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अमर उजाला फाउंडेशन नजरिया 2019: बढ़ते जलसंकट के समाधान

अमर उजाला डेस्क नई दिल्ली Published by: प्रशांत राय Updated Mon, 16 Sep 2019 02:25 PM IST
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Nazariya 2019 know about anand malligwad who work for water
anand malligavad - फोटो : better india
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भारत इस समय गंभीर जलसंकट से जूझ रहा है। पूरे देश में करीब 60 करोड़ लोग पानी की गंभीर किल्लत का सामना कर रहे हैं। नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक दो लाख लोग साफ पानी न मिलने के कारण प्रतिवर्ष जान गंवा रहे हैं। यह रिपोर्ट साल 2018 में नीति आयोग के जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी द्वारा जारी की गई थी।

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समग्र जल प्रबंधन सूचकांक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पानी का संकट आगे और गहराता जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2030 तक देश में पानी की मांग उपलब्ध जल वितरण की दोगुनी हो जाएगी। जाहिर है करोड़ों लोगों के लिए पीने के पानी का गंभीर संकट पैदा हो जाएगा।
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अमर उजाला फाउंडेशन नजरिया 2019ः रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू, मिस्ड कॉल देकर करें पंजीकरण  

साल 2016-17 अवधि की इस रिपोर्ट में गुजरात को जल संसाधनाों के प्रभावी प्रबंधन के मामलों में पहला स्थान दिया गया है। सूचकांक में गुजरात के बाद मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र का नंबर आता है। रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार जल प्रबंधन के मामले में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं। 

दरअसल, बीते कुछ दशकों में देश में लगातार गहराते जलसंकट की सबसे बड़ी वजह है अपने पारंपरिक व प्राकृतिक संसाधनों और पानी बचाने के तरीकों को भुला देना। इसमें वे स्थानीय तरीके भी शामिल हैं जो जलसंकट के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। यही नहीं लोगों ने पेजयल की समस्या से निजात पाने के अपने परंपरागत ज्ञान और समझ को भी भुला दिया है, जबकि समाज का परंपरागत ज्ञान कई पीढ़ियों के अनुभव से छनता हुआ लोगों के पास तक पहुंचा था।

समाज में पानी बचाने, सहेजने और उसकी समझ की कई ऐसी तकनीकें मौजूद रही हैं, जो आधुनिक तकनीकी ज्ञान के मुकाबले आज भी ज्यादा कारगर साबित हो सकती है।

बहरहाल, देश में लगातार गहराते जलसंकट की गंभीरता को समझने, जल संरक्षण कार्यक्रम को प्राकृतिक रूप से आगे बढ़ाने, नये तरीके ढूंढने और समाज को पानी बचाने के लिए जागरूक करने के विषय पर अमर उजाला फाउंडेशन ने अपने नजरिया कार्यक्रम 2019 को जलसंरक्षण पर केंद्रित किया है।  फाउंडेशन की ओर से नजरिया 2019 के दूसरे संस्करण में चंडीगढ़ में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता आनंद मलिग्गवाद को आमंत्रित किया है। 

इस गंभीर मुद्दे पर बात करने के लिए अमर उजाला फाउंडेशन के नजरिया-2019 के कार्यक्रम में पानी पर काम कर रहे आनंद मलिग्गवाड को स्पीकर के तौर पर आमंत्रित किया है। आनंद मलिग्गवाद जलसंरक्षण के प्राकृतिक तरीकों पर लंबे समय से काम कर रहे हैं। 

आनंद ने बेंगलुरु की झीलों के पुनर्जीवन से शुरू करके अपने मिशन को देश भर में ले जाने का संकल्प किया है। युवा आनंद तकनीक और जिद और समान मन-जिद वाले साथियों की टीम के साथ आगे बढ़ रहे हैं। बेंगलुरू के आनंद मल्लिग्वाद सूखती झीलों के मसीहा माने जाते हैं।

आनंद कॉर्पोरेट की नौकरी चोड़ शहर से पानी की समस्या खत्म करने के लिए कूद पड़े। उन्होंने  बेंगलुरु में इंडिया रीवर्स कलेक्टिव नाम से अभियान चलाया। इस अभियान के तहत झीलों, नदियों और तालाबों को बचाने का काम किया गया। आनंद वह व्यक्ति हैं जो बेझिझक झीलों और पर्यावरण के बारे में बात कर सकते हैं।

आनंद को देश-दुनिया में सुर्खियां तब मिलीं, जब इन्होंने अपनी कॉर्पोरेट नौकरी के लिए एक प्रोजेक्ट के दौरान झील पर काम कर रहे थे। इस प्रोजेक्ट की सफलता ने आनंद को पर्यावरण प्रेमी बना दिया। उनका दिल जब नौकरी करने में नहीं लग रहा था तो उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया, और झीलों को बचाने के लिए निकल पड़े।

आनंद का लक्ष्य है कि साल 2025 तक ऐसी 45 पुनर्निर्माण और कायाकल्प करने का है। इस कड़ी में उनका पहला लक्ष्य वाबसांद्रा झील था। इस प्रोजेक्ट के लिए आनंद को बहुत ज्यादा धन राशि की जरूरत थी। वह अपने प्रोजेक्ट को लेकर कई ऑफिसों का चक्कर लगाए ताकि उन्हें कोई आर्थिक मदद मिल सके। तब हेवलेट-पैकर्ड के तरफ से इस प्रोजेक्ट के लिए आर्थिक मदद देने की आश्वासन मिली।

उनसे 80 लाख रुपये प्राप्त हुए, जिससे 5 अप्रैल साल 2018 को वाबसांद्रा प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया और महज दो महीने में 10 एकड़ क्षेत्र में इसे अच्छी कासी झील साफ हो गई। आनंद और उनके साथ के स्वयंसेवकों की एक टीम ने पूरे दो महीने तक काम किया और 5 जून 2018 को जील पूरी तरह तैयार कर लिया।  आनंद ने बेंगलुरु की झीलों के पुनर्जीवन से शुरू करके अपने मिशन को देश भर में ले जाने का संकल्प किया है। युवा आनंद तकनीक और जिद और समान मन-जिद वाले साथियों की टीम के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

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