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Vehicular Air Pollution: सीएजी की रिपोर्ट में दिल्ली में वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर गंभीर खामियां उजागर

ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अमर शर्मा Updated Fri, 04 Apr 2025 07:01 PM IST
सार

नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में दिल्ली में वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण को लेकर कई गंभीर खामियों की ओर इशारा किया है।

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Delhi Air Pollution Crisis: CAG Report Reveals Major Vehicle Emission Lapses
Car Pollution - फोटो : Freepik
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विस्तार
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नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में दिल्ली में वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण को लेकर कई गंभीर खामियों की ओर इशारा किया है। हाल ही में दिल्ली विधानसभा में पेश की गई इस रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUC) (पीयूसी) जारी करने में अनियमितताएं हैं, प्रदूषण कानूनों का सही से पालन नहीं हो रहा, और सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय की भारी कमी है। इन सभी कारणों ने राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता को और खराब कर दिया है।
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सीएजी की परफॉर्मेंस ऑडिट रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि वाहनों से होने वाले प्रदूषण का आकलन करने के लिए कोई रियल-टाइम अध्ययन नहीं किया गया। इसके अलावा, दिल्ली सरकार के पास शहर में चलने वाले वाहनों की संख्या, उनके प्रकार और उनसे निकलने वाले उत्सर्जन का कोई सटीक डेटा मौजूद नहीं है।
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सिर्फ 2.98 लाख पुराने वाहन हुए डीरजिस्टर
रिपोर्ट में पुराने और निष्क्रिय हो चुके वाहनों को हटाने में हुई खामियों को भी उजागर किया गया। दिल्ली को 2018-19 से 2020-21 के बीच 47.51 लाख ऐसे वाहनों का डीरजिस्ट्रेशन करना था, जो अपनी लाइफ पूरी कर चुके (एंड-ऑफ-लाइफ) थे। लेकिन, सिर्फ 2.98 लाख वाहन यानी महज 6.27 प्रतिशत वाहनों को ही सड़कों से हटाया गया। 94 प्रतिशत से ज्यादा पुराने वाहनों को नष्ट करने में हुई नाकामी से दिल्ली में प्रदूषण का स्तर और बढ़ गया।

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Delhi Air Pollution Crisis: CAG Report Reveals Major Vehicle Emission Lapses
Car Pollution - फोटो : Freepik
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 1.08 लाख से अधिक वाहनों को पीयूसी सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया। जबकि वे कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और हाइड्रोकार्बन (HC) के निर्धारित मानकों से अधिक प्रदूषण फैला रहे थे। इस प्रक्रिया में बड़ी खामी यह भी देखी गई कि कई वाहनों को कुछ ही सेकंड में पीयूसी प्रमाणपत्र दे दिए गए।

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सख्त निगरानी और सख्ती से कानून लागू करने की जरूरत
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 2015 से 2020 के बीच करीब 4,000 डीजल वाहनों ने प्रदूषण मानकों को पूरा नहीं किया। लेकिन कमजोर प्रमाणन प्रक्रिया के कारण वे कानूनी रूप से चलते रहे। सीएजी ने इस समस्या को गंभीर मानते हुए निगरानी और कानूनों को सख्ती से लागू करने की सिफारिश की है।

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Delhi Air Pollution Crisis: CAG Report Reveals Major Vehicle Emission Lapses
Car pollution - फोटो : AI
ऑडिट रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि सिर्फ 12 प्रतिशत वाहन फिटनेस परीक्षण स्वचालित फिटनेस केंद्रों पर किए गए। जबकि 90 प्रतिशत से अधिक परीक्षण दिल्ली के बुराड़ी केंद्र में हुए, जो ज्यादातर सिर्फ दृश्य निरीक्षण (विजुअल इंस्पेक्शन) पर आधारित थे।

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मार्च 2021 तक 347 वाहनों को प्रदूषण मानकों के उल्लंघन के कारण जब्त किया गया, लेकिन उन्हें स्क्रैप नहीं किया गया क्योंकि स्क्रैपिंग की पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं। मौजूदा वाहन जब्ती केंद्र सिर्फ 4,000 वाहन रख सकते हैं, जबकि 41 लाख से ज्यादा वाहन स्क्रैपिंग की कतार में हैं।

रिपोर्ट के आखिर में सीएजी ने यह भी बताया कि मौके पर प्रदूषण की जांच करने के लिए कर्मचारियों और पीयूसी परीक्षण उपकरणों की भारी कमी है।

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