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इबारत 2025: वीरों ने प्राण गंवाए... जो लौट के घर न आए, पंजाबियों के डीएनए में देशभक्ति और शहादत का जज्बा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: शाहरुख खान
Updated Wed, 31 Dec 2025 04:36 PM IST
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सार
साल 2025 में भी पंजाब के कई वीर सपूत विभिन्न इलाकों में अपने देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। इनके शव जब गांवों और घरों तक पहुंचे तो भले ही आंखें अश्कों से भरी थीं मगर उस शहादत पर सीना गर्व से चौड़ा हो रहा था, क्योंकि एक और जवान ने पंजाब में शहादत की परंपरा को कायम रखा...। ये वो शहीद थे, जो लौटकर घर नहीं पहुंचे मगर देशवासियों को पंजाब के इन सपूतों पर हमेशा फख्र रहेगा।
पंजाब के वीर शहीद
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
पंजाब का इतिहास कुर्बानियों से भरा पड़ा है। कहा जाता है कि देशभक्ति और शहादत का जज्बा पंजाबियों के डीएनए में है। सूबे का शायद ही कोई गांव ऐसा होगा, जो कुर्बानियों की कहानियों से न जुड़ा हो। सूबे के बुजुर्ग कहते हैं कि बच्चे भी यहां शहीदों के किस्से सुनकर ही बड़े होते हैं।
देश की आजादी हो या फिर सरहदों की सुरक्षा का मामला पंजाब की जवानी ने अपनी जान देकर यह साबित किया है उनके रहते दुश्मन देश की सरहद पार नहीं तो दूर आंख उठाकर नहीं देख सकता। पंजाब एक ऐसा सूबा है जिसकी 553 किलोमीटर तक सीमा पाकिस्तान की सरहद से सटी है।
यहां युवा में भारतीय सैन्य बलों में शामिल होकर देशसेवा का जज्बा रखते हैं और अपनी मां भूमि के लिए हंसते हुए अपने प्राण वार देते हैं। यही वजह है कि आज शहादत को पंजाबी अपनी समृद्ध परंपरा का हिस्सा मानते हैं।
साल 2025 में भी पंजाब के कई वीर सपूत विभिन्न इलाकों में अपने देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। इनके शव जब गांवों और घरों तक पहुंचे तो भले ही आंखें अश्कों से भरी थीं मगर उस शहादत पर सीना गर्व से चौड़ा हो रहा था, क्योंकि एक और जवान ने पंजाब में शहादत की परंपरा को कायम रखा...। ये वो शहीद थे, जो लौटकर घर नहीं पहुंचे मगर देशवासियों को पंजाब के इन सपूतों पर हमेशा फख्र रहेगा।
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देश की आजादी हो या फिर सरहदों की सुरक्षा का मामला पंजाब की जवानी ने अपनी जान देकर यह साबित किया है उनके रहते दुश्मन देश की सरहद पार नहीं तो दूर आंख उठाकर नहीं देख सकता। पंजाब एक ऐसा सूबा है जिसकी 553 किलोमीटर तक सीमा पाकिस्तान की सरहद से सटी है।
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यहां युवा में भारतीय सैन्य बलों में शामिल होकर देशसेवा का जज्बा रखते हैं और अपनी मां भूमि के लिए हंसते हुए अपने प्राण वार देते हैं। यही वजह है कि आज शहादत को पंजाबी अपनी समृद्ध परंपरा का हिस्सा मानते हैं।
साल 2025 में भी पंजाब के कई वीर सपूत विभिन्न इलाकों में अपने देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। इनके शव जब गांवों और घरों तक पहुंचे तो भले ही आंखें अश्कों से भरी थीं मगर उस शहादत पर सीना गर्व से चौड़ा हो रहा था, क्योंकि एक और जवान ने पंजाब में शहादत की परंपरा को कायम रखा...। ये वो शहीद थे, जो लौटकर घर नहीं पहुंचे मगर देशवासियों को पंजाब के इन सपूतों पर हमेशा फख्र रहेगा।
पिता के बाद पुत्र भी हुआ शहीद
जनवरी में पंजाब के मोगा जिले के लांस नायक कुलवंत सिंह को मरणोपरांत सेना मेडल से सम्मानित किया गया। उन्होंने पूंछ आतंकी हमले में बहादुरी से लड़ते हुए जान दे दी थी। दिल्ली में आयोजित एक समारोह में उनकी पत्नी हरदीप कौर ने यह मेडल वेस्टर्न कमांड के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार से प्राप्त किया। कुलवंत सिंह सिख लाइट इन्फैंट्री में थे। उनके पिता बलदेव सिंह भी जम्मू-कश्मीर में शहीद हो गए थे। अब दोनों पिता-पुत्र का नाम दिल्ली के नेशनल वॉर मेमोरियल पर अंकित है। 32 वर्षीय लांस नायक कुलवंत सिंह सिख लाइट इन्फैंट्री में थे और 49 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे। कुलवंत सिंह घायल होने के वजूद बहादुरी से लड़ते रहे और आखिरी सांस तक दुश्मनों का मुकाबला करते रहे।
जनवरी में पंजाब के मोगा जिले के लांस नायक कुलवंत सिंह को मरणोपरांत सेना मेडल से सम्मानित किया गया। उन्होंने पूंछ आतंकी हमले में बहादुरी से लड़ते हुए जान दे दी थी। दिल्ली में आयोजित एक समारोह में उनकी पत्नी हरदीप कौर ने यह मेडल वेस्टर्न कमांड के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार से प्राप्त किया। कुलवंत सिंह सिख लाइट इन्फैंट्री में थे। उनके पिता बलदेव सिंह भी जम्मू-कश्मीर में शहीद हो गए थे। अब दोनों पिता-पुत्र का नाम दिल्ली के नेशनल वॉर मेमोरियल पर अंकित है। 32 वर्षीय लांस नायक कुलवंत सिंह सिख लाइट इन्फैंट्री में थे और 49 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे। कुलवंत सिंह घायल होने के वजूद बहादुरी से लड़ते रहे और आखिरी सांस तक दुश्मनों का मुकाबला करते रहे।
आतंकियों से लोहा लेते शहीद हुआ अग्निवीर
जनवरी में पंजाब के मानसा का अग्निवीर जवान जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गया। अकिलया गांव का लवप्रीत दो भाइयों में सबसे छोटा और अविवाहित था। दो दिन पहले ही लवप्रीत ने अपनी मां से फोन पर बात हुई थी। इस दौरान उसने अपनी मां को अपनी ड्यूटी के बारे में बताया था। बेटे की शहादत पर पूरे गांव व परिजनों का नाज है। लवप्रीत दो साल पहले ही अग्निवीर के रूप में सेना में भर्ती हुआ था। लवप्रीत कुछ दिन बाद ही अपने घर छुट्टी आने वाल था मगर कुपवाड़ा में आतंकियों से मुठभेड़ हो गई। आतंकियों से लोहा लेते हुए पंजाब का यह सपूत शहीद हो गया।
जनवरी में पंजाब के मानसा का अग्निवीर जवान जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गया। अकिलया गांव का लवप्रीत दो भाइयों में सबसे छोटा और अविवाहित था। दो दिन पहले ही लवप्रीत ने अपनी मां से फोन पर बात हुई थी। इस दौरान उसने अपनी मां को अपनी ड्यूटी के बारे में बताया था। बेटे की शहादत पर पूरे गांव व परिजनों का नाज है। लवप्रीत दो साल पहले ही अग्निवीर के रूप में सेना में भर्ती हुआ था। लवप्रीत कुछ दिन बाद ही अपने घर छुट्टी आने वाल था मगर कुपवाड़ा में आतंकियों से मुठभेड़ हो गई। आतंकियों से लोहा लेते हुए पंजाब का यह सपूत शहीद हो गया।
आतंकियों से मुठभेड़ में हुए शहीद
अगस्त में जम्मू-कश्मीर में आंतकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए पंजाब के दो सैनिकों का उनके पैतृक गांवों में पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। 28 वर्षीय लांस नायक प्रीतपाल सिंह का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव समराला के मनुपुर पहुंचा जबकि सिपाही हरमिंदर सिंह का पार्थिव शरीर मंडी गोविंदगढ़ के बदीनपुर गांव पहुंचा। शोक संतप्त परिवार के सदस्यों के साथ-साथ बड़ी संख्या में अन्य लोग भी उनके घरों पर अंतिम श्रद्धांजलि देने पहुंचे। हरप्रीत की इसी साल शादी हुई थी। सीएम भगवंत मान ने दोनों जवानों की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया था।
अगस्त में जम्मू-कश्मीर में आंतकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए पंजाब के दो सैनिकों का उनके पैतृक गांवों में पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। 28 वर्षीय लांस नायक प्रीतपाल सिंह का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव समराला के मनुपुर पहुंचा जबकि सिपाही हरमिंदर सिंह का पार्थिव शरीर मंडी गोविंदगढ़ के बदीनपुर गांव पहुंचा। शोक संतप्त परिवार के सदस्यों के साथ-साथ बड़ी संख्या में अन्य लोग भी उनके घरों पर अंतिम श्रद्धांजलि देने पहुंचे। हरप्रीत की इसी साल शादी हुई थी। सीएम भगवंत मान ने दोनों जवानों की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया था।
बर्फ हटाते समय खाई में गिरा
अगस्त में पंजाब का फौजी जवान सिक्किम में शहीद हो गया। किसान परिवार का बेटा रिंकू सिंह 10 साल पहले भारतीय सेना में भर्ती हुआ था। संगरूर के सुनाम के गांव नमोल का 29 वर्षीय फौजी रिंकू सिंह की ड्यूटी के दौरान सिक्किम में शहादत हुई है। ड्यूटी के दौरान दर्दनाक हादसे में उनकी जान चली गई। गांव के सरपंच सुखबीर सिंह पुनिया बताते हैं कि रिंकू एक बहादुर व दिलेर नौजवान था और पिछले 10 साल से भारतीय सेना में सेवारत्त था। उसके पिता बिंदर सिंह गांव के एक छोटे किसान हैं। बर्फीले रास्ते से बर्फ हटाते समय वे उनकी गाड़ी फिसलकर खाई में गिर गई थी। सेना की 55वीं इंजीनियर रेजिमेंट में तैनात थे।
अगस्त में पंजाब का फौजी जवान सिक्किम में शहीद हो गया। किसान परिवार का बेटा रिंकू सिंह 10 साल पहले भारतीय सेना में भर्ती हुआ था। संगरूर के सुनाम के गांव नमोल का 29 वर्षीय फौजी रिंकू सिंह की ड्यूटी के दौरान सिक्किम में शहादत हुई है। ड्यूटी के दौरान दर्दनाक हादसे में उनकी जान चली गई। गांव के सरपंच सुखबीर सिंह पुनिया बताते हैं कि रिंकू एक बहादुर व दिलेर नौजवान था और पिछले 10 साल से भारतीय सेना में सेवारत्त था। उसके पिता बिंदर सिंह गांव के एक छोटे किसान हैं। बर्फीले रास्ते से बर्फ हटाते समय वे उनकी गाड़ी फिसलकर खाई में गिर गई थी। सेना की 55वीं इंजीनियर रेजिमेंट में तैनात थे।
बहनों का इकलौता भाई था जगसीन
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में ड्यूटी के दौरान बरनाला जिले के ठुल्लीवाल गांव का सैन्य जवान जगसीर सिंह नवंबर में श्रीनगर के बडगाम में शहीद हो गया है। वह सिख रेजिमेंट मदर यूनिट 27 में बतौर नायक के पद पर तैनात था। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाला जगसीर अपनी दो बहनों का इकलौता भाई था। जगसीर की शादी 2015 में हुई थी। वह 10 साल के बच्चे का पिता था गांव के सरकारी स्कूल में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। वह साल 2012 में भारतीय सेना में भर्ती हुआ था।
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में ड्यूटी के दौरान बरनाला जिले के ठुल्लीवाल गांव का सैन्य जवान जगसीर सिंह नवंबर में श्रीनगर के बडगाम में शहीद हो गया है। वह सिख रेजिमेंट मदर यूनिट 27 में बतौर नायक के पद पर तैनात था। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाला जगसीर अपनी दो बहनों का इकलौता भाई था। जगसीर की शादी 2015 में हुई थी। वह 10 साल के बच्चे का पिता था गांव के सरकारी स्कूल में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। वह साल 2012 में भारतीय सेना में भर्ती हुआ था।
पूरा नहीं हो पाया घर का निर्माण
सितंबर में रोपड़ के जवान की कोलकाता में ड्यूटी के दौरान मौत हो गई। उनके शव का पैतृक गांव रायपुर झज्ज में अंतिम संस्कार किया गया था। सेना की चंडी मंदिर से आई टुकड़ी ने शहीद को सलामी दी था। मृतक हवलदार गुरदीप सिंह 70 इंजीनियरिंग रेजिमेंट में तैनात था। शहीद अपने पीछे पत्नी, एक साल की बेटी और बुजुर्ग माता-पिता को छोड़ गए। परिवार ने बताया कि गुरदीप सिंह अपने घर का निर्माण कर रहे थे, जो अब अधूरा रह गया। परिवार में पत्नी और एक साल की बेटी हैं। उनकी शादी नौ साले पहले हुई थी। गांववासियों का कहना था कि देश ने एक जिम्मेदार और समर्पित जवान खो दिया है।
सितंबर में रोपड़ के जवान की कोलकाता में ड्यूटी के दौरान मौत हो गई। उनके शव का पैतृक गांव रायपुर झज्ज में अंतिम संस्कार किया गया था। सेना की चंडी मंदिर से आई टुकड़ी ने शहीद को सलामी दी था। मृतक हवलदार गुरदीप सिंह 70 इंजीनियरिंग रेजिमेंट में तैनात था। शहीद अपने पीछे पत्नी, एक साल की बेटी और बुजुर्ग माता-पिता को छोड़ गए। परिवार ने बताया कि गुरदीप सिंह अपने घर का निर्माण कर रहे थे, जो अब अधूरा रह गया। परिवार में पत्नी और एक साल की बेटी हैं। उनकी शादी नौ साले पहले हुई थी। गांववासियों का कहना था कि देश ने एक जिम्मेदार और समर्पित जवान खो दिया है।
बंधना था सेहरा मगर तिरंगे में लिपटकर आया
सितंबर में फाजिल्का के झुग्गे गुलाब सिंह गांव का रहने वाला बीएसएफ जवान रजिंदर सिंह शिलांग, मेघालय में गोली लगने से शहीद हो गया है। रजिंदर (30) दो साल पहले बीएसएफ में भर्ती हुए थे। वर्तमान में बीएसएफ की 193 बटालियन में शिलांग, मेघालय में तैनात थे। जब रजिंदर सिंह भर्ती होकर घर आए थे, तब गांव में बैंड-बाजे के साथ उसका जोरदार स्वागत किया गया था और उसके गले में नोटों के हार डाले गए थे। रजिंदर सिंह की शादी जनवरी 2026 में तय थी। घर में माता-पिता, भाई और बहन शादी की तैयारियों में जुटे हुए थे। हाल ही में एक दिन पहले रजिंदर सिंह ने अपनी बहन से वीडियो कॉल पर बात की थी।
सितंबर में फाजिल्का के झुग्गे गुलाब सिंह गांव का रहने वाला बीएसएफ जवान रजिंदर सिंह शिलांग, मेघालय में गोली लगने से शहीद हो गया है। रजिंदर (30) दो साल पहले बीएसएफ में भर्ती हुए थे। वर्तमान में बीएसएफ की 193 बटालियन में शिलांग, मेघालय में तैनात थे। जब रजिंदर सिंह भर्ती होकर घर आए थे, तब गांव में बैंड-बाजे के साथ उसका जोरदार स्वागत किया गया था और उसके गले में नोटों के हार डाले गए थे। रजिंदर सिंह की शादी जनवरी 2026 में तय थी। घर में माता-पिता, भाई और बहन शादी की तैयारियों में जुटे हुए थे। हाल ही में एक दिन पहले रजिंदर सिंह ने अपनी बहन से वीडियो कॉल पर बात की थी।
अग्निवीर के सिर पर लगी थी गोली
मई में फरीदकोट के गांव कोठे चहिल अग्निवीर जवान आकाशदीप सिंह कश्मीर में शहीद हुआ। इस घटना की सूचना के बाद उसके घर परिवार समेत पूरे गांव में मातम का माहौल था। विधानसभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने भी उनके घर पहुंच कर परिवार से दुख सांझा किया था। सिर में गोली लगने से आकाशदीप सिंह की जान चली गई। परिवार के अनुसार आकाशदीप सिंह लगभग पौने दो वर्ष पहले बतौर अग्निवीर सेना में भर्ती हुआ था। आकाशदीप सिंह सिख रेजिमेंट में तैनात था और उसकी पोस्टिंग इन दिनों जम्मू कश्मीर में थी।
मई में फरीदकोट के गांव कोठे चहिल अग्निवीर जवान आकाशदीप सिंह कश्मीर में शहीद हुआ। इस घटना की सूचना के बाद उसके घर परिवार समेत पूरे गांव में मातम का माहौल था। विधानसभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने भी उनके घर पहुंच कर परिवार से दुख सांझा किया था। सिर में गोली लगने से आकाशदीप सिंह की जान चली गई। परिवार के अनुसार आकाशदीप सिंह लगभग पौने दो वर्ष पहले बतौर अग्निवीर सेना में भर्ती हुआ था। आकाशदीप सिंह सिख रेजिमेंट में तैनात था और उसकी पोस्टिंग इन दिनों जम्मू कश्मीर में थी।
जवान को उठा ले गए थे पाक रेंजर्स
फिरोजपुर के ब्लाक ममदोट से सटी भारत-पाकिस्तान सीमा पर पाक रेंजर्स ने बीएसएफ के एक जवान पीके साहू को पकड़ लिया था। वह बीएसएफ की 24वीं बटालियन में तैनात था। 23 अप्रैल सुबह किसान अपनी कंबाइन मशीन लेकर खेत में गेहूं काटने गए थे। यह खेत फेंसिंग पर लगे गेट नंबर-208/1 के पास था। किसानों की निगरानी के लिए दो बीएसएफ जवान भी उनके साथ थे। इसी समय जवान पीके साहू की तबीयत बिगड़ी और पेड़ के नीचे बैठने के लिए चले गए। पेड़ बॉर्डर पार था। तभी पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें घेरकर पकड़ लिया और उसके हथियार भी छीन लिए। वह गलती से जीरो लाइन क्रॉस कर गया था।
फिरोजपुर के ब्लाक ममदोट से सटी भारत-पाकिस्तान सीमा पर पाक रेंजर्स ने बीएसएफ के एक जवान पीके साहू को पकड़ लिया था। वह बीएसएफ की 24वीं बटालियन में तैनात था। 23 अप्रैल सुबह किसान अपनी कंबाइन मशीन लेकर खेत में गेहूं काटने गए थे। यह खेत फेंसिंग पर लगे गेट नंबर-208/1 के पास था। किसानों की निगरानी के लिए दो बीएसएफ जवान भी उनके साथ थे। इसी समय जवान पीके साहू की तबीयत बिगड़ी और पेड़ के नीचे बैठने के लिए चले गए। पेड़ बॉर्डर पार था। तभी पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें घेरकर पकड़ लिया और उसके हथियार भी छीन लिए। वह गलती से जीरो लाइन क्रॉस कर गया था।