SAFALTA Talks : टेक्नोलॉजी ने खत्म की ब्रांड और ग्राहक के बीच की दूरी : प्रसून कुमार
अतिथि वक्ता : प्रसून कुमार, चीफ मार्केटिंग ऑफिसर, मैजिक ब्रिक्स


विस्तार
सफलता.कॉम द्वारा पॉयनियरिंग मार्केटिंग टेक्नोलॉजी इन इंड़िया विषय पर आयोजित मास्टर क्लास सेशन में प्रसून कुमार ने कहा कि रांची में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद मैं उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली आया। जहां से मेरे कॅरिअर की शुरूआत हुई अपने 25 सालों के अनुभव पर यही कहूंगा कि मार्केटिंग बिजनेस को ड्राइव करता है। ये किसी भी चैनल का ग्रोथ इंजन होता है। बिजनेस को चलाने के लिए आपको कई तरह के स्किल्स की जरूरत होती है। कुछ स्किल्स सपोर्टिंग स्किल होते हैं। जैसे: फायनांस, सेल्स, प्रोडक्ट डेवलपमेंट आदि को फंडामेंटल स्किल्स भी कहा जाता है। इनके बिना किसी भी बिजनेस को खड़ा नहीं किया जा सकता है। पहले किसी भी कंज्यूमर के लिए ब्रांड्स रीचआउट करना आसान नहीं होता था। तब मार्केटिंग में कंज्यूमर से एक ब्रांड के रूप में आप कैसे बात करें, कैसे उन्हें अपना प्रोडक्ट लेने के लिए मनाएंगे, उनके अनुभव में कैसे आप वैल्यू एड करेंगे। कंज्यूमर से इनसाइट्स आप कैसे निकालेंगे, और इनसाइट्स से नए - नए प्रोडक्ट और सर्विसेज कैसे बनाएं जैसी चीजों पर बड़ा काम होता था। देखा जाए तो मार्केटिंग इन सभी चीजों का मिश्रण है जहां आप ब्रांड को प्रबंधित करने से लेकर ग्राहकों से सीधे तौर पर जुड़ने तक पर काम किया जाता है। लेकिन आज टेक्नोलॉजी का जमाना है। आज हम ग्राहकों के साथ पर्सन टू पर्सन संवाद कर रहे हैं। पहले ब्रांड्स और कंज्यूमर में दूरी हुआ करती थी। तब ब्रांड्स तक कंज्यूमर का पहुंचना आसान नहीं था। अब टेक्नोलॉजी के जरिये ग्राहक तुरंत ब्रांड तक अपनी बाद पहुंचा देते हैं। अब ई-कॉमर्स से लेकर तमाम साइट्स पर ग्राहक अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव और शिकायत ब्रांड्स को बता रहे हैं। मेरे मायनों में मार्केटिंग एक बहुआयामी क्षेत्र है जो युवा इस क्षेत्र में आयेगा। उसे काम करके अच्छा लगेगा।
मार्केटर होने के नाते ग्राहकों की जरूरतों का रखना होता है ध्यान
उन्होंने कहा कि आज मार्केटिंग किसी भी क्षेत्र की विशिष्ट फील्ड नहीं है। ये सभी क्षेत्रों के लिए एक कॉमन चीज बन गई है। आप जब मार्केटिंग में होते हो तो आप साबुन, कार या हवाई जहाज लेकर रिटेल, फैशन या टेलीकॉम सर्विसेज जैसा कुछ भी बेच सकते हैं। कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा का आधारीय लक्षण भी इन अलग - अलग तरह की मार्केटिंग में बदलता नहीं है। हालांकि हर कंपनी की अपने अलग बारीकियां होती हैं। जैसे किसी कंपनी को प्रोडक्ट लांच करने में 3 से 6 माह भी लगते हैं उनकी रणनीतियां अलग-अलग होती हैं। वहीं कुछ कंपनियां प्रोडक्ट को जल्दी लांच कर देती हैं। क्योंकि एक मार्केटर होने पर आपको ग्राहकों की जरूरतों के हिसाब से सोचना पड़ता है।
कहा, स्टीव जॉब्स की रणनीति से हुआ प्रभावित
उन्होंने कहा कि एप्पल कंपनी के फाउंडर स्टीव जॉब्स से वह बहुत प्रभावित हैं। क्योंकि जिस तरीके से स्टीव एप्पल को बाजार में लाए और स्थापित किया वो काबिलेतारीफ है। जबकि पहले वह मार्केटर नहीं थे वो उत्पाद क्षेत्र में काम कर रहे थे। उत्पाद बनाना उनका प्रबंधन करना उनकी विशेषता थी। उन्होंने ग्राहकों की जरूरत को समझा और आज आप बच्चों से अगर पूछें कि क्या उन्हें आईफोन चाहिए तो सभी एक सुर में हां कहेंगे। भारत में उन्होंने बीते 20 सालों में बहुत तेजी से अपनी पहचान बनाई आज भारत में ही इसका उत्पादन भी शुरू हो चुका है। किसी भी उत्पाद को ग्राहक की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार करना और उसे ग्राहकों तक पहुंचाना भी एक मार्केटिंग स्ट्रैटजी के अंतर्गत आता है। जैसे आज मर्सिडीज भी ईएमआई पर लोग ले रहे हैं और आईफोन भी। तो ये उत्पाद उन लोगों के लिए भी संभव है जो इन्हें वहन नहीं कर सकते।
