{"_id":"694aa9c21e21d84ad600cc64","slug":"is-it-possible-to-convert-manual-car-to-automatic-in-india-know-cost-and-process-details-2025-12-23","type":"feature-story","status":"publish","title_hn":"Manual to Automatic Conversion: मैनुअल कार को ऑटोमैटिक में बदलना कितना आसान या मुश्किल? जानें पूरी डिटेल्स","category":{"title":"Automobiles","title_hn":"ऑटो-वर्ल्ड","slug":"automobiles"}}
Manual to Automatic Conversion: मैनुअल कार को ऑटोमैटिक में बदलना कितना आसान या मुश्किल? जानें पूरी डिटेल्स
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Tue, 23 Dec 2025 08:10 PM IST
सार
क्या मैनुअल कार को ऑटोमैटिक में बदला जा सकता है। यह टेक्निकली मुमकिन है, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस प्रोसेस में बड़े मैकेनिकल बदलाव शामिल हैं और यह महंगा हो सकता है।
विज्ञापन
कार गियर
- फोटो : AI
विज्ञापन
विस्तार
भारी ट्रैफिक में रोज-रोज क्लच दबाने और गियर बदलने से परेशान कई कार मालिक अपनी मैनुअल कार को ऑटोमैटिक में बदलवाने के विकल्प तलाशते हैं। तकनीकी रूप से यह संभव जरूर है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रक्रिया जितनी दिखती है, उससे कहीं ज्यादा जटिल और महंगी होती है। यह सिर्फ गियर लीवर बदलने या कोई बटन लगाने का मामला नहीं है। बल्कि इसमें कार के कई अहम मैकेनिकल और इलेक्ट्रॉनिक हिस्सों में बदलाव करना पड़ता है।
यह भी पढ़ें - Delhi Pollution: दिल्ली में ग्रैप-4 के तहत सख्ती, लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या पीयूसी जांच वाकई कारगर है?
Trending Videos
यह भी पढ़ें - Delhi Pollution: दिल्ली में ग्रैप-4 के तहत सख्ती, लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या पीयूसी जांच वाकई कारगर है?
विज्ञापन
विज्ञापन
कन्वर्जन की प्रक्रिया कैसे होती है?
मैनुअल कार को ऑटोमैटिक में बदलने के लिए सबसे बड़ा बदलाव ट्रांसमिशन सिस्टम में किया जाता है। इसमें क्लच सिस्टम को हटाना या मॉडिफाई करना, गियरबॉक्स बदलना और ऑटोमैटिक कंट्रोल सिस्टम लगाना शामिल होता है। कई वर्कशॉप्स या तो पूरा ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन किट इंस्टॉल करती हैं या फिर इंटेलिजेंट मैनुअल ट्रांसमिशन (IMT) सिस्टम लगाती हैं। जिसमें क्लच अपने आप काम करता है लेकिन गियर ड्राइवर को मैन्युअली शिफ्ट करने होते हैं।
इसके अलावा कार की वायरिंग, इंजन कंट्रोल यूनिट (ECU) और गियर लिंकेज में भी बदलाव किए जाते हैं। मैकेनिकल काम पूरा होने के बाद कार को रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (आरटीओ) में जांच के लिए पेश करना जरूरी होता है। ताकि रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) में ट्रांसमिशन टाइप का अपडेट किया जा सके।
यह भी पढ़ें - December Car Discounts 2025: दिसंबर 2025 में कार खरीदारों की बल्ले-बल्ले, जानें कौन सी कंपनी दे रही कितनी छूट
मैनुअल कार को ऑटोमैटिक में बदलने के लिए सबसे बड़ा बदलाव ट्रांसमिशन सिस्टम में किया जाता है। इसमें क्लच सिस्टम को हटाना या मॉडिफाई करना, गियरबॉक्स बदलना और ऑटोमैटिक कंट्रोल सिस्टम लगाना शामिल होता है। कई वर्कशॉप्स या तो पूरा ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन किट इंस्टॉल करती हैं या फिर इंटेलिजेंट मैनुअल ट्रांसमिशन (IMT) सिस्टम लगाती हैं। जिसमें क्लच अपने आप काम करता है लेकिन गियर ड्राइवर को मैन्युअली शिफ्ट करने होते हैं।
इसके अलावा कार की वायरिंग, इंजन कंट्रोल यूनिट (ECU) और गियर लिंकेज में भी बदलाव किए जाते हैं। मैकेनिकल काम पूरा होने के बाद कार को रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (आरटीओ) में जांच के लिए पेश करना जरूरी होता है। ताकि रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) में ट्रांसमिशन टाइप का अपडेट किया जा सके।
यह भी पढ़ें - December Car Discounts 2025: दिसंबर 2025 में कार खरीदारों की बल्ले-बल्ले, जानें कौन सी कंपनी दे रही कितनी छूट
भारत में कितना आता है खर्च?
