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Mars Transit 2025: मंगल का सिंह राशि में गोचर, जानिए मेष राशि के जातकों पर कैसा पड़ेगा प्रभाव ?

ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला Published by: विनोद शुक्ला Updated Sat, 07 Jun 2025 03:26 PM IST
सार

Mars Transit 2025: साहस और पराक्रम के कारक ग्रह मंगल अब अपनी नीच राशि की यात्रा को विराम देते हुए सूर्य की राशि में प्रवेश कर गए हैं। मंगल के सिंह राशि में गोचर से मेष राशि पर कैसे और किस तरह का प्रभाव पड़ेगा। आइए जानते हैं। 

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मंगल का सिंह राशि में गोचर - फोटो : adobe stock
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विस्तार
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Mars Transit 2025: मंगल अब अपनी नीच राशि की यात्रा को छोड़कर सिंह राशि में प्रवेश कर चुके हैं। सिंह राशि के स्वामी ग्रह सूर्यदेव होते हैं। मंगल का सिंह राशि में यह गोचर 07 जून को हुआ है। पराक्रमी ग्रह मंगल इस राशि में 28 जुलाई 2025 तक रहेंगे। ज्योतिष में मंगल ग्रह को अग्नि तत्व की राशि माना गया है। ऐसे में अब मंगल का गोचर जल तत्व की राशि से अग्नि तत्व की राशि में प्रवेश किया है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में सिंह राशि और मंगल ग्रह दोनों को ही उग्र ग्रह माना जाता है। जिन जातकों की कुंडली में सिंह राशि में मंगल होते हैं वह बहुत ही जोश और उत्साह से भरपूर होते हैं। ये लोग अपने जीवन में सफलता हासिल करने के लिए काफी द्दढ़ निश्चयी होते हैं। मंगल का सिंह राशि में गोचर करने से सभी 12 राशियों पर प्रभाव देखने को मिलेगा। आइए जानते हैं मंगल के राशि परिवर्तन का मेष राशि के जातकों पर किस तरह का प्रभाव देखने को मिल सकता है। 

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मेष राशि पर मंगल के राशि परिवर्तन का प्रभाव
जिन लोगों की कुंडली मेष लग्न की है उनके लिए मंगल लग्न और आठवें भाव के स्वामी हैं और अब मंगल के सिंह राशि में गोचर करने से यह आपके पंचम भाव में गोचर करने जा रहे हैं। पंचम भाव में पहले से केतु विराजमान हैं ऐसे में मंगल-केतु की युति पंचम भाव में होने से कुछ मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान आपके मन में तरह-तरह के सवाल पैदा होंगे। छात्रों को पढ़ाई में अधिक ध्यान देने की जररूत है। आपकी राशि से पंचम भाव में मंगल-केतु की युति होने से परिवार के सदस्यों की बीच कुछ मनमुटाव पैदा हो सकता है। ऐसे में आपको मन में आने वाला नकारात्मक विचार को त्यागकर सकारात्मक विचार लाना होगा। 
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ज्योतिष में मंगल ग्रह का महत्व
वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह को विशेष महत्व दिया गया है। सभी ग्रहों में जहां सूर्य को राजा, बुध को राजकुमार तो वहीं मंगल को सेनापति का दर्जा मिला हुआ है। ज्योतिष में मंगल को ऊर्जा, उत्साह, पराक्रम, युद्ध, रक्त, साहस और पराक्रम का कारक होता है। मंगल ग्रह एक अग्नि तत्व की राशि है। ज्योतिष में मंगल ग्रह को क्रूर ग्रह भी माना जाता है। मंगल के कारण लोगों को विवाह में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मंगल ग्रह को मेष और वृश्चिक राशियों का स्वामित्व मिला हुआ है। यह मकर राशि में यानी 10 नंबर की राशि में उच्च के होते हैं जबकि कर्क राशि यानी 4 नंबर की राशि में नीच के होते हैं। जिन लोगों की कुंडली में मंगल शुभ स्थान में होते हैं और बली होते हैं ऐसा जातक स्वभाव से बहुत ही निडर और साहसी होता है। ऐसे व्यक्ति के अंदर साहस और पराक्रम बहुत ज्यादा रहता है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ अगर कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में हो तो जातक को कठिनाईयों का सामना करना पड़ता हैं। कुंडली में मंगल दोष होने पर व्यक्ति के विवाह में देरी और रुकावटों का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर किसी जातक की जन्मकुंडली में मंगल पहले चौथे, अष्टम और द्वादश भाव में बैठे होते हैं तो कुंडली में मंगल दोष बनता है। मंगल दोष को खत्म करने के लिए कुछ उपाय किए जाते हैं। 

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