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सीआरपीएफ कांस्टेबल की मौत पर परिवार को 43.25 लाख का मुआवजा

ब्यूरो/अमर उजाला, चंडीगढ़ Updated Tue, 12 Apr 2016 01:34 AM IST
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death in accident of CRPF constable, compensation to family
उपभोक्ता आयोग - फोटो : DEMO Pics
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पिछले साल फरवरी में हल्लोमाजरा लाइट प्वाइंट पर सीआरपीएफ के हेड कांस्टेबल रिंकी की मौत के मामले में मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (एमएसीटी) ने उसके परिवार के लिए 43,25,500 रुपये का मुआवजा मंजूर किया है।



यह मुआवजा मृतका की मां, पिता और भाई को 7.5 प्रतिशत ब्याज दर समेत मिलेगा। ट्रिब्यूनल ने जिस कार से हादसा हुआ, उसके ड्राइवर जीरकपुर निवासी कृष्ण कुमार मेहता और इंश्योरेंस कंपनी को यह मुआवजा राशि चुकाने के आदेश दिए हैं। वहीं मृतका की मां मीना देवी को भी हादसे में चोटें लगी थीं, जिस पर उन्होंने भी अलग से क्लेम अपील दायर की थी। उसमें मीना देवी को अलग से 70 हजार रुपये 7.5 प्रतिशत ब्याज दर से मिलेंगे।
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संबंधित क्लेम याचिका 17 अप्रैल, 2015 को झारखंड की मीना देवी, उनके पति धर्म नाथ व बेटे राजेश कुमार ने एमएसीटी के तहत दायर की थी। इसमें प्रतिवादी पक्ष के तौर पर गाड़ी के ड्राइवर और मालिक जीरकपुर निवासी कृष्ण कुमार मेहता व नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड शामिल थी।

पिछले साल हुआ था हादसा 
15 फरवरी 2015 को सड़क हादसा हल्लोमाजरा लाइट प्वाइंट पर हुआ था। क्लेम याचिका के मुताबिक रिंकी कुमारी मां (मीना देवी) के साथ जेब्रा क्रासिंग पर सड़क पार करने के लिए खड़ी थी। इसी दौरान कृष्ण कुमार तेजी और लापरवाही से गाड़ी को रेड लाइट जंप करते हुए आया और उन्हें टक्कर मार दी। इससे मीना देवी और रिंकी को जीएमसीएच-32 में ले जाया गया।

वहां रिंकी को डॉक्टरों ने मृत बताया। वहीं मीना देवी को भी गंभीर चोट आईं थी। इसके अलावा एक अन्य पैदल चालक की भी हादसे में मौत हो गई थी। मृतका रिंकी सीआरपीएफ में हेड कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थी। सेक्टर-31 थाना पुलिस ने कृष्ण कुमार के खिलाफ केस दर्ज किया था। 

लापरवाही मानने से किया इंकार 
कृष्ण कुमार ने ट्रिब्यूनल के समक्ष दुर्घटना की बात को तो कबूल लिया, लेकिन यह मानने से इंकार कर दिया कि उसकी लापरवाही से यह हुआ। उसने कहा कि वह नॉर्मल स्पीड में चंडीगढ़ से जीरकपुर जा रहा था। हल्लोमाजरा लाइट प्वाइंट पर ग्रीन लाइट होने पर वह जैसे ही आगे बढ़े, तभी अचानक उनकी कार के आगे एक साइकिल सवार आ गया। उसे बचाने की कोशिश में उन्हें अचानक कार का स्टेयरिंग मोड दिया और इसी दौरान यह हादसा हो गया। वहीं इंश्योरेंस कंपनी की ओर से कहा गया कि हादसे के बारे में कार मालिक ने उन्हें कोई जानकारी नहीं दी। ऐसे में क्लेम याचिका मेंटेनेबल नहीं है। 

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