हरियाणा के गांवों की तकदीर बदलेगी लाखों की युवा फौज, जानें क्या है 'मेरा गांव-मेरा देश' थीम
हरियाणा में समाज सेवी सोच रखने वाले ऐसे युवाओं की फौज तैयार की जा रही है, जो अपने गांवों के कायाकल्प में अहम भूमिका निभाएंगे। युवाओं की यह टीम ‘मेरा गांव-मेरा देश’ सोच के साथ अपने गांवों की सूरत बदलने का प्रयास करेंगे। हरियाणा के 6841 गांवों में ऐसे 1 लाख से अधिक युवाओं की टीम खड़े करने का टारगेट है।
विकास एवं पंचायत विभाग हरियाणा ‘ग्रामीण विकास के लिए तरूण’ (ग्रवित) योजना के माध्यम से मिशन के लिए युवाओं को तैयार कर रहा है। अभी तक विभाग के पास 15 हजार से अधिक आवेदन आ चुके हैं और इनमें से 9 हजार स्वयंसेवकों (वालंटियर्स) को रजिस्टर्ड कराया जा चुका है।
विकास एवं पंचायत मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ के अनुसार हरियाणा स्थानीय स्वशासन में अपने युवाओं के योगदान से देश का सर्वोत्तम राज्य होगा। स्टेट प्रोजेक्ट अफसर डा. राजीव कटारिया के अनुसार इस योजना में युवाओं का बढ़िया रुझान देखने को मिल रहा है।
योजना का मकसद
सरकार की इस योजना का मकसद युवाओं की शक्ति को गांव के विकास में तेजी लाने के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में इस्तेमाल करना है। सरकार की सोच है कि युवा शक्ति अपने चारों तरफ के वातावरण से संतुष्ट नहीं है और बड़े बदलाव की अपेक्षा करती है। लिहाजा युवा शक्ति गांव में सामाजिक उत्थान एवं बदलाव में काफी योगदान दे सकती है।
बारहवीं पास, कंप्यूटर का ज्ञान होना जरूरी होगा
ग्रवित योजना के तहत बनने वाले वालंटियर्स को गांव का स्थायी निवासी होने के साथ-साथ 18 से 35 उम्र का होना, कम से कम बारहवीं पास और उसे कंप्यूटर का भी होना जरूरी है। ये युवा कम से कम एक साल या तीन साल अवधि तक अपना मिशन लेकर चलेंगे।
गांव में 3 वर्ष के संतोषजनक कार्य के बाद युवाओं को सरकार प्रमाणपत्र भी देगी। इन वालंटियर्स के कार्य का मूल्यांकन पहले तो खुद स्वयंसेवक आत्म मूल्यांकन के रूप करेंगे। इसके साथ-साथ उनकी मासिक रिपोर्ट के आधार पर उन्हें खंड, जिला व राज्य स्तरीय पर सर्वश्रेष्ठ स्वयंसेवक के रूप में पुरस्कृत भी किया जाएगा।
कुछ इस तरह काम करेंगे युवा
युवाओं की यह टीम अपने गांवों में कमजोर वर्ग के उत्थान में, स्त्री वर्ग के न्याय व सम्मान के लिए कार्य करना, गांवों की धरोहर व विरासत का सम्मान व सुरक्षा, लोगों में आपसी सहयोग, अपनी सुरक्षा और अपने आत्मबल को बढ़ावा देना, गांव में शांति और भाईचारे को बढ़ाना, ग्रामीणों को बैंकिंग व सरकारी योजनाओं की जानकारी देना, फूलों की खेती को बढ़ावा देना, जल संरक्षण, मृदा क्षरण को रोकना, ठोस व तरल कचरा प्रबंधन, कृषि व दैनिक जीवन में पर्यावरण सुरक्षा, ग्रामीणों को कर, बिजली-पानी बिल भरने को प्रेरित करना, विकास कार्यों में सामूहिक भूमिका बनना, ग्रामीणों को उनके अधिकारों व कर्त्तव्यों की जानकारी देना, गांव के पिछड़े व उपेक्षित वर्ग को आगे बढ़ाना इत्यादि अभियानों को चलाएगी।