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तलाक के बाद मचला दिल: ट्रेन से गये मथुरा, होटल में 'बिताई रात', अब जीना चाहते हैं साथ-साथ,जानें कोर्ट का फैसला
अमर उजाला नेटवर्क, बिलासपुर
Published by: Digvijay Singh
Updated Sat, 13 Sep 2025 05:52 PM IST
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सार
तलाक के बाद रिश्ते सुधरने के दावे पर दुबारा साथ रहने की अनुमति को हाईकोर्ट ने ठुकराते हुए फैमिली कोर्ट के निर्णय के खिलाफ की गई अपील को खारिज कर दिया है । दरअसल तलाक के बाद भी रिश्ते सुधरने पर पति- पत्नी ने तलाक की डिक्री निरस्त करने की मांग की थी।

सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : अमर उजाला डिजिटल
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विस्तार
तलाक के बाद रिश्ते सुधरने के दावे पर दुबारा साथ रहने की अनुमति को हाईकोर्ट ने ठुकराते हुए फैमिली कोर्ट के निर्णय के खिलाफ की गई अपील को खारिज कर दिया है । दरअसल तलाक के बाद भी रिश्ते सुधरने पर पति- पत्नी ने तलाक की डिक्री निरस्त करने की मांग की थी। दोबारा साथ रहने के दावे के सबूत के तौर पर तस्वीरें भी पेश की, पर कोर्ट ने इस मामले में नरमी नहीं दिखाई।

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जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने कहा कि तलाक सहमति से हुआ है, इसलिए अब अपील की जगह नहीं है। कानून भावनाओं से नहीं, तथ्यों व प्रक्रियाओं से चलता है। बिलासपुर के सिविल लाइन क्षेत्र में रहने वाली महिला की शादी मोपका निवासी युवक से हुई थी। शादी के कुछ समय बाद दोनों के बीच रिश्ते बिगड़े और उन्होंने हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधानों के तहत तलाक की मांग करते हुए फैमिली कोर्ट में मामला प्रस्तुत किया।
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फैमिली कोर्ट से 4 जनवरी 2025 को पारस्परिक सहमति से तलाक मंजूर करने के बाद डिक्री भी पारित की। तलाक लेने के बाद दोनों के बीच दोबारा बातचीत होने लगी। दोनों ने तलाक लेने के दो माह बाद 11 मार्च से 15 मार्च 2025 तक मथुरा की यात्रा की। साथ में ट्रेन की टिकट और होटल की बुकिंग कराई। रिश्ते सुधरने के बाद दोनों ने दोबारा साथ जीवन गुजारने का फैसला करते हुए फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। इसमें फैमिली कोर्ट के तलाक मंजूर करने के आदेश को निरस्त करने की मांग की। उन्होंने कोर्ट के समक्ष साथ समय बिताने की कुछ तस्वीरें भी पेश की।
हाईकोर्ट ने कहा कि आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए दोनों ने 9 दिसंबर 2024 को आवेदन देकर 6 महीने की कूलिंग पीरियड हटवाने की मांग की थी। वे अगस्त 2022 से अलग रह रहे हैं, सबूतों के आधार पर फैमिली कोर्ट ने तलाक का फैसला दिया। अब उस फैसले के खिलाफ अपील करना कानूनन मान्य नहीं है।