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पंजाब-हरियाणा में 5200 जगहों पर जली पराली: एक हफ्ते तक प्रदूषण से नहीं मिलेगी राहत, 10 दिनों तक बारिश के भी आसार नहीं

रिशु राज सिंह/अमर उजाला/चंडीगढ़ Published by: ajay kumar Updated Wed, 10 Nov 2021 03:45 AM IST
सार

पंजाब-हरियाणा और चंडीगढ़ के लोगों को अभी प्रदूषण से राहत नहीं मिलने वाली है। मंगलवार को पंजाब और हरियाणा में 5200 स्थानों पर पराली जलाने के मामले सामने आए हैं। एक हफ्ते बाद ही धीरे-धीरे राहत मिलेगी। 

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Stubble burnt at 5200 places in Punjab and Haryana on Tuesday
मंगलवार को पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामले। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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पंजाब-हरियाणा सहित दिल्ली व एनसीआर में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर बना हुआ है। बारिश होगी तो प्रदूषण का स्तर घटेगा लेकिन अगले 10 दिनों तक बारिश के आसार नहीं हैं। पराली जलाने की घटनाएं कम होने के बजाय पिछले कुछ दिनों से बढ़ती जा रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगले एक हफ्ते तक प्रदूषण से लोगों का दम घुटता रहेगा।

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पीजीआई चंडीगढ़ और पंजाब विश्वविद्यालय के पर्यावरण विशेषज्ञ सैटेलाइट डाटा के जरिए पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रख रहे हैं। आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार 31 अक्तूबर से पांच नवंबर के बीच सबसे ज्यादा पराली जलाई जाती है। उसके बाद इसमें गिरावट आने लगती है। इसका कारण यह है कि नवंबर के पहले सप्ताह के बाद किसान दूसरी फसल की तैयारी में जुटते हैं। हालांकि, इस बार स्थिति बदल गई है। 
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नवंबर के दूसरे हफ्ते में भी पराली जलाई जा रही है। मंगलवार को पंजाब और हरियाणा में 5200 जगहों पर पराली जलाई गई। इस वजह से प्रदूषण बढ़ रहा है। 15 नवंबर के बाद पराली जलाने की घटनाएं कम हो सकती हैं। पंजाब विश्वविद्यालय की पर्यावरण विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सुमन मोर ने बताया कि पराली जलाने की घटनाओं में कमी नहीं आने के पीछे दो मुख्य कारण हैं। 

सरकार कोशिश कर रही है लेकिन जमीनी स्तर पर उसका खास असर नहीं दिख रहा है। किसान हल चाहते हैं लेकिन वह उसी तरीके को अपनाना चाहते हैं, जिसमें खर्च सबसे कम लगे। जब उन्हें कोई अन्य रास्ता नजर नहीं आता है तो वह पराली जलाते हैं।

मानसून के बदले पैटर्न ने बढ़ाई मुश्किलें

पीजीआई के पर्यावरण विज्ञान विशेषज्ञ रविंद्र खैवाल ने बताया कि हर साल एक नवंबर से पराली जलाने की घटनाएं कम होनी शुरू हो जाती थीं और 15 तक खत्म हो जाती थीं लेकिन इस बार 15 नवंबर से कम होने के आसार हैं। कारण है, मानसून का इस बार देरी से आना और देरी से जाना। उन्होंने बताया कि पराली से निकलने वाले कण को हवा से निकलने में कम से कम 7 से 28 दिन का वक्त लगता है।

अगले 10 दिन बारिश के आसार नहीं
पर्यावरण विज्ञान विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण से राहत तभी मिलेगी, जब बारिश होगी लेकिन अगले 10 दिन तक बारिश की कोई संभावना नहीं है। इसलिए ये स्थिति ऐसे ही बनी रहेगी। हालांकि, 15 नवंबर के बाद पराली जलने की घटनाएं कम होंगी तो वायु प्रदूषण धीरे-धीरे कम होगा। जो बड़े कण हैं, उनसे छुटकारा जल्द मिल जाएगा लेकिन छोटे कण को हवा से हटने में समय लगता है। 

  • कब           पंजाब-हरियाणा में कितनी जगह जलाई गई पराली
  • तीन नवंबर            2653
  • चार नवंबर            3205
  • पांच नवंबर            6008
  • छह नवंबर            4307
  • सात नवंबर           4810
  • आठ नवंबर          4685
  • नौ नवंबर             5200            

हरियाणा-पंजाब में कहां कितना प्रदूषण

  • जिला                         वायु गुणवत्ता सूचकांक
  • कैथल                                 418
  • जींद                                   406
  • फरीदाबाद (सेक्टर-11)          462
  • करनाल                              344
  • पानीपत                             388
  • पटियाला                           315
  • लुधियाना                          303
  • चंडीगढ़                            126
  • पंचकूला                           112

(मंगलवार शाम 5 बजे तक के आंकड़े)

ऐसे तय की जाती है श्रेणी
एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) को 0-50 के बीच ‘बेहतर’, 51-100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘सामान्य’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है।

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