Report: अक्तूबर-दिसंबर में आरबीआई कर सकता है दरों में 25 आधार अंकों की कटौती, मॉर्गन स्टेनली ने किया दावा
मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के अनुसार रिजर्व बैंक की अक्तूबर-दिसंबर में होने वाली आगामी मौद्रिक नीति समिति की बैठकों में नीतिगत दरों में 25 आधार अंकों की कमी किए जाने की उम्मीद है। इससे टर्मिनल नीति दर 5 प्रतिशत हो जाएगी। अनुमान लगाया गया है कि वित्त वर्ष 2026 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति औसतन 2.4 प्रतिशत रहेगी।

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भारतीय रिजर्व बैंक अक्तूबर और दिसंबर में ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती कर सकता है। मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट में यह संभावना जताई गई है। वैश्विक ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि केंद्रीय बैंक के पास अब मौद्रिक ढील की गुंजाइश है, क्योंकि महंगाई लक्ष्य से नीचे बनी है।

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सीपीआई का औसतन 2.4% रहने का अनुमान
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वित्त वर्ष 2026 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति औसतन 2.4 प्रतिशत रहेगी। यह आरबीआई के 4 प्रतिशत के मुद्रास्फीति लक्ष्य से काफी कम है।
सीपीआई पिछले सात महीनों में 4 प्रतिशत से नीचे रही
इसमें यह भी कहा गया है कि खाद्य कीमतों में गिरावट, हाल ही में जीएसटी दरों में कटौती और इनपुट कॉस्ट पर दबाव की कमी से डिसइन्फ्लेशनरी रुझान और तेज हो सकते हैं। मुख्य सीपीआई आधारित महंगाई पिछले सात महीनों से आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे बनी हुई है। इसका मुख्य कारण खाद्य कीमतों में नरमी को बताया गया है।
कोर महंगाई 4.2 प्रतिशत पर बनी हुई है
रिपोर्ट के अनुसार, कोर इंफ्लेशन 4.2 प्रतिशत पर सीमित दायरे में रहा है, जबकि कोर-कोर इंफ्लेशन 3.1 प्रतिशत पर है और पिछले 22 महीनों से 4 प्रतिशत से नीचे बना हुआ है। यह संकेत है कि देश में अंतर्निहित मुद्रास्फीति दबावों में लगातार नरमी जारी है।
सीपीआई में गिरावट को ध्यान में रखते हुए, व वास्तविक जीडीपी वृद्धि के स्थिर रहने के बावजूद नाममात्र जीडीपी वृद्धि में कमजोर प्रवृत्ति को देखते हुए, उम्मीद है कि आरबीआई अक्तूबर और दिसंबर में ब्याज दरों में ढील देगा।
जीडीपी में मामूली वृद्धि की संभावना
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अगर मुद्रास्फीति में कमजोर रुझान लंबे समय तक बना रहा, तो ब्याज दरों में ढील का चक्र और गहरा होने का जोखिम पैदा हो सकता है। कीमतों के दबाव में लगातार नरमी से केंद्रीय बैंक के लिए अतिरिक्त नीतिगत ढील देने की गुंजाइश और बढ़ जाएगी। साथ ही, रिपोर्ट में नाममात्र वृद्धि को लेकर चिंताएं भी उजागर की गई हैं। इसके कमजोर रहने की उम्मीद है।
वित्त वर्ष 26 में नाममात्र जीडीपी वृद्धि 8.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो कमजोर मूल्य प्रवृत्तियों को दर्शाता है। बाहरी मांग में कमी के जोखिम की ओर इशारा किया गया है। इसमें कहा गया है कि प्रतिकूल टैरिफ और अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ता के परिणाम से यह कमजोरी और बढ़ सकती है।