कृषि कानून वापस लेने का फैसला: कैप्टन ने बताया गुरु पर्व का तोहफा, नवजोत सिद्धू ने कहा-किसान मोर्चा की जीत
कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 11 माह से किसान आंदोलन कर रहे थे। पंजाब ही इस मामले में सिरमौर बना था। यहीं से किसान आंदोलन की शुरुआत हुई थी। ऐसे में कृषि कानून वापस लिए जाने के फैसले से पंजाब भर में हर्ष की लहर है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह देश के नाम संबोधन में एलान किया कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानून वापस लेगी। ये एलान होते ही पंजाब में खुशी का माहौल बन गया। कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में पंजाब सिरमौर बना था। गुरु पर्व पर पीएम के एलान पर पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खुशी जताई है। उन्होंने ट्वीट किया कि गुरु नानक जयंती के पवित्र अवसर पर हर पंजाबी की मांगों को मानने और तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद। मुझे विश्वास है कि केंद्र सरकार किसानी के विकास के लिए मिलकर काम करती रहेगी।
वहीं पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू ने इसे किसान संगठनों की जीत बताया हालांकि आज भी वे पंजाब सरकार को नसीहत देने से भी नहीं चूके। सिद्धू ने ट्वीट किया कि काले कानूनों को निरस्त करना सही दिशा में एक कदम है। नवजोत सिद्धू ने कहा कि गुरु नानक जयंती पर पीएम मोदी ने अपनी गलती स्वीकार की। पंजाब को माफ कर देना चाहिए क्योंकि एक नया अध्याय शुरू हो रहा है। इस जीत का श्रेय लेने की कोशिश किसी को नहीं करनी चाहिए, यह सब संयुक्त किसान मोर्चा के सत्याग्रह को जाता है। उन्हें बदनाम करने की कोशिश की गई लेकिन वे डटे रहे। पंजाब में एक रोड मैप के माध्यम से खेती को पुनर्जीवित करना पंजाब सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर रंधावा ने कहा कि किसान 11 महीने से आंदोलन कर रहे थे। इस दौरान करीब 700 किसानों की मौत हो गई। देर आए दुरुस्त आए। भारत सरकार ने अपनी गलती स्वीकार की और कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया। मैं इसका स्वागत करता हूं। सरकार को उन 700 परिवारों की भी मदद करनी चाहिए जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया, जैसा कि पंजाब सरकार ने किया।
संघर्ष में मरने वाले 700 किसानों के लिए जिम्मेदार भाजपा, माफी मांगे: बसपा
कृषि कानूनों के वापसी के फैसले को बसपा प्रदेश अध्यक्ष जसबीर सिंह गढ़ी ने किसानों की जीत को बताया है। किसान आंदोलन में संघर्ष के दौरान 700 किसानों की मौत के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराते हुए गढ़ी ने भाजपा से माफी मांगने की मांग की। उन्होंने मांग रखी कि केंद्र को शहीद किसानों के परिवारों को 50 लाख रुपये व सरकारी नौकरी देनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर किसानों की यह मांग पूरी हुई है। उनके आशीर्वाद के चलते ही तीनों कृषि कानून रद्द हुए हैं। गढ़ी ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा काले कृषि कानूनों को पास करने का अब तक का सबसे कलंकित फैसला था, जिसमें 700 के लगभग किसान शहीद हुए हैं।
उन्होंने कहा कि प्रकाश पर्व के मौके पर गुरु महाराज ने भाजपा नेताओं को बुद्धि बल बख्शा जिसके चलते प्रधान मंत्री मोदी ने यह फैसला किया। गढ़ी ने कहा कि किसानी संघर्ष को बदनाम करने में भी भाजपा नेताओं ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। किसानो के संघर्ष को दबाने के लिए हर प्रकार के हथकंडे भी अपनाए जिसके तहत देश के किसानों को भाजपा नेताओं ने कभी आतंकवादी, कभी पाकिस्तानी, कभी खालिस्तानी, कभी परजीवी एवं कभी आंदोलनजीवी कहा।
एसजीपीसी ने किया केंद्र का धन्यवाद
वहीं शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की प्रधान बीबी जागीर कौर ने श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के फैसले पर केंद्र सरकार का धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा कि आज गुरु नानक साहिब ने उनके मन में बस कर कानून वापस करवाए। इसके लिए गुरु नानक साहिब का लाख-लाख धन्यवाद। सरकार का इसलिए धन्यवाद कि उन्होंने गुरु साहिब की आवाज को पहचाना है।
भाकियू उगराहां के प्रधान ने बताया किसानों की जीत
प्रकाश सिंह बादल ने जताई खुशी
वहीं पंजाब के पांच बार के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खेती पर तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा को इतिहास में एक निर्णायक क्षण बताया। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। बादल ने शुक्रवार सुबह एक बयान में कहा कि दुनिया भर में किसान संघर्ष के इतिहास में यह सबसे बड़ी घटना है। मैं महान गुरु नानक देव जी महाराज को धन्यवाद देता हूं और अपने खेतों में कड़ी मेहनत करने वाले प्रत्येक किसान को बधाई देता हूं।
इन कानूनों को लागू करने से पहले किसानों से परामर्श नहीं किए जाने पर अफसोस जताते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतांत्रिक सरकारों के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि हितधारकों को भी शामिल किए बिना क्रूर कानून बनाए गए। किसी भी सरकार को कभी भी ऐसा नहीं करना चाहिए। बादल ने कहा कि इस निर्णय का प्रभाव किसानों से कहीं अधिक होगा और दुनिया भर में गरीबों और वंचितों के लिए न्याय के लिए संघर्ष पर व्यापक और दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा। बादल ने संघर्ष के दौरान मारने बाले किसानों पर दुख व्यक्त किया। मेरी संवेदना 700 से अधिक किसानों के परिवारों के साथ है, जिन्होंने इस न्यायपूर्ण और महान संघर्ष के पथ पर शहादत दी।
अहंकार की हार और किसानी की हुई जीत: रणदीप नाभा
केंद्र के कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के फैसले पर पंजाब के कृषि मंत्री रणदीप सिंह नाभा ने इसे किसानों की जीत और अहंकार की हार बताया है। नाभा ने कहा कि सरकार को यह फैसला पहले ले लेना चाहिए था। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े किसान आंदोलन को सफल बनाने के लिए देश के किसानों द्वारा झेली गई कठिनाइयों के लिए वह किसानों को सजदा करते हैं, जिसके चलते केंद्र सरकार को विवादास्पद कानून रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा। मंत्री ने कहा कि केंद्र का फैसला भी सराहनीय है, क्योंकि यह एलान इस पवित्र दिवस के अवसर पर किया गया है।
उन्होंने केंद्र को उन परिवारों के पुनर्वास की भी अपील की, जिन्होंने इन काले कृषि कानूनों के विरुद्ध आंदोलन के दौरान अपने सगे संबंधियों को गंवा दिया था। उन्होंने इस धरने के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों के लिए मुआवजे की भी मांग की। नाभा ने कहा कि हमारे 700 से अधिक किसान भाइयों और बहनों ने इन कानूनों को रद्द कराने के लिए आंदोलन दौरान अपनी जान गंवाई है। उनके बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा, जिनकी वजह से इन किसान विरोधी कानूनों को रद्द किया गया है। नाभा ने कहा कि यह कानून पूरी तरह अप्रासंगिक और किसानों की इच्छाओं के उलट था। उन्होंने कहा कि केंद्र को ऐसे किसानी फैसले लेने चाहिए थे, जो देश की किसानी के हितों की रक्षा करते हों।
परगट ने कृषि कानून रद्द होने को किसानों की ऐतिहासिक जीत बताया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा के बाद, पंजाब के मंत्री परगट सिंह ने शुक्रवार को कहा कि यह किसानों के संघर्ष की ऐतिहासिक जीत है। परगट ने ट्वीट किया कि मैं पूरे देश के किसानों को कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए बधाई देता हूं। यह उनके कठिन संघर्ष की ऐतिहासिक जीत है। संघर्ष का नेतृत्व करने वाले पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसानों और लोगों का नाम हमेशा इतिहास में अंकित रहेगा। उल्लेखनीय है कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में अगले साल की शुरुआत में होने वाले महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों से पहले हुई है। पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसान इन तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर 26 नवंबर, 2020 को दिल्ली सीमा पर पहुंचे थे।
किसान संघर्ष की हुई जीत : सुखबीर बादल
गुरु पर्व पर प्रधानमंत्री की ओर से तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने के एलान के बाद शिअद अध्यक्ष एवं सांसद सुखबीर बादल ने कहा कि किसान संघर्ष की बड़ी जीत हुई है। शुक्रवार को सांसद बठिंडा में बीबी वाला रोड पर पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि भगवान का शुक्र है कि केंद्र सरकार को अक्ल आ गई है। इससे पहले मौड मंडी में शिअद प्रत्याशी जगमीत सिंह बराड़ के पक्ष में जनसभा को संबोधित करते हुए सांसद बादल ने कहा कि पंजाब में पीड़ा आने पर क्या आप सोनिया गांधी, मोदी, केजरीवाल के पास जाएंगे। प्रदेश के लोग जानते हैं कि बादल परिवार हमेशा सबके बीच रहा है।