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Mars Transit 2025: मंगल का धनु राशि में परिवर्तन, जानें मकर राशि वालों पर किसी तरह पड़ेगा शुभ-अशुभ प्रभाव
ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Sat, 20 Dec 2025 11:04 AM IST
सार
Mangal Gochar 2025: मंगल 7 दिसंबर से धनु राशि में गोचर कर चुके हैं। मंगल के धनु राशि में गोचर करने से आइए जानते हैं मकर राशि वालों के जीवन में किस तरह का प्रभाव देखने को मिलेगा।
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ज्योतिष में मंगल ग्रह को सेनापति का दर्जा प्राप्त है
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
मंगल का धनु राशि में गोचर
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07 दिसंबर 2025 को शाम 7 बजकर 26 मिनट पर मंगल धनु राशि में गोचर कर चुके हैं। मंगल का एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करीब 45 दिनों के अंतराल पर होता है। ज्योतिष में मंगल ग्रह को योद्धा और साहस का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिष में मंगल ग्रह को उग्र ग्रह माना जाता है। साथ ही मंगल को साहस, युद्ध, पराक्रम, रक्त, शौर्य और जमीन का कारक ग्रह माना जाता है। मंगल ग्रह एक निश्चित अंतराल पर एक से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो देश-दुनिया के साथ-साथ हर एक राशि के जातकों के जीवन पर गहरा प्रभाव देखने को मिलता है। आइए जानते हैं मकर राशि वालों पर किस तरह का प्रभाव देखने को मिलेगा।
मकर राशि पर मंगल के गोचर का प्रभाव
मकर राशि वालों के लिए मंगल चौथे और ग्यारहवें भाव के स्वामी होते हैं। मंगल के धनु राशि में गोचर करने से यह आपके बारहवें भाव में होगा। ज्योतिष गणना के अनुसार बारहवां भाव में मंगल का गोचर आपके खर्चों में वृद्धि करवाता है। साथ विदेश यात्रा के योग भी बनता है। इसके अलावा मंगल का बारहवां भाव में गोचर मानसिक शांति को कम करता है। विदेशों में सफलता और रहस्यमयी विद्या में प्रगति के अवसर देता है। मंगल का आपके बारहवें भाव में गोचर करने से आपके खर्चों में बढ़ोतरी और कुछ मानसिक चिंताओं में वृद्धि करवाता है। मंगल के गोचर करने से करियर में स्थान परिवर्तन के योग बनवाता है। इसके अलावा आपको नई जगहों पर काम करने का अवसर मिल सकता है। जीवन के कुछ मामलों में सकारात्मक बदलाव की तरफ इशारा करता है। व्यापार में कई तरह की कड़ी प्रतिस्पर्धों का सामन करना होगा। ऐसे में आपको योजना बनाकर चलना होगा नहीं कुछ नुकसान भी उठाना पड़ेगा। आपको आर्थिक जीवन में आपके खर्चों में वृद्धि होगी। ऐसे में आपको आमदनी में संतुलन बनाकर चलना होगा।
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ज्योतिष में मंगल ग्रह
- वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल को सातवीं पूर्ण द्दष्टि के अलावा चौथे और आठवीं विशेष द्दष्टि प्राप्त है।
- कुंडली में मंगल दोष होने पर व्यक्ति के विवाह और दांपत्य जीवन में तरह-तरह की परेशानियां आती हैं। मंगल दोष होने पर विवाह में देरी होती है।
- अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में अगर मंगल पहले, चौथे, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में बैठे हुए हो तो कुंडली में मांगलिक दोष होता है।
- जिन व्यक्तियों के लग्न में मंगल ग्रह होते हैं वे सुंदर, तेज और ऊर्जावान होते हैं। लग्न में मंगल के होने पर व्यक्ति बहुत ही निडर, साहसी, खतरों का सामना करने वाला और पराक्री होता है। ऐसे व्यक्ति गुस्से वाला होता है और किसी भी तरह के दबाव में जल्दी नहीं आता है। ऐसे जातकों का करियर क्षेत्र सेना और पुलिस में होता है।
- अगर किसी जातक की जन्म कुंडली में मंगल बली होता है तो व्यक्ति के अंदर ऊर्जा और निडरता रहती है। ऐसा व्यक्ति अपने भाई-बहनों को तरक्की भी दिलाते हैं।
- कुंडली में मंगल के कमजोर होने पर व्यक्ति किसी न किसी दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है। मंगल के कमजोर या पीड़ित होने पर व्यक्ति के शत्रु हावी होते हैं। इसके अलावा कर्ज और जमीन संबंधी विवादों का सामना भी करना पड़ता है।
- मंगल मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी होते हैं। मेष राशि में मंगल ताकतवर हो जाते हैं। इस राशि में वो मूल त्रिकोण कहलाते हैं वहीं वृश्चिक राशि में स्वराशि के होते हैं। तीसरे, छठे और एकादश भाव में विराजमान मंगल को बेहद बलवान माना गया है।
- मंगल चंद्रमा, गुरु और बुध के साथ बेहद शुभ परिणाम देते हैं लेकिन सूर्य, राहु और शनि के साथ ये अशुभ हो जाते हैं।
- शुक्र के साथ मंगल की युति होने पर व्यक्ति में चरित्र दोष होता है।
- दशम भाव में सूर्य-मंगल-राहु की युति से जातक को कोई बड़ा पद दिलाने में कामयाब होते हैं। दशम भाव में मंगल सबसे अधिक बलवान होकर सबको साथ लेकर के चलते हैं।
- लग्न और सप्तम भाव में मंगल के होने पर व्यक्ति अंहकारी होता है।
- कुंडली के दूसरे और आठवें भाव में मंगल के होने पर व्यक्ति अपने परिवार को ज्यादा सुख नहीं दे पाता है।
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