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तनाव में विद्यार्थी: अगर बच्चों पर बना रहे हैं साइंस विषय चुनने का दबाव... तो जान लें इसका नुकसान
कविता बिश्नोई, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Fri, 26 May 2023 09:20 AM IST
सार
पंजाब यूनिवर्सिटी के सर्वे में सामने आया कि अधिकतर किशोर कला संकाय चुनना चाहते थे, लेकिन पारिवारिक दबाव के कारण उन्हें विज्ञान विषय का चयन करना पड़ा। वहीं वाणिज्य पढ़ने वाले किशोरों को भी परिवार से स्वीकार्यता नहीं मिलती है।
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तनाव में विद्यार्थी।
- फोटो : Demo pic
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विस्तार
सीनियर सेकेंडरी कक्षाओं में पढ़ाई को लेकर किशोर मानसिक तनाव का शिकार हो रहे हैं। पंजाब यूनिवर्सिटी के साइकोलॉजी विभाग की ओर से 16 से 18 वर्ष के किशोरों पर किए गए सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है। सर्वे में पंजाब के निजी स्कूलों के 450 किशोरों पर शोध किया गया। इसमें बच्चों से पढ़ाई को लेकर पारिवारिक माहौल और अभिभावकों के साथ उनकी पसंद को लेकर स्वीकार्यता व अस्वीकार्यता पर शोध सर्वेक्षण किया गया।
सर्वे में हर संकाय के 150 बच्चे शामिल
साइकोलॉजी विभाग से सहायक प्रोफेसर डॉ. अमित कुमार ने बताया कि उन्होंने सर्वे में 250 लड़के और 250 लड़कियों को शामिल किया था। उन्हें तीन ग्रुपों में विभाजित किया गया था। कला, वाणिज्य और विज्ञान प्रत्येक संकाय से 150 बच्चों को सर्वे में शामिल किया गया। सभी किशोर मध्यम वर्गीय और ऊपरी मध्यम वर्ग परिवारों से संबंध रखने वाले थे।
अभिभावकों को कॉमर्स भी कम पसंद
किशोरों ने सर्वे में बताया कि परिवार में माता-पिता विज्ञान को पढ़ने के लिए बेहतरीन विषय मानते हैं और ग्यारहवीं-बारहवीं में इसे पढ़ने के लिए दबाव बनाया जाता है। वहीं कला संकाय को पढ़ने के लिए सबसे कम स्वीकार्यता मिलती है। वाणिज्य को लेकर भी अभिभावक अधिक संतुष्ट नहीं हैं। इस कारण किशोर मजबूरन अभिभावकों की पसंद और उनकी ओर से स्वीकार किए गए विषयों को पढ़ने को मजबूर हैं, जिसके कारण वह मानसिक तनाव महसूस करते हैं। शोध कार्य विभाग के अध्यक्ष प्रो. रोशन लाल और प्रो. अनुराधा भंडारी के निर्देशन में किया गया।
पिता की ओर से किशोर सबसे अधिक निराश, नहीं देते समय
किशोरों ने सर्वे में बताया कि पिता की ओर से उन्हें बिल्कुल समय नहीं दिया जाता है, जिससे वे काफी निराश रहते हैं। वहीं गृहिणी माताओं के साथ कामकाजी माताओं की तुलना में किशोर अधिक समय बिता रहे हैं और प्यार का अहसास कर रहे हैं। सर्वे में सामने आया कि अभिभावकों में लड़ाई, व्यवहार, नकारता, क्रोध के कारण किशोर परिवार के सदस्यों के साथ अपनी बातें और परेशानियां साझा नहीं कर पा रहे हैं। अभिभावकों की ओर से किशोरों को अनभिज्ञता महसूस होती है, जो कि तनाव का कारण बन रहा है। माता-पिता के साथ संबंध किशोरों के विकास को आकार देते हैं।
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सर्वे में हर संकाय के 150 बच्चे शामिल
साइकोलॉजी विभाग से सहायक प्रोफेसर डॉ. अमित कुमार ने बताया कि उन्होंने सर्वे में 250 लड़के और 250 लड़कियों को शामिल किया था। उन्हें तीन ग्रुपों में विभाजित किया गया था। कला, वाणिज्य और विज्ञान प्रत्येक संकाय से 150 बच्चों को सर्वे में शामिल किया गया। सभी किशोर मध्यम वर्गीय और ऊपरी मध्यम वर्ग परिवारों से संबंध रखने वाले थे।
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अभिभावकों को कॉमर्स भी कम पसंद
किशोरों ने सर्वे में बताया कि परिवार में माता-पिता विज्ञान को पढ़ने के लिए बेहतरीन विषय मानते हैं और ग्यारहवीं-बारहवीं में इसे पढ़ने के लिए दबाव बनाया जाता है। वहीं कला संकाय को पढ़ने के लिए सबसे कम स्वीकार्यता मिलती है। वाणिज्य को लेकर भी अभिभावक अधिक संतुष्ट नहीं हैं। इस कारण किशोर मजबूरन अभिभावकों की पसंद और उनकी ओर से स्वीकार किए गए विषयों को पढ़ने को मजबूर हैं, जिसके कारण वह मानसिक तनाव महसूस करते हैं। शोध कार्य विभाग के अध्यक्ष प्रो. रोशन लाल और प्रो. अनुराधा भंडारी के निर्देशन में किया गया।
पिता की ओर से किशोर सबसे अधिक निराश, नहीं देते समय
किशोरों ने सर्वे में बताया कि पिता की ओर से उन्हें बिल्कुल समय नहीं दिया जाता है, जिससे वे काफी निराश रहते हैं। वहीं गृहिणी माताओं के साथ कामकाजी माताओं की तुलना में किशोर अधिक समय बिता रहे हैं और प्यार का अहसास कर रहे हैं। सर्वे में सामने आया कि अभिभावकों में लड़ाई, व्यवहार, नकारता, क्रोध के कारण किशोर परिवार के सदस्यों के साथ अपनी बातें और परेशानियां साझा नहीं कर पा रहे हैं। अभिभावकों की ओर से किशोरों को अनभिज्ञता महसूस होती है, जो कि तनाव का कारण बन रहा है। माता-पिता के साथ संबंध किशोरों के विकास को आकार देते हैं।