि तत्व की राशि है। ज्योतिष में मंगल ग्रह को क्रूर ग्रह भी माना जाता है। मंगल के कारण लोगों को विवाह में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मंगल ग्रह को मेष और वृश्चिक राशियों का स्वामित्व मिला हुआ है। यह मकर राशि में यानी 10 नंबर की राशि में उच्च के होते हैं जबकि कर्क राशि यानी 4 नंबर की राशि में नीच के होते हैं। जिन लोगों की कुंडली में मंगल शुभ स्थान में होते हैं और बली होते हैं ऐसा जातक स्वभाव से बहुत ही निडर और साहसी होता है। ऐसे व्यक्ति के अंदर साहस और पराक्रम बहुत ज्यादा रहता है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ अगर कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में हो तो जातक को कठिनाईयों का सामना करना पड़ता हैं। कुंडली में मंगल दोष होने पर व्यक्ति के विवाह में देरी और रुकावटों का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर किसी जातक की जन्मकुंडली में मंगल पहले चौथे, अष्टम और द्वादश भाव में बैठे होते हैं तो कुंडली में मंगल दोष बनता है। मंगल दोष को खत्म करने के लिए कुछ उपाय किए जाते हैं।
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