MIG-21: जासूसी मिशनों में भी रहा मिग-21 का जलवा, पाकिस्तान, कारगिल और ऑपरेशन ब्लू स्टार में अहम भूमिका
भारतीय वायुसेना का लड़ाकू विमान मिग-21 कुछ मिनटों बाद रिटायर होने वाला है। खास बात यह है कि इस जंगी जहाज का पहला घर चंडीगढ़ था और यहीं से ही इसे सेवानिवृत्त किया जा रहा है।
 
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स्ट्राइक के साथ-साथ जासूसी में भी मिग-21 का खूब जलवा रहा। हजारों फीट की ऊंचाई से टारगेट पर मिसाइल दाग तेज रफ्तार से गायब हो जाने वाले इस फुर्तीले लड़ाकू विमान ने कई टोही मिशनों को बखूबी अंजाम दिया है। इनमें पाकिस्तान में स्कार्दू की घाटी से लेकर कारगिल और ऑपरेशन ब्लू स्टार में मिग-21 ने अहम भूमिका निभाई थी।
 
साल 1963 में रूस से जो मिग-21 भारत को मिले उन्हें कई बार विभिन्न तकनीकों के साथ भारतीय इंजीनियरों ने अपग्रेड किया गया। हालांकि यह एक लड़ाकू विमान था मगर इसका इस्तेमाल जब टोही (जासूसी) विमान के रूप में किए जाने का निर्णय लिया गया तो इनमें टाइप 751 पैनोरमिक कैमरा समेत इलेक्ट्रानिक्स और अन्य संवेदेशनील उपकरण इंस्टॉल किए गए, जो टोही मिशनों के लिए मददगार बने।
वायुसेना के एक अधिकारी बताते हैं कि यह कैमरा उच्च गुणवत्ता की तस्वीरें लेने में सक्षम है। इसका उपयोग एयरक्राफ्ट की निगरानी और टारगेट पहचान के लिए किया जाता है। इससे वायुसेना के टोही और निगरानी अभियान अधिक सटीक व प्रभावशाली बन गए। इस अपग्रेडेशन के बाद खुफिया जानकारी और सूचना एकत्र करने के लिए भी मिग-21 का इस्तेमाल किया जाने लगा।
 
                                            मिग-21 के कुछ जासूसी मिशन
- साल 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान मिग-21 विमानों ने भारतीय वायुसेना को टोही मिशनों में सहायता की जिससे दुश्मन की स्थिति और गतिविधियों का पता लगाया जा सका।
- साल 1971 में भी भारत-पाकिस्तान युद्ध में मिग-21 को टोही कार्यों में लगाया गया। विमान ने दुश्मन के ठिकानों की पहचान करने में मदद की।
- स्कार्दू पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में स्थित है और कई कारणों से सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है।
 
                                            मिग-21 के कई टोही मिशन
साल 1984 से 1987 तक एयरफोर्स ने स्कार्दू में मिग-21 के कई टोही मिशन चलाए। इसका मकसद स्कार्दू क्षेत्र में दुश्मन की गतिविधियों पर निगरानी रखते हुए सामरिक जानकारी इकट्ठा करना था। इस मिशन ने भारतीय वायुसेना को स्कार्दू क्षेत्र में रणनीतिक जानकारी प्रदान की।
- कारगिल के बीडीए दर्रे पर मिग-21 का एफआर (फोटोग्राफिक रिकॉर्डिंग) मिशन वायुसेना का एक महत्वपूर्ण अभियान था। इस मिशन का उद्देश्य दुश्मन की स्थिति और गतिविधियों की जानकारी प्राप्त करना था। इस मिशन के तहत कारगिल युद्ध के दौरान मिग-21 की जासूसी से भारतीय सेना को बेहतर स्थिति की जानकारी मिली, जिससे उन्हें युद्ध में लाभ हुआ।
- साल 1984 में अमृतसर में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान मिग-21 का उपयोग मुख्य रूप से हवाई निगरानी और ग्राउंड पर ऑपरेशन को अंजाम दे रही फौज को समर्थन के लिए किया गया था। जरूरत पड़ने पर कार्रवाई के लिए इन्हें तैयार रखा गया था।
- अब तक भी भारत-पाकिस्तान और भारत-चीन सीमा पर नियमित निगरानी व संभावित खतरे का समय पर पता लगाने के लिए इनका उपयोग किया जाता रहा है।