सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Chhattisgarh ›   Bilaspur-Chhattisgarh News ›   Poor rickshaw driver gets relief from High Court Jaiprakash was victim of police harassment in a false case in

बिलासपुर: गरीब रिक्शा चालक को हाईकोर्ट से राहत, झूठे केस में पुलिस प्रताड़ना का शिकार हुआ था जयप्रकाश

अमर उजाला नेटवर्क, बिलासपुर Published by: Digvijay Singh Updated Mon, 25 Aug 2025 10:51 PM IST
विज्ञापन
सार

गरीब रिक्शा चालक को बिना किसी अपराध के आरोपी बनाकर उससे 17 हजार वसूल लिए गए। पौने तीन साल के संघर्ष के बाद आखिरकार उसे हाईकोर्ट से न्याय मिला। कोर्ट ने एफआईआर निरस्त करने का आदेश दिया है।

Poor rickshaw driver gets relief from High Court Jaiprakash was victim of police harassment in a false case in
बिलासपुर हाईकोर्ट - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

गरीब रिक्शा चालक को बिना किसी अपराध के आरोपी बनाकर उससे 17 हजार वसूल लिए गए। पौने तीन साल के संघर्ष के बाद आखिरकार उसे हाईकोर्ट से न्याय मिला। कोर्ट ने एफआईआर निरस्त करने का आदेश दिया है। याचिका के अनुसार जयप्रकाश रात्रे अनपढ़ रिक्शा चालक है। दो नवंबर 2022 को वह अपने घर पर था। उसी समय पुलिस कांस्टेबल किशोर साहू और सिविल ड्रेस में तीन अन्य कांस्टेबल घर पहुंचे और रिक्शा चालक को थाने ले आए। 17 हजार रुपए की जबरन वसूली भी कर ली गई। याचिकाकर्ता की पत्नी ने अपनी झोपड़ी की मरम्मत के लिए कर्ज के रूप में लिए रुपए देकर पति को छुड़ाया। याचिकाकर्ता को पुलिस स्टेशन में तब तक रखा गया जब तक कि रिश्वत की रकम नहीं मिल गई। याचिकाकर्ता के खिलाफ आबकारी अधिनियम की धारा 34(1)(ए) के तहत झूठा मामला दर्ज कर दिया गया था।

loader
Trending Videos


हाईकोर्ट में दायर याचिका में यह भी बताया गया कि 2 वर्ष, 9 महीने बीत जाने के बाद भी मामले में आरोप-पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया। याचिका में कांस्टेबल किशोर साहू के खिलाफ आपराधिक और विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश देने का अनुरोध भी किया गया। सरकारी वकील की ओर से कहा गया कि मामले में डीजीपी ने हलफनामा दायर किया है। इसमें याचिकाकर्ता को बांड भरने के बाद पुलिस ने रिहा कर दिया था। दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि लगभग 3 साल बाद भी याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप-पत्र दायर नहीं किया गया है। प्राथमिकी के अवलोकन से भी प्रथम दृष्टया स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता।
विज्ञापन
विज्ञापन


मामले में हाईकोर्ट में पहले क्रिमिनल रिट पिटीशन प्रस्तुत की गई थी। हाईकोर्ट ने आदेश पर जांच के बाद दोषी पुलिसकर्मी को लाइन अटैच कर दिया गया था। इसके बाद मिस्लेनियस क्रिमिनल पिटीशन दायर कर एफआईआर निरस्त करने की मांग की गई। डीजीपी ने इस मामले में 4 थानेदारों को निंदा की सजा दी और एक एसआई को सस्पेंड कर दिया था।


 
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed