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IIM: संसद में पारित हुआ भारतीय प्रबंधन संशोधन बिल 2023, राष्ट्रपति होंगे प्रमुख बी-स्कूलों के विजिटर
एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला
Published by: श्वेता महतो
Updated Tue, 08 Aug 2023 05:41 PM IST
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सार
राज्यसभा ने भारी मतों से भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) बिल 2023 को मंजूरी दे दी है। इसका उद्देश्य प्रतिष्ठित संस्थानों की शैक्षणिक स्वायत्तता को संरक्षित रखते हुए प्रशासन को मजबूत करना है।

संसद
- फोटो : Social Media

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विस्तार
आईआईएम की प्रबंधन जवाबदेही राष्ट्रपति को सौंपने के प्रावधान पर संसद ने मंगलवार को बिल पारित कर दिया। इस बिल के अनुसार अब प्रमुख बी-स्कूलों के विजिटर राष्ट्रपति होंगे। उनके पास ही कामकाज का ऑडिट और निदेशकों को हटाने या नियुक्त करने की शक्तियां होंगी।
राज्यसभा ने भारी मतों से भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) बिल 2023 को मंजूरी दे दी है। इसका उद्देश्य प्रतिष्ठित संस्थानों की शैक्षणिक स्वायत्तता को संरक्षित रखते हुए प्रशासन को मजबूत करना है।
राज्यसभा ने चार अगस्त को इस बिल को मंजूरी दे दी थी। बिल को लेकर संसद में बहस के बीच शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार का आईआईएम की स्वायत्तता में हस्तक्षेप करने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने बताया कि संस्थानों की प्रबंधन जवाबदेही राष्ट्रपति को सौंपी गई गई है, वहीं अकादमी की जवाबदेही आईआईएम के पास ही रहेगी। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि केंद्र ने आईआईएम को बनाने में 6,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
जनवरी 2018 में लागू हुआ आईआईएम अधिनियम के तहत कुछ प्रमुख बी स्कूलों को अधिक स्वायत्तता प्रदान की गई है। प्रत्येक संस्थान के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में 19 सदस्य होते हैं, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों से केवल एक-एक प्रतिनिधि शामिल होता है। बोर्ड फैकल्टी, पूर्व छात्रों और प्रतिष्ठित व्यक्तित्व समेत 17 लोगों को नामांकित करता है। इसके साथ ही नए निदेशकों और अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए खोज पैनल की भी नियुक्ति करता है।
विपक्षी सदस्यों के सदन से बाहर चले जाने के बाद अनिल अग्रवाल (भाजपा), मस्तान राव बीड़ा (वाईएसआरसीपी), एम थंबीदुरई (एआईएडीएमके) और कनकमेदला रवींद्र कुमार (टीडीपी) सहित सात सदस्यों ने इस बिल पर हो रहे चर्चा में शामिल हुए।
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राज्यसभा ने भारी मतों से भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) बिल 2023 को मंजूरी दे दी है। इसका उद्देश्य प्रतिष्ठित संस्थानों की शैक्षणिक स्वायत्तता को संरक्षित रखते हुए प्रशासन को मजबूत करना है।
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राज्यसभा ने चार अगस्त को इस बिल को मंजूरी दे दी थी। बिल को लेकर संसद में बहस के बीच शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार का आईआईएम की स्वायत्तता में हस्तक्षेप करने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने बताया कि संस्थानों की प्रबंधन जवाबदेही राष्ट्रपति को सौंपी गई गई है, वहीं अकादमी की जवाबदेही आईआईएम के पास ही रहेगी। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि केंद्र ने आईआईएम को बनाने में 6,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
जनवरी 2018 में लागू हुआ आईआईएम अधिनियम के तहत कुछ प्रमुख बी स्कूलों को अधिक स्वायत्तता प्रदान की गई है। प्रत्येक संस्थान के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में 19 सदस्य होते हैं, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों से केवल एक-एक प्रतिनिधि शामिल होता है। बोर्ड फैकल्टी, पूर्व छात्रों और प्रतिष्ठित व्यक्तित्व समेत 17 लोगों को नामांकित करता है। इसके साथ ही नए निदेशकों और अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए खोज पैनल की भी नियुक्ति करता है।
विपक्षी सदस्यों के सदन से बाहर चले जाने के बाद अनिल अग्रवाल (भाजपा), मस्तान राव बीड़ा (वाईएसआरसीपी), एम थंबीदुरई (एआईएडीएमके) और कनकमेदला रवींद्र कुमार (टीडीपी) सहित सात सदस्यों ने इस बिल पर हो रहे चर्चा में शामिल हुए।