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बिलासपुर: अब नहीं बजेंगे कानफोड़ू डीजे, सरकार के पास तीन सप्ताह का समय, कोर्ट ने कहा- अब और देरी नहीं चलेगी

अमर उजाला नेटवर्क, बिलासपुर Published by: Digvijay Singh Updated Tue, 19 Aug 2025 12:38 PM IST
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सार

बिलासपुर हाईकोर्ट ने त्यौहारों और सामाजिक आयोजनों में डीजे और साउंड बाक्स से होने वाले शोर-शराबे पर सख्ती दिखाई है। मामले को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य शासन ने कोलाहल नियंत्रण अधिनियम लागू करने के लिए 6 सप्ताह का समय मांगा।

Now the ear splitting DJ music will not be played the government has three weeks time the court said  there wi
बिलासपुर हाईकोर्ट - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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बिलासपुर  हाईकोर्ट ने त्यौहारों और सामाजिक आयोजनों में डीजे और साउंड बाक्स से होने वाले शोर-शराबे पर सख्ती दिखाई है। मामले को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य शासन ने कोलाहल नियंत्रण अधिनियम लागू करने के लिए 6 सप्ताह का समय मांगा, लेकिन मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने साफ कहा कि अब और देरी नहीं चलेगी। कोर्ट ने शासन को केवल तीन सप्ताह का समय देते हुए अगली सुनवाई की तारीख 9 सितंबर तय कर दी।

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दरअसल, रायपुर की एक नागरिक समिति ने डीजे और साउंड सिस्टम से होने वाले ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी। इस बीच मीडिया में लगातार ख़बरें आने पर कोर्ट ने भी स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि मौजूदा कानून में सख्ती नहीं है। केवल 500 से 1,000 रुपये का जुर्माना लगाकर मामला खत्म कर दिया जाता है। न तो उपकरण जब्त होते हैं और न ही कड़े नियम लागू किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक कड़े प्रावधान नहीं होंगे, डीजे और साउंड बाक्स से होने वाला शोर प्रदूषण खत्म नहीं किया जा सकेगा।
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मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने न सिर्फ डीजे बल्कि लेजर और बीम लाइट से होने वाली परेशानियों पर भी चिंता जताते हुए कहा कि, डीजे का तेज शोर दिल के रोगियों के लिए खतरनाक है और लेजर लाइट से आम लोगों की आंखों को नुकसान पहुंच सकता है। सरकार को इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।

इस दौरान शासन की ओर से बताया गया कि डीजे और वाहन माउंटेड साउंड सिस्टम पर लेजर लाइट पहले से प्रतिबंधित है और उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाया जा रहा है। बार-बार उल्लंघन करने पर वाहनों को जब्त भी किया जाता है। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत नियम तोड़ने वालों को 5 साल की सजा, एक लाख रुपये जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।

इस जनहित याचिका के साथ-साथ डीजे संचालकों की ओर से भी हस्तक्षेप याचिका लगाई गई है। उनका कहना है कि कई बार पुलिस उनके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई कर रही है, इसलिए नियम लागू होने से पहले स्पष्ट गाइडलाइन तय होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि शासन पहले ही एक्ट लागू करने का वादा कर चुका है, अब और बहाने नहीं चलेगा। कोर्ट ने निर्देश दिया कि 3 सप्ताह में मसौदा तैयार कर रिपोर्ट पेश करें।

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