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चार रनवे वाला देश का पहला एयरपोर्ट होगा आईजीआई
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नई दिल्ली। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (आईजीआई) एयरपोर्ट जल्द ही चार रनवे वाला देश का पहला हवाई अड्डा बन जाएगा। हवाई अड्डे के दक्षिणी एयरफील्ड पर रनवे 11/29 के समानांतर एक नया 4.4 किमी लंबा रनवे तैयार किया जा रहा है। एयरपोर्ट संचालित करने वाली कंपनी दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) ने टर्मिनल-1 के स्मार्ट एप्रन शुरू करने के मौके पर यह जानकारी साझा की।
जीएमआर समूह के उप प्रबंध निदेशक आई प्रभाकर राव के अनुसार दिल्ली एयरपोर्ट को भविष्य के लिए तैयार किया जा रहा है। बुनियादी ढांचे और यात्रियों के बेहतर अनुभव को ध्यान में रखा गया है। इससे हवाई क्षेत्र में सुरक्षा में सुधार होगा। साथ ही यह पर्यावरण के अनुकूल होगा। कंपनी के मुताबिक एयरपोर्ट पर अब जगह नहीं होने की स्थिति में विमान को गो-एराउंड नहीं होना होगा। इससे यहां से ज्यादा विमानों का संचालन संभव होगा। दरअसल एयरपोर्ट पर ज्यादा संख्या में एप्रन का निर्माण किया जा रहा है। ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में विमानों को पार्किंग मिल सके। डायल के अनुसार दिल्ली एयरपोर्ट पर एप्रन का निर्माण तीन चरणों में पूरा किया जा रहा है। पहले चरण में 82 स्टैंडों में से 19 का निर्माण पूरा कर लिया गया है। जिसे नागरिक उड्डयन महानिदेशालय से मंजूरी मिलने के साथ शुरू कर दिया गया है।
संपूर्ण टी-1 एप्रन का काम पूरा होने पर विमानों के पार्किंग स्टैंड की कुल संख्या 55 से बढ़कर 82 हो जाएगी। जिसमें 22 संपर्क स्टैंड और 8 अन्य स्टैंड शामिल हैं। नया एप्रन एयरसाइड पर हवाई यातायात की भीड़ को कम करेगा। इससे ग्राउंड सपोर्ट इक्वीपमेंट की संख्या में कमी आएगी। यह तेजी से विमान के टर्न-अराउंड समय को सुनिश्चित करेगा और एप्रन क्षेत्र में सुरक्षा में सुधार करेगा, जिसके परिणामस्वरूप एयरसाइड पर परिचालन क्षमता में सुधार होगा।
खास बात यह भी है कि वायुयानों से सीओ-2 उत्सर्जन में अनुमानित कमी 70 किग्रा उत्सर्जन प्रति उड़ान होगी। प्रति विमान प्रति टर्नअराउंड प्रक्रिया में 255 किग्रा सीओ-2 उत्सर्जन में और कमी आने की उम्मीद है।

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जीएमआर समूह के उप प्रबंध निदेशक आई प्रभाकर राव के अनुसार दिल्ली एयरपोर्ट को भविष्य के लिए तैयार किया जा रहा है। बुनियादी ढांचे और यात्रियों के बेहतर अनुभव को ध्यान में रखा गया है। इससे हवाई क्षेत्र में सुरक्षा में सुधार होगा। साथ ही यह पर्यावरण के अनुकूल होगा। कंपनी के मुताबिक एयरपोर्ट पर अब जगह नहीं होने की स्थिति में विमान को गो-एराउंड नहीं होना होगा। इससे यहां से ज्यादा विमानों का संचालन संभव होगा। दरअसल एयरपोर्ट पर ज्यादा संख्या में एप्रन का निर्माण किया जा रहा है। ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में विमानों को पार्किंग मिल सके। डायल के अनुसार दिल्ली एयरपोर्ट पर एप्रन का निर्माण तीन चरणों में पूरा किया जा रहा है। पहले चरण में 82 स्टैंडों में से 19 का निर्माण पूरा कर लिया गया है। जिसे नागरिक उड्डयन महानिदेशालय से मंजूरी मिलने के साथ शुरू कर दिया गया है।
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संपूर्ण टी-1 एप्रन का काम पूरा होने पर विमानों के पार्किंग स्टैंड की कुल संख्या 55 से बढ़कर 82 हो जाएगी। जिसमें 22 संपर्क स्टैंड और 8 अन्य स्टैंड शामिल हैं। नया एप्रन एयरसाइड पर हवाई यातायात की भीड़ को कम करेगा। इससे ग्राउंड सपोर्ट इक्वीपमेंट की संख्या में कमी आएगी। यह तेजी से विमान के टर्न-अराउंड समय को सुनिश्चित करेगा और एप्रन क्षेत्र में सुरक्षा में सुधार करेगा, जिसके परिणामस्वरूप एयरसाइड पर परिचालन क्षमता में सुधार होगा।
खास बात यह भी है कि वायुयानों से सीओ-2 उत्सर्जन में अनुमानित कमी 70 किग्रा उत्सर्जन प्रति उड़ान होगी। प्रति विमान प्रति टर्नअराउंड प्रक्रिया में 255 किग्रा सीओ-2 उत्सर्जन में और कमी आने की उम्मीद है।