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SBI Report: शहरों व गांवों की उपभोग असमानता में कमी; एसबीआई की रिपोर्ट में दावा, केंद्र की इस योजना से फायदा

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Fri, 03 Jan 2025 12:14 PM IST
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सार

एसबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (एमपीसीई) में अंतर उल्लेखनीय रूप से कम हुआ है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच एमपीसीई के प्रतिशत के रूप में व्यक्त अंतर 2009-10 के 88.2 प्रतिशत से घटकर 69.7 प्रतिशत हो गया है। आइए इस बारे में विस्तार से जानें।

Consumption inequality declining mostly due to direct benefit scheme: SBI Report
भारतीय स्टेट बैंक - फोटो : amarujala.com
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विस्तार
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देश में शहरों और गांवों बीच खपत की असमानता में बड़ी गिरावट आई है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिपोर्ट में इसकी पुष्टि की गई है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में उपभोग असमानता में उल्लेखनीय गिरावट देखी जा रही है। 

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रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (एमपीसीई) में अंतर उल्लेखनीय रूप से कम हुआ है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच एमपीसीई के प्रतिशत के रूप में व्यक्त अंतर 2009-10 के 88.2 प्रतिशत से घटकर 69.7 प्रतिशत हो गया है।
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यह सुधार मुख्य रूप से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी), ग्रामीण बुनियादी ढांचे में वृद्धि, किसानों की आय बढ़ाने के प्रयासों और ग्रामीण आजीविका में समग्र सुधार सहित सरकार की पहलों के कारण है। रिपोर्ट के अनुसार, "ग्रामीण और शहरी मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय/एमपीसीई और ग्रामीण एमपीसीई के बीच का अंतर अब 69.7 प्रतिशत है, जो 2009-10 के 88.2 प्रतिशत से तेजी से कम हुआ है...मुख्य रूप से डीबीटी हस्तांतरण के कारण इसमें कमी आई है।।"

निष्कर्ष बताते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में असमानता (गिनी गुणांक समतुल्य का उपयोग करके मापी गई) 0.365 से घटकर 0.306 हो गई है। यह ग्रामीण भारत में आय के अधिक न्यायसंगत वितरण को इंगित करता है। इसी तरह, शहरी क्षेत्रों में असमानता 0.457 से घटकर 0.365 हो गई है, जो संतुलित उपभोग में बढ़ावे का संकेत देते हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बिहार और राजस्थान जैसे ऐतिहासिक रूप से विकास में पिछड़े माने जाने वाले राज्य ग्रामीण-शहरी उपभोग अंतर को कम करने में उल्लेखनीय प्रगति कर रहे हैं। यह ग्रामीण पारिस्थितिकी प्रणालियों में अंतर्निहित कारकों के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।

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