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अकांक्ष सेन हत्याकांड में जांच पर सवाल: दो थानों की अलग-अलग रिपोर्ट, अदालत ने दिए दोबारा जांच के आदेश
संवाद न्यूज एजेंसी, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Tue, 16 Dec 2025 09:05 AM IST
सार
9 फरवरी 2017 की देर रात एक पार्टी के दौरान अकांक्ष सेन की उसके दोस्त शेरा की हरमेहताब और उसके दोस्त बलराज सिंह रंधावा से कहासुनी हो गई थी। विवाद बढ़ने पर अकांक्ष ने शेरा का पक्ष लिया। आरोप है कि इसके बाद हरमेहताब सिंह ने बलराज रंधावा को उकसाया और आरोपी ने कार से कुचलकर अकांक्ष की हत्या कर दी।
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अकांक्ष सेन
- फोटो : फाइल
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विस्तार
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी के भतीजे अकांक्ष सेन की हत्या के मामले में आठ साल बाद जांच को लेकर बड़ा विरोधाभास सामने आया है।
आरोपी बलराज रंधावा की गिरफ्तारी को लेकर चंडीगढ़ पुलिस के दो थानों ने अदालत में अलग-अलग और परस्पर विरोधी रिपोर्ट पेश की, जिस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए दोबारा जांच के आदेश दिए हैं।
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आरोपी बलराज रंधावा की गिरफ्तारी को लेकर चंडीगढ़ पुलिस के दो थानों ने अदालत में अलग-अलग और परस्पर विरोधी रिपोर्ट पेश की, जिस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए दोबारा जांच के आदेश दिए हैं।
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मामले को बंद करने की मांग
सेक्टर-3 थाना पुलिस ने अदालत में अनट्रेस रिपोर्ट दाखिल कर मामले को बंद करने की मांग की। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मुख्य आरोपी बलराज रंधावा का अब तक कोई सुराग नहीं लग पाया है। दूसरी ओर, क्राइम ब्रांच ने अदालत को बताया कि आरोपी की गिरफ्तारी के प्रयास लगातार जारी हैं और उसे पकड़ने के लिए कनाडा सरकार से संपर्क किया गया है। इस संबंध में कनाडा सरकार से बातचीत चल रही है।अनट्रेस रिपोर्ट को स्वीकार करने से इन्कार
अदालत ने सेक्टर-3 थाने की अनट्रेस रिपोर्ट को स्वीकार करने से इन्कार दिया। न्यायाधीश ने रिपोर्ट को लौटाते हुए दोबारा जांच करने के आदेश दिए। सुनवाई के दौरान अदालत ने टिप्पणी की कि एक ही मामले में पुलिस के दो अलग-अलग यूनिट की रिपोर्ट एक-दूसरे के विपरीत हैं। एक थाना कह रहा है कि आरोपी का कोई सुराग नहीं है, जबकि दूसरा दावा कर रहा है कि गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं। अदालत ने इस स्थिति को गंभीर मानते हुए जांच में स्पष्टता लाने के निर्देश दिए।सेक्टर-3 थाने के जांच अधिकारी ने अदालत को बताया कि आरोपी के पैतृक गांव और संभावित ठिकानों पर कई बार दबिश दी गई लेकिन कोई ठोस जानकारी नहीं मिल सकी। हालांकि, अनट्रेस रिपोर्ट को डीएसपी सेंट्रल की ओर से भी स्वीकृति दिए जाने पर अदालत ने सवाल खड़े किए।
उल्लेखनीय है कि हत्या मामले की जांच पहले सेक्टर-3 थाने के पास थी जिसे बाद में क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया था। घटना के दो महीने बाद अदालत के आदेश पर आरोपी बलराज रंधावा को भगोड़ा घोषित किया गया था। भगोड़ा घोषित होने के बाद सेक्टर-3 थाना पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 174-ए के तहत अलग से एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें अब अनट्रेस रिपोर्ट पेश की गई थी।
पुलिस ने आरोपी के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू करते हुए मामला कनाडा के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस को भेजा था लेकिन दस्तावेजों में आपत्तियों के चलते फाइल वापस आ गई। पुलिस के अनुसार कनाडा की ओर से कई तकनीकी आपत्तियां जताई गई हैं, जिन्हें पूरा करने में समय लगेगा। फिलहाल यह फाइल लीगल रिमेंबरेंस विभाग को भेजी गई है।