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सीएम साहब... बेटियां कैसे बनेंगी अफसर: छत्तीसगढ़ के इस गांव में नहीं खेल का मैदान, शराबियों से हैं परेशान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बालोद Published by: अनुज कुमार Updated Fri, 15 Nov 2024 12:09 PM IST
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सार

ग्राम सिकोसा में खेल मैदान की कमी है। एक मैदान है। वह आज गोटन के रूप में तब्दील है। सरपंच का कहना है कि हम सरकार से व्यवस्थित स्टेडियम बनाने की मांग कर चुके हैं और हमारे पास फंड नहीं है।

Due to lack of playground in Sikosa of Balod children prepare for competitive examinations in temporary ground
गांव में खेल का मैदान नहीं - फोटो : अमर उजाला
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बालोद जिले के ग्राम सिकोसा में आस पास के आधा दर्जन गांव के बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए शारीरिक तैयारी करने आते हैं। इन बच्चों का जज्बा देखते ही बनता है। रोजाना इन्हें शराबियों द्वारा किए गए गंदगी को साफ कर उसी जगह प्रैक्टिस करनी पड़नी है। गांव में एक भी व्यवस्थित मैदान नहीं है तो ये निजी जमीनों को तैयारी के लायक बनाकर प्रैक्टिस करते हैं।

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गांव के राजा बारले ने बताया कि ये जो संसाधन लगे हैं। जहां गांव और आसपास के बच्चे प्रैक्टिस कर रहे हैं। वो सब मिलकर एकत्र किए गए पैसे से बनाए गए हैं, यदि सरकार ध्यान देती तो हमारी राह आसान हो जाती, ऐसे में कैसे हमारी बहने अफसर बनेंगी, फिर भी हमने प्रयास करना नहीं छोड़ा है।
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ग्राम सिकोसा में खेल मैदान की कमी है। एक मैदान है। वह आज गोटन के रूप में तब्दील है। सरपंच का कहना है कि हम सरकार से व्यवस्थित स्टेडियम बनाने की मांग कर चुके हैं और हमारे पास फंड नहीं है। आपको बता दें कि बच्चे जिस जगह पर प्रैक्टिस कर रहे हैं। वह निजी जमीन है और वहां पर शराबियों का अड्डा लगा रहता है। जब बच्चों प्रैक्टिस करने पहुंचते हैं तो सबसे पहले उन्हें डिस्पोजल और शराबियों के द्वारा फैलाए गए कचरे को साफ सफाई करना पड़ता है।

उसके बाद वह एक व्यवस्थित माहौल में प्रैक्टिस कर सकते हैं। बच्चों की मांग है कि यदि उन्हें आसपास क्षेत्र में एक व्यवस्थित खेल मैदान दिया जाए तो वह बहुत कुछ कर सकते हैं। बहुत आगे जा सकते हैं सरपंच का भी कहना है कि यदि प्रशासन और शासन चाहे तो गांव के बीचो-बीच एक गठन है। उसे मैदान के रूप में व्यवस्थित कर सकती है हमारे पास फंड की कमी है। 

विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी कर रहे बच्चे
होमेश्वरी साहू ने बताया कि हम सब फॉरेस्ट गार्ड और जिला पुलिस बल की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए फिजिकल तैयारी बहुत महत्वपूर्ण होता है। हम सब यूनिटी बनाकर इस जगह पर एकत्र होते हैं और यह एक निजी जमीन है और हमारे पास कोई कोच भी नहीं है। हम स्वयं से मेहनत कर रहे हैं और यह सब लोहे से बने संसाधन जो मैदान में लगाए गए हैं। उसे सब को हमने आपस में थोड़े-थोड़े पैसे इकट्ठा कर लगाए हैं। बच्चों की यह मेहनत बताती है कि उनमें सास की सेवाओं में जाने का कितना जज्बा है। यदि उन्हें शासन प्रशासन का थोड़ा सहयोग मिले तो वह बहुत कुछ कर सकते हैं।

हो रही परेशानी
मनीषा साहू, जागेश्वर प्रसाद और धर्मेंद्र गायकवाड़ ने बताया कि बालोद जिला मुख्यालय या शहरों में तो व्यवस्थित मैदान है। सिखाने वाले कोच है। लेकिन यहां कुछ नहीं है फिर भी हम सब विभिन्न पदों पर जाना चाहते हैं। यहां ऊंची कूद के लिए बनाया गया। ये मैदान हमने तैयार किया है। पाइप लाकर लगाए हैं। यहां शादीशुदा महिलाएं भी तैयारी करने के लिए पहुंचे हैं। हमे 400 मीटर दौड़ के लिए स्वतंत्र मैदान चाहिए जो व्यवस्थित भी हो।

गांव के सरपंच आरोप चंद्राकर ने बताया कि हमने अपने कार्यकाल में कई बार लिखा है। शहर के बीचों बीच जो जगह है वो पर्याप्त है और यहां सरकार चाहे तो मैदान बना सकती है और शराबी जिस जगह को गंदा करते हैं वो निजी लगानी जमीन है। हम बच्चों को सुविधा देने निरंतर प्रयासरत हैं।

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