{"_id":"62c1efad78504c7616435a30","slug":"ghaziabad-ghaziabad-city-news-gbd240994882","type":"story","status":"publish","title_hn":"रेड एप्पल मामले में जीडीए के अफसरों पर चार एफआईआर","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
रेड एप्पल मामले में जीडीए के अफसरों पर चार एफआईआर
विज्ञापन


रेड एप्पल मामले में जीडीए के अफसरों पर चार एफआईआर
गाजियाबाद। रेड एप्पल धोखाधड़ी मामले में पहली बार गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के अफसरों के खिलाफ केस दर्ज कराए गए हैं। आरोप है कि अफसरों ने बिल्डर के कहने पर बैंक ऋण के लिए अधूरे प्रोजेक्ट के भी अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी किए। इन एनओसी की मदद से ही ऐसे प्रोजेक्ट में 11 मंजिल तक के फ्लैट के लिए ऋण स्वीकृत हुए जिनके नक्शे सात मंजिल तक के ही स्वीकृत थे। नंदग्राम थाने में चार लोगों ने बिल्डर, बैंक और प्राधिकरण के अफसरों के खिलाफ केस दर्ज कराए हैं। विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने अफसरों के नाम उजागर करने के लिए चारों मामलों में बैंक ऋण स्वीकृति में इस्तेमाल किए गए दस्तावेज मांगे हैं।
केस दर्ज कराने वालों में शामिल दिल्ली के मेट्रो विहार यमुना बैंक निवासी अजय कुमार ने बताया कि कि उन्होंने मंजू जे. होम्स प्रोजेक्ट में एक फ्लैट बुक किया। इसके लिए 2.74 लाख रुपये दिए। बिल्डर ने उनके फ्लैट पर एसबीआई से ऋण कराया। 16.10 लाख रुपये उन्होंने ऋण की किस्त जमा की लेकिन बिल्डर ने न तो तय समय फ्लैट दिया और जानकारी करने पर पता चला कि जीडीए के नियमों के विपरीत बिल्डर ने उनका फ्लैट बुक कर दिया।
बिल्डर ने यह काम जीडीए के अधिकारियों की मिलीभगत से किया और फर्जी तरीके से बैंक से भी लोन कराया। इसी तरह मेट्रो विहार यमुना बैंक निवासी उमेश कुमार सिंह से 13.76 लाख, ललन कुमार से 17.79 लाख और मेट्रो स्टाफ क्वार्टर नई दिल्ली निवासी आजाद शर्मा से 18.95 लाख की धोखाधड़ी के केस दर्ज कराए हैं। इनमें बताया गया है कि बिल्डर के कहने पर बैंक कुछ ही घंटों में ऋण स्वीकृत कर देते थे।
100 नहीं, 200 करोड़ की धोखाधड़ी
रेड एप्पल के खिलाफ जब पहला केस दर्ज हुआ, तब 100 करोड़ की धोखाधड़ी सामने आई थी। इसके बाद 90 केस और दर्ज हो चुके हैं। इनमें 100 करोड़ की धोखाधड़ी मिली है। इस तरह यह मामला 100 नहीं, 200 करोड़ की धोखाधड़ी का हो गया है। बिल्डर जेल जा चुके हैं। पुलिस अब बिल्डर के कहने पर ऋण स्वीकृत करने वाले बैंक अफसरों की भूमिका की जांच कर रही है। 10 से अधिक अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है। इन केस में बिल्डर राजकुमार जैन और मुख्य आरोपी अक्षय जैन समेत उनके सहयोगी प्रतीक जैन, नमन जैन, रिषभ जैन, अनुशा जैन, इंदु जैन, वीरेंद्र जैन, उमंग जैन भी आरोपी हैं। पुलिस इनको गिरफ्तार कर चुकी है।
ईओडब्ल्यू को सौंपी जाएगी जांच
नए खुलासों के बाद जांच पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को सौंपी जाएगी। फिलहाल तफ्तीश विशेष जांच टीम के पास है। सीओ क्राइम अंशु जैन ने बताया कि जांच में राजस्व से जुड़े कई बिंदु मिले हैं जिसकी जांच ईओडब्ल्यू से कराई जानी हैं। इसके लिए पत्र लिखा गया है।
20 मामलों में आरोप पत्र दाखिल
एसआईटी ने 20 मामलों में आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल कर दिए हैं। पहले आरोप पत्र में पुलिस ने दस्तावेज में छेड़छाड़ करने और फर्जीवाड़ा करके उनके आधार पर पैन कार्ड व यूएई का रेजिडेंस कार्ड बनवाने के आरोप शामिल किए हैं। इसमें पुलिस ने राजकुमार जैन, नमन जैन, अनुशा जैन, इंदू जैन, रिषभ जैन और अक्षय जैन को आरोपी बनाया है। इसके अलावा फ्लैट तय नक्शे से ज्यादा मंजिल के बेचने, बैंक से लोन कराने समेत अन्य मामलों में चार्जशीट लगाई है।
ऐसे की धोखाधड़ी
बिल्डर ने कई तरह से धोखाधड़ी कई। कई प्रोजेक्ट में फ्लैट बुक किए, लेकिन बनाए नहीं गए। किसी में सात मंजिल तक का नक्शा पास कराया, फ्लैट 11 तक बेच दिए। कई फ्लैट दो-दो लोगों को बेच दिए। दोनों पर बैंक ऋण करा दिए। बैंक ऋण के लिए जीडीए ने बगैर जांच-पड़ताल के एनओसी दे दी। लोगों को धोखाधड़ी का पता चला तो केस दर्ज कराए।
विज्ञापन
Trending Videos
गाजियाबाद। रेड एप्पल धोखाधड़ी मामले में पहली बार गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के अफसरों के खिलाफ केस दर्ज कराए गए हैं। आरोप है कि अफसरों ने बिल्डर के कहने पर बैंक ऋण के लिए अधूरे प्रोजेक्ट के भी अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी किए। इन एनओसी की मदद से ही ऐसे प्रोजेक्ट में 11 मंजिल तक के फ्लैट के लिए ऋण स्वीकृत हुए जिनके नक्शे सात मंजिल तक के ही स्वीकृत थे। नंदग्राम थाने में चार लोगों ने बिल्डर, बैंक और प्राधिकरण के अफसरों के खिलाफ केस दर्ज कराए हैं। विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने अफसरों के नाम उजागर करने के लिए चारों मामलों में बैंक ऋण स्वीकृति में इस्तेमाल किए गए दस्तावेज मांगे हैं।
केस दर्ज कराने वालों में शामिल दिल्ली के मेट्रो विहार यमुना बैंक निवासी अजय कुमार ने बताया कि कि उन्होंने मंजू जे. होम्स प्रोजेक्ट में एक फ्लैट बुक किया। इसके लिए 2.74 लाख रुपये दिए। बिल्डर ने उनके फ्लैट पर एसबीआई से ऋण कराया। 16.10 लाख रुपये उन्होंने ऋण की किस्त जमा की लेकिन बिल्डर ने न तो तय समय फ्लैट दिया और जानकारी करने पर पता चला कि जीडीए के नियमों के विपरीत बिल्डर ने उनका फ्लैट बुक कर दिया।
विज्ञापन
विज्ञापन
बिल्डर ने यह काम जीडीए के अधिकारियों की मिलीभगत से किया और फर्जी तरीके से बैंक से भी लोन कराया। इसी तरह मेट्रो विहार यमुना बैंक निवासी उमेश कुमार सिंह से 13.76 लाख, ललन कुमार से 17.79 लाख और मेट्रो स्टाफ क्वार्टर नई दिल्ली निवासी आजाद शर्मा से 18.95 लाख की धोखाधड़ी के केस दर्ज कराए हैं। इनमें बताया गया है कि बिल्डर के कहने पर बैंक कुछ ही घंटों में ऋण स्वीकृत कर देते थे।
100 नहीं, 200 करोड़ की धोखाधड़ी
रेड एप्पल के खिलाफ जब पहला केस दर्ज हुआ, तब 100 करोड़ की धोखाधड़ी सामने आई थी। इसके बाद 90 केस और दर्ज हो चुके हैं। इनमें 100 करोड़ की धोखाधड़ी मिली है। इस तरह यह मामला 100 नहीं, 200 करोड़ की धोखाधड़ी का हो गया है। बिल्डर जेल जा चुके हैं। पुलिस अब बिल्डर के कहने पर ऋण स्वीकृत करने वाले बैंक अफसरों की भूमिका की जांच कर रही है। 10 से अधिक अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है। इन केस में बिल्डर राजकुमार जैन और मुख्य आरोपी अक्षय जैन समेत उनके सहयोगी प्रतीक जैन, नमन जैन, रिषभ जैन, अनुशा जैन, इंदु जैन, वीरेंद्र जैन, उमंग जैन भी आरोपी हैं। पुलिस इनको गिरफ्तार कर चुकी है।
ईओडब्ल्यू को सौंपी जाएगी जांच
नए खुलासों के बाद जांच पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को सौंपी जाएगी। फिलहाल तफ्तीश विशेष जांच टीम के पास है। सीओ क्राइम अंशु जैन ने बताया कि जांच में राजस्व से जुड़े कई बिंदु मिले हैं जिसकी जांच ईओडब्ल्यू से कराई जानी हैं। इसके लिए पत्र लिखा गया है।
20 मामलों में आरोप पत्र दाखिल
एसआईटी ने 20 मामलों में आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल कर दिए हैं। पहले आरोप पत्र में पुलिस ने दस्तावेज में छेड़छाड़ करने और फर्जीवाड़ा करके उनके आधार पर पैन कार्ड व यूएई का रेजिडेंस कार्ड बनवाने के आरोप शामिल किए हैं। इसमें पुलिस ने राजकुमार जैन, नमन जैन, अनुशा जैन, इंदू जैन, रिषभ जैन और अक्षय जैन को आरोपी बनाया है। इसके अलावा फ्लैट तय नक्शे से ज्यादा मंजिल के बेचने, बैंक से लोन कराने समेत अन्य मामलों में चार्जशीट लगाई है।
ऐसे की धोखाधड़ी
बिल्डर ने कई तरह से धोखाधड़ी कई। कई प्रोजेक्ट में फ्लैट बुक किए, लेकिन बनाए नहीं गए। किसी में सात मंजिल तक का नक्शा पास कराया, फ्लैट 11 तक बेच दिए। कई फ्लैट दो-दो लोगों को बेच दिए। दोनों पर बैंक ऋण करा दिए। बैंक ऋण के लिए जीडीए ने बगैर जांच-पड़ताल के एनओसी दे दी। लोगों को धोखाधड़ी का पता चला तो केस दर्ज कराए।