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खेल बदल सकता है राफेल विमान, बता रहे हैं हर्ष कक्कड़

Harsh Kakkar हर्ष कक्कड़
Updated Thu, 30 Jul 2020 02:02 AM IST
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Rafale aircraft can change the game
राफेल विमान - फोटो : स्पेशल अरेंजमेंट
लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध जारी है और दोनों पक्ष अपनी फौजों को एक-दूसरे का मुकाबला करने के तैयार कर रहे हैं। सैन्य कमांडरों और डब्ल्यूएमसीसी (सीमा मुद्दों पर परामर्श एवं समन्वय के लिए कार्य तंत्र) के बीच वार्ता का अभी तक कोई संतोषजनक नतीजा नहीं मिला है। इस बात की चिंता है कि अगर चीन ने आगे बढ़ना चाहा, तो गतिरोध लंबे समय तक जारी रह सकता है या बात उससे आगे भी बढ़ सकती है। सशस्त्र बल किसी भी स्थिति के लिए तैयार हैं। किसी भी चीनी दुस्साहस का मुकाबला करने के लिए सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है।

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सेना ने अपने नवीनतम लंबी दूरी के तोपों को शामिल किया है, जिसमें अमेरिका से आयातित एम 777 भी शामिल है। नौसैनिक चीनी खतरे को देखते हुए महत्वपूर्ण क्षेत्र में अपनी ताकत का प्रदर्शन करने के लिए हिंद महासागर में पहुंच गए हैं। क्वाड और अमेरिका के साथ इसके अभ्यास प्रमुख चीनी मालवाहक मार्गों पर अपने वर्चस्व की क्षमता का प्रदर्शन कर रहे हैं। वायु सेना ने अपने कुछ संसाधनों को लद्दाख में तैनात किया है, जबकि चीनी सेना का मुकाबला करने के लिए मैदानी क्षेत्रों में अपने ठिकानों को सक्रिय किया है।

ऐसे परिदृश्य में ऑर्डर किए गए 36 राफेल विमानों में से पहले पांच कल फ्रांस से 7,000 किलोमीटर की उड़ान पूरी कर भारत पहुंचे, और 17 स्क्वाड्रन ‘गोल्डन एरो’ के हिस्से के रूप में अंबाला में तैनात किए जाएंगे। ये विमान भारत आते हुए रास्ते में संयुक्त अरब अमीरात में ठहरे थे। इन्हें 58,000 करोड़ रुपये की लागत पर खरीदा गया है। इन 36 विमानों में से 28 एकल सीट वाले और आठ दो सीट वाले होंगे।

विशेष रूप से भारत की जरूरत को ध्यान में रखते हुए इस 4.5 पीढ़ी के विमान में नवीनतम एवियोनिक्स और शस्त्रागार होंगे, जो उन्हें भारतीय वायु सेना की सूची में सबसे बहुमुखी विमान बनाते हैं। राफेल के निर्माता इस विमान को एक ही समय में बहुत से काम करने वाला विमान बताते हैं, जो हवा में वर्चस्व स्थापित करने, दुश्मन के विमान को रोकने, हवा में टोह लेने, गहरे तल में हमले करने, विरोधी पोतों पर हमला करने और परमाणु हमले को रोकने सहित कई कार्य कर सकता है।

वायु सेना के प्रवक्ता ने बताया कि वायुसेना के एयर क्रू और ग्राउंड क्रू ने अपनी अत्यधिक उन्नत हथियार प्रणालियों के साथ विमान पर व्यापक प्रशिक्षण प्राप्त किया है और अब पूरी तरह से सक्रिय हैं। विमान के आने के बाद जल्द से जल्द उसके परिचालन पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश की जाएगी। इसके रखरखाव और गोला-बारूद के लिए जरूरी सभी सामान भारत पहुंच गए हैं और बहुत जल्दी इन विमानों को काम पर लगाया जाएगा। इस समय भारत के पास विमान के परिचालन के लिए सामान्य रूप से अमूमन जरूरी कुछ महीने लगाने का समय नहीं है। इसे उच्च अभियान की तरह किए जाने की उम्मीद है।

बेस के रूप में अंबाला का चयन इसके परिचालन को ध्यान में रखकर किया गया है। अंबाला पाकिस्तान सीमा से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर है और वहां से लगभग इतनी ही दूरी पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) भी है। इसलिए दोनों विरोधियों के खिलाफ एक ही बेस से विमानों का परिचालन किया जा सकता है।

इन विमानों को अंबाला में तैनात करने का फायदा यह है कि निचले बेस से विमान बड़े पेलोड के साथ उठाया जा सकता है, इसकी तुलना में चीन अपने विमानों को तिब्बत में तैनात करेगा, जिसे ईंधन भार और पेलोड के बीच जूझना होगा। राफेल को रखने के लिए बुनियादी ढांचा पूरी तरह तैयार कर लिया गया है और बेस इसे शामिल करने लिए तैयार है। दूसरा स्क्वाड्रन पूर्वोत्तर के हाशिमारा में स्थित होगा, जहां इसी तरह का बुनियादी ढांचा तैयार किया जा रहा है।

वर्तमान चीनी वायु सेना के बेड़े में जे-11, जे- 12, एसयू- 30 और जे- 20 शामिल हैं, जो अभी तैनाती के अधीन है। उनके पास एसयू- 35 का एक स्क्वाड्रन भी है। भारतीय वायु सेना की प्रमुख अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमानों में एसयू- 30, मिराज 2000, मिग- 29, जगुआर, मिग-21 बिसोन, एलसीए और नए राफेल शामिल हैं। चीनी बेड़े को चुनौती देने के लिए भारतीय बेड़ा एक अजेय संयोजन है और राफेल भारत के पक्ष में संतुलन बनाए रखेगा।

वायु सेना प्रमुख एयर मार्शल आरकेएस भादौरिया ने कुछ समय पहले कहा था कि एक बार जब एसयू-30 एमकेआई और राफेल का परिचालन एकसाथ शुरू हो जाएगा, तो यह हमारे विरोधियों के खिलाफ शक्तिशाली संयोजन होगा, चाहे वह पाकिस्तान हो या कोई और। हमारे पास शक्तिशाली क्षमता होगी। कोई भी विरोधी इस तरह के संयोजन को लेकर चिंतित होगा। यही कारण है कि भारतीय वायु सेना राफेल को जितनी जल्दी संभव हो, अपने बेड़े में शामिल करना चाहती है।

लद्दाख में माहौल अब भी तनावपूर्ण है, समाधान के लिए लगातार चर्चा जारी है। ऐसे वातावरण में संतुलन को अपने पक्ष में झुकाने के लिए संसाधनों को शामिल करके दबाव बनाने की आवश्यकता है। सेना ने बराबर की संख्या में बलों को तैनात किया है, ताकि चीन को कोई मौका न मिले। हमारी सेना सर्दियों में अपने बलों की तैनाती जारी रखने के लिए दृढ़ है। यह चीन के सैन्य विकल्पों को प्रतिबंधित करता है। हिंद महासागर में नौवहन गलियारों में हमारी नौसेना का वर्चस्व है, जहां उसके पास चीनी मालवाहक जहाजों को रोकने की क्षमता है। चीन को रोकने के लिए हमारी वायु सेना भी मुस्तैद है।

अगर जमीनी स्तर पर कार्रवाई होती  है, तो हमारी वायु सेना संतुलन को अपने पक्ष में कर सकती है। राफेल को शामिल करना और इसके शीघ्र परिचालन से भारत के दृढ़ संकल्पों और इरादों का एक मजबूत संदेश जाएगा। हालांकि भारत बातचीत के जरिये समाधान चाहता है, लेकिन संघर्ष के विस्तार के लिए भी तैयार है। हालांकि अभी सभी राफेल विमानों को हासिल करना बाकी है, लेकिन यह लड़ाई को भारत के पक्ष में झुका देगा।
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