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NCERT: नई किताब में सिख गुरुओं के संघर्ष पर डाला गया प्रकाश, भूले-बिसरे नायकों को भी दी गई जगह

एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला Published by: आकाश कुमार Updated Fri, 18 Jul 2025 07:55 PM IST
सार

NCERT Textbook: एनसीईआरटी की कक्षा 8 की नई