भारत में मैनुअल से ऑटोमैटिक कन्वर्जन की लागत कार के मॉडल, इस्तेमाल किए गए सिस्टम और लेबर चार्ज पर काफी हद तक निर्भर करती है। छोटे और मिड-साइज कारों के लिए बेसिक ऑटोमैटिक या सेमी-ऑटोमैटिक किट की कीमत आमतौर पर करीब 70,000 रुपये से 1.3 लाख रुपये तक हो सकती है। वहीं, बड़ी या प्रीमियम कारों में इस्तेमाल होने वाले फुल ऑटोमैटिक गियरबॉक्स सिस्टम की कीमत 1.5 लाख से 2.5 लाख रुपये या उससे भी ज्यादा हो सकती है।
इस खर्च में कन्वर्जन किट, इंस्टॉलेशन चार्ज, ECU रीमैपिंग और कानूनी कागजी प्रक्रिया शामिल होती है। अगर किसी खास मॉडल के लिए पार्ट्स आसानी से उपलब्ध न हों, तो लागत और बढ़ सकती है।
यह भी पढ़ें - Luxury Cars: चीन के लग्जरी कार बाजार में हुआवेई की बड़ी छलांग, पोर्शे, मर्सिडीज और बीएमडब्ल्यू से ज्यादा बिक रही
भारत में मैनुअल से ऑटोमैटिक कन्वर्जन की लागत कार के मॉडल, इस्तेमाल किए गए सिस्टम और लेबर चार्ज पर काफी हद तक निर्भर करती है। छोटे और मिड-साइज कारों के लिए बेसिक ऑटोमैटिक या सेमी-ऑटोमैटिक किट की कीमत आमतौर पर करीब 70,000 रुपये से 1.3 लाख रुपये तक हो सकती है। वहीं, बड़ी या प्रीमियम कारों में इस्तेमाल होने वाले फुल ऑटोमैटिक गियरबॉक्स सिस्टम की कीमत 1.5 लाख से 2.5 लाख रुपये या उससे भी ज्यादा हो सकती है।
इस खर्च में कन्वर्जन किट, इंस्टॉलेशन चार्ज, ECU रीमैपिंग और कानूनी कागजी प्रक्रिया शामिल होती है। अगर किसी खास मॉडल के लिए पार्ट्स आसानी से उपलब्ध न हों, तो लागत और बढ़ सकती है।
यह भी पढ़ें - Luxury Cars: चीन के लग्जरी कार बाजार में हुआवेई की बड़ी छलांग, पोर्शे, मर्सिडीज और बीएमडब्ल्यू से ज्यादा बिक रही
क्या हैं इसके फायदे और सीमाएं
ऑटोमैटिक कन्वर्जन का सबसे बड़ा फायदा शहर के ट्रैफिक में आरामदायक ड्राइविंग और कम थकान है। क्लच ऑपरेट करने की जरूरत खत्म हो जाती है, जिससे रोजमर्रा की ड्राइविंग ज्यादा स्मूद हो जाती है। खासकर बुज़ुर्ग ड्राइवरों या घुटनों की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए यह राहत भरा विकल्प हो सकता है।
लेकिन विशेषज्ञ यह भी चेतावनी देते हैं कि हर मामले में यह सौदा फायदेमंद नहीं होता। कई बार कन्वर्जन पर आने वाला कुल खर्च, उसी मॉडल की फैक्ट्री-फिटेड ऑटोमैटिक कार और मैनुअल वर्जन के बीच के प्राइस डिफरेंस से भी ज्यादा हो जाता है। ऐसे में मैनुअल कार बेचकर सीधे ऑटोमैटिक कार खरीदना ज्यादा समझदारी भरा फैसला हो सकता है।
यह भी पढ़ें - Delhi EV Policy: दिल्ली की नई ईवी नीति 2026 में होगी लागू, सब्सिडी, चार्जिंग नेटवर्क और स्क्रैपेज पर होगा फोकस
ऑटोमैटिक कन्वर्जन का सबसे बड़ा फायदा शहर के ट्रैफिक में आरामदायक ड्राइविंग और कम थकान है। क्लच ऑपरेट करने की जरूरत खत्म हो जाती है, जिससे रोजमर्रा की ड्राइविंग ज्यादा स्मूद हो जाती है। खासकर बुज़ुर्ग ड्राइवरों या घुटनों की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए यह राहत भरा विकल्प हो सकता है।
लेकिन विशेषज्ञ यह भी चेतावनी देते हैं कि हर मामले में यह सौदा फायदेमंद नहीं होता। कई बार कन्वर्जन पर आने वाला कुल खर्च, उसी मॉडल की फैक्ट्री-फिटेड ऑटोमैटिक कार और मैनुअल वर्जन के बीच के प्राइस डिफरेंस से भी ज्यादा हो जाता है। ऐसे में मैनुअल कार बेचकर सीधे ऑटोमैटिक कार खरीदना ज्यादा समझदारी भरा फैसला हो सकता है।
यह भी पढ़ें - Delhi EV Policy: दिल्ली की नई ईवी नीति 2026 में होगी लागू, सब्सिडी, चार्जिंग नेटवर्क और स्क्रैपेज पर होगा फोकस
कानूनी और सेफ्टी से जुड़े पहलू
कार को ऑटोमैटिक में बदलवाने के बाद सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी करना बेहद जरूरी है। आरटीओ से अप्रूवल लेना, आरसी अपडेट कराना और इंश्योरेंस कंपनी को बदलाव की जानकारी देना अनिवार्य होता है। अगर दस्तावेज अपडेट नहीं किए गए या इंश्योरेंस को सूचना नहीं दी गई, तो दुर्घटना या क्लेम के समय गंभीर दिक्कतें आ सकती हैं।
कुल मिलाकर, मैनुअल कार को ऑटोमैटिक में बदलना तकनीकी रूप से संभव है। लेकिन यह फैसला सोच-समझकर, सही बजट और कानूनी प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए ही लेना चाहिए।
यह भी पढ़ें - Jaguar F-Pace: जगुआर ने खत्म किया 90 साल का पेट्रोल-डीजल दौर, आखिरी एफ-पेस के साथ इलेक्ट्रिक भविष्य की ओर कदम
यह भी पढ़ें - Fog Driving: सर्दियों में कैसे करें सुरक्षित ड्राइविंग, कोहरे और कम विजिबिलिटी में गाड़ी चलाने के जरूरी टिप्स
यह भी पढ़ें - Fuel Level: सर्दियों में गाड़ी या बाइक का टैंक खाली रखना क्यों पड़ सकता है भारी? जानिए इसके बड़े नुकसान
यह भी पढ़ें - Upcoming Car Launches 2026: नए साल में नई कारों की आएगी बाढ़, इन एसयूवी और इलेक्ट्रिक वाहनों पर रहेगी नजर
कार को ऑटोमैटिक में बदलवाने के बाद सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी करना बेहद जरूरी है। आरटीओ से अप्रूवल लेना, आरसी अपडेट कराना और इंश्योरेंस कंपनी को बदलाव की जानकारी देना अनिवार्य होता है। अगर दस्तावेज अपडेट नहीं किए गए या इंश्योरेंस को सूचना नहीं दी गई, तो दुर्घटना या क्लेम के समय गंभीर दिक्कतें आ सकती हैं।
कुल मिलाकर, मैनुअल कार को ऑटोमैटिक में बदलना तकनीकी रूप से संभव है। लेकिन यह फैसला सोच-समझकर, सही बजट और कानूनी प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए ही लेना चाहिए।
यह भी पढ़ें - Jaguar F-Pace: जगुआर ने खत्म किया 90 साल का पेट्रोल-डीजल दौर, आखिरी एफ-पेस के साथ इलेक्ट्रिक भविष्य की ओर कदम
यह भी पढ़ें - Fog Driving: सर्दियों में कैसे करें सुरक्षित ड्राइविंग, कोहरे और कम विजिबिलिटी में गाड़ी चलाने के जरूरी टिप्स
यह भी पढ़ें - Fuel Level: सर्दियों में गाड़ी या बाइक का टैंक खाली रखना क्यों पड़ सकता है भारी? जानिए इसके बड़े नुकसान
यह भी पढ़ें - Upcoming Car Launches 2026: नए साल में नई कारों की आएगी बाढ़, इन एसयूवी और इलेक्ट्रिक वाहनों पर रहेगी नजर