आज बिना टेक्नोलॉजी के सर्वाइव करना मुश्किल
इसलिए बड़े और प्रीमियम प्रोडक्ट को उत्पाद की कीमत तय करने में विशेष रणनीति का इस्तेमाल करना पड़ता है। आज हमारे जीवन के हर क्षेत्र में टेक्नोलॉजी की अहम भूमिका है। हर एक पहलू तक टेक्नोलॉजी ने अपनी पहुंच बना ली है। यानि आज बिना टेक्नोलॉजी जाने और बिना टेक्नोलॉजी के साथ काम किये आप सर्वाइव नहीं कर सकते हैं। उन्होंने युवाओं को सलाह दी कि आज बहुत जरूरी है कि आप टेक्नोलॉजी को समझें और उसके हिसाब से काम करें। टेक्नोलॉजी आने के बाद मार्केटिंग में बहुत बड़े बदलाव आए हैं। आझ हम मूमेंट मार्केटिंग के युग में जी रहे हैं। आज वो मार्केटिंग नहीं है जो आज से 10 साल पहले हुआ करती थी। आज लंबे समय के लिए ब्रांड स्ट्रैटजी बनाना और ग्राहकों का लंबे समय तक एक ही ब्रांड पर ध्यान बनाए रखना आसान नहीं है।
आज युवाओं की ध्यान देने की क्षमता हुई कम
आज 30 सेकेंड्स से 1 मिनट तक का ध्यान एक जगह बनाए रखना बच्चों के लिए आसान नहीं है। तो आज के समय में जरूरी है कि उतनी ही देर में एक मार्केटर अपनी बात कह जाए। या 30 सेकेंड का वीडियो आपको अपना फैसला लेने में आगे ले जाए ये मार्केटर्स का आज का नियम बन गया है। मूमेंट मार्केटिंग, प्रोडक्ट मार्केटिंग, मोबाइल मार्केटिंग, सोशल मीडिया मार्केटिंग, डिजिटल मार्केटिंग, परफॉर्मेंस मार्केटिंग ये सभी वो क्षेत्र हैं जहां आज मार्केटिंग का फोकस सबसे ज्यादा है।
टेक्नोलॉजी ने मार्केटिंग को वन टू मैनी से बदलकर बना दिया वन टू वन
मार्केटिंग में टेक्नोलॉजी का फ्रंट एंड के अलावा बैक एंड में भी बहुत ज्यादा स्कोप है। आज युवा इंस्टाग्राम, फेसबुक, लिंक्डइन या यूट्यूब पर हैं जहां वो हर दिन अपने डिजिटल फुटप्रिंट्स छोड़ते जाते हैं। जैसे युवाओं के क्लिक्स, पसंद, नापसंद, कमेंट्स पर क्या बात हो रही है, मैसेज में क्या लिखा जा रहा है, उसकी लाइफ स्टाइल कैसी है आदि जैसी चीजों को एप्स पूरे तरीके से मॉनिटर करते हैं। उसे अनुसार अपनी मार्केटिंग रणनीति तैयार करते हैं। टेक्नोलॉजी ने परंपरागत मार्केटिंग के तरीके वन टू मैनी को बदलकर वन टू वन कर दिया है। क्योंकि पहले ब्रांड होर्डिंग, बैनर पोस्टर, रेडियो, टीवी, प्रिंट मीडिया एड के जरिये एक ही बार में मास मीडिया तक अपनी बात पहुंचाते थे। लेकिन आज व्हाट्सअप मार्केटिंग, पर्सनलाइजेशन के जरिये टेक्नोलॉजी से इसे पर्सन टू पर्सन कर दिया है। पहले वन वे कम्युनिकेशन होता था आज टू वे कम्युनिकेशन हो रहा है। आज अगर कोई मुझे सोशल पर कमेंट करता है तो वह रियल टाइम में नोटिफिकेशन के जरिये मुझ तक पहुंचता है। तो मैं उससे रियल टाइम में ही कम्युनिकेट कर सकता हूं और एक लॉयल कस्टमर में तब्दील कर सकता हूं।
असफल होना समस्या नहीं, उससे न सीखना समस्या है
प्रसून कुमार ने ब्रांड्स के फेल होने पर कहा कि इतनी टेक्नोलॉजी होने के बावजूद कुछ ब्रांड्स फेल हो रहे हैं, तो ये उनके सीखने का सबसे अच्छा समय है। क्योंकि पूरे इतिहास में ऐसा कोई सफल आदमी नहीं है जिसने अपने जीवन में असफलताएं न देखी हों। चाहे वो बिजनेसमैन हों, वैज्ञानिक हों, खिलाड़ी हों या बड़े से बड़ा फिल्म स्टार हर किसी ने असफलता का स्वाद चखा है। उन्होंने कहा कि असफल हो जाना समस्या नहीं है समस्या है असफलता के बाद उससे लर्निंग्स न लेना।
उन्होंने कहा कि आज समाज में ये स्वीकार्यता बढ़ी है कि केवल नौकरी के सहारे ही जीवन नहीं व्यतीत करना है अपना कोई स्टार्टअप भी शुरू करके देखते हैं। तो हजारों स्टार्टअप्स आते हैं कुछ चलते हैं बाकी फेल हो जाते हैं। उनका फेल होना भी जरूरी है क्योंकि जितने नए आइडियाज मार्केट में आएंगे उतना लोगों के लिए आसानी बढ़ेगी। अच्छे आइडिया की मार्केट हमेशा इज्जत करता है। तो जरूरी है कि जो स्टार्टअप आप शुरू करने जा रहे हैं उसकी रणनीति कितने रिसर्च के बाद बनाई गई।