AI: एआई बन रहा है सीखने का प्रभावी साथी, लेकिन विशेषज्ञ बोले- अत्यधिक निर्भरता से रुक सकती है सीखने की गति
AI Tools: आज के डिजिटल युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शिक्षा का अहम हिस्सा बनता जा रहा है। यह सीखने को आसान और अधिक प्रभावी बना सकता है, बशर्ते छात्र उस पर पूरी तरह निर्भर न हों। विशेषज्ञों का कहना है कि एआई का समझदारी से उपयोग किया जाए, तो यह सीखने की निरंतरता बनाए रखने में मददगार साबित हो सकता है।
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लेकिन कई बार एआई से सहायता हटते ही कुछ छात्रों का आत्मविश्वास कम हो जाता है और उनकी सीखने या लिखने की रुचि घट जाती है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या एआई सच में छात्रों की प्रेरणा बढ़ाता है और किन परिस्थितियों में यह प्रेरणा कमजोर पड़ जाती है। जैसे-जैसे एआई कक्षाओं में आम हो रहा है, इन पहलुओं को समझना और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
परखें और जरूरत हो तो सुधारें
आजकल छात्र चैटजीपीटी, क्लाउड और एलेक्स जैसे सीखने-विशेष प्लेटफॉर्म इस्तेमाल कर रहे हैं, जो स्तर के अनुसार फीडबैक देते हैं और प्रगति दिखाते हैं। ये टूल छात्रों को सक्षम महसूस कराते हैं, लेकिन उनके लंबे समय के प्रभाव अभी पूरी तरह समझ में नहीं आए हैं। कुछ शोध बताते हैं कि सीखने के नतीजे तो बेहतर होते हैं, पर प्रेरणा में कमी हो सकती है।
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                 
खासकर जब एआई गलत जवाब देता हो। ऐसे में आत्मविश्वास और जुड़ाव कम हो सकता है। इसलिए एआई पर पूरी तरह निर्भर न हों। पहले खुद कोशिश करें, फिर एआई से मदद लें। एआई के सुझावों को समझें, परखें और जरूरत हो तो सुधारें। साथ ही शिक्षक और साथियों से भी फीडबैक लें। इन्सानी और एआई दोनों तरह की प्रतिक्रिया का संतुलन ही लंबे समय तक सीखने की प्रेरणा बनाए रखता है।
सीखते रहें
एआई मदद तो करता है, लेकिन उसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि छात्र इसे कैसे इस्तेमाल करते हैं। जब छात्र नियमित रूप से एआई के साथ अभ्यास करते हैं और शिक्षक उचित मार्गदर्शन देते हैं, तब उनकी प्रेरणा बढ़ने की संभावना अधिक होती है। वहीं कभी-कभी सीखने-विशेष प्लेटफॉर्म आत्मविश्वास को बढ़ाने में सक्षम तो होते हैं, लेकिन टूल्स की लागत कई छात्रों के लिए एक बाधा भी होती है। कुल मिलाकर, बदलती तकनीक के बीच एआई का असर तभी सार्थक होता है, जब उपयोग का संदर्भ सही हो, टूल की गुणवत्ता अच्छी हो, और छात्र अपनी सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय और नियंत्रण में महसूस करें।
संतुलन बनाएं
जब एआई का उपयोग छात्रों की क्षमता और दूसरों से जुड़ाव को मजबूत करने के लिए हो, तब यह सीखने का एक प्रभावी साथी होता है। लेकिन अगर कुछ पहलुओं का ध्यान न रखा जाए, तो एआई पर ज्यादा निर्भरता बढ़ेगी, जिससे समय के साथ प्रेरणा, धैर्य, आलोचनात्मक सोच और मानवीय कौशल कमजोर पड़ सकते हैं। इसके संतुलन के लिए माता-पिता को यह देखना चाहिए कि बच्चे एआई का इस्तेमाल क्या सीखने और अभ्यास के लिए कर रहे हैं या सिर्फ काम जल्दी पूरा करने के लिए। नीति-निर्माताओं को ऐसे एआई टूल बनाने पर ध्यान देना चाहिए, जो छात्रों की सक्रियता बढ़ाएं, भरोसेमंद फीडबैक दें और उन्हें एआई पर निर्भर न बनाएं। -द कन्वर्सेशन