सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Delhi NCR ›   Noida News ›   When the children's life was in danger, the mother stood up

Noida News: बच्चों की जिंदगी पर संकट आया तो मां हुई खड़ी

Noida Bureau नोएडा ब्यूरो
Updated Thu, 08 May 2025 07:13 PM IST
विज्ञापन
When the children's life was in danger, the mother stood up
loader
Trending Videos
बच्चों की जिंदगी पर संकट आया तो मां हुई खड़ी
Trending Videos

- बच्चों पर आंच आई तो मां ने किडनी भी दान कर दी
माई सिटी रिपोर्टर
नोएडा। जब बच्चों की जिंदगी पर संकट आता है, तो सबसे पहले मां ही आगे बढ़कर खड़ी होती है। वही मां, जो खुद भूखी रहकर भी अपने बच्चों का पेट भरती है। वह बच्चों की खुशी के लिए जमाने से लड़ जाती है, लेकिन बच्चे पर आंच तक नहीं आने देती। इस मदर्स डे पर प्रस्तुत हैं ऐसी ही कुछ प्रेरणादायक कहानियां।

बेटे के लिए मां आईं आगे

सेक्टर-45 में रहने वाले टीकम सिंह की उच्च रक्तचाप की वजह से दोनों किडनियां खराब हो गईं। लगभग एक साल पहले उन्हें बार-बार उल्टियां होने लगी थीं। जब इसकी जांच कराई तो बीमारी की पुष्टि हुई। इस कारण उनकी नौकरी छूट गई और आर्थिक स्थिति खराब हो गई।
विज्ञापन
विज्ञापन

बेटे का दर्द मां रुकमणी देवी से देखा नहीं गया और उन्होंने अपनी किडनी देने का फैसला किया। टीकम सिंह ने बताया कि उन्होंने जयपुर, आगरा, अहमदाबाद समेत कई शहरों से इलाज कराया, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। अब मई के अंतिम सप्ताह में आरएमएल अस्पताल में उनका किडनी ट्रांसप्लांट होने जा रहा है।

मां से देखा नहीं गया बेटी का दर्द
सेक्टर-39 स्थित जिला अस्पताल परिसर में रहने वाली छवि की गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप और अन्य कारणों के चलते दोनों किडनियां खराब हो गईं। इस वजह से उनकी जिंदगी डायलिसिस पर निर्भर थी। मां सीमा दीक्षित से बेटी की हालत देखी नहीं गई और उन्होंने उसे अपनी किडनी देने का निर्णय लिया। सीमा दीक्षित ने बताया कि 22 मार्च 2022 को किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। इससे छवि की हालत पहले से बेहतर हो गई थी, लेकिन कुछ ही दिनों बाद संक्रमण हो गया, जिससे ट्रांसप्लांट असफल रहा। अब छवि का भाई उसे किडनी डोनेट करने जा रहा है।
-मां किडनी देने के लिए थी तैयार, नहीं थे पैसे

मेरा बेटा जीना चाहिए, मेरा क्या है मेरी तो जिंदगी निकल गई। ये कहना है रेखा का जो दनकौर की रहने वाली हैं। पति की मौत काफी पहले हो गई थी। पांच बच्चों में बड़ा बेटा गोलू महज दो साल का था जब उसकी किडनी में संक्रमण हो गया था। पति की मौत के बाद परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा था। ऐसे में गोलू का इलाज नहीं हो पा रहा था। मजबूरी में दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में बेटे का इलाज करा रही थी। सरकारी अस्पताल में ही डाक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी। मां रेखा ने बिना एक पल गंवाए अपनी किडनी देने का फैसला कर लिया। लेकिन ऑपरेशन के लिए जरूरी पैसों की तंगी सबसे बड़ी रुकावट बन गई। कई जगह मदद की गुहार लगाई, लेकिन बात नहीं बनी। मां की दुआओं का असर था कि बिना ट्रांसप्लांट के ही गोलू धीरे-धीरे ठीक हो गया।
-बेटे की दोनों किडनी हुईं खराब, तो मां ने दिया जीवनदान
ग्रेटर नोएडा के सेक्टर पी-3 की सुरिन्द्र बारिया के पति इंडियन एयरफोर्स में थे। वर्ष 2001 में बीमारी की वजह से उनके बेटे अमित की दोनों किडनी फेल हो थी। एक वक्त ऐसा आया जब उनका बेटा अमित जीवन-मौत से जूझ रहा था। बेटे की दोनों किडनियां फेल होने की घटना ने उन्हें तोड़ दिया था। आर्थिक स्थिति खराब थी, लेकिन मां ने हार नहीं मानी। डॉक्टरों की सलाह पर सुरिन्द्र ने अपनी एक किडनी बेटे को दान कर दी। उन्होंने न केवल अपने बेटे को मौत के मुंह से वापस लाया, बल्कि यह साबित कर दिया कि मां सिर्फ जन्म नहीं देती, ज़रूरत पड़े तो दोबारा जिंदगी भी देती है।
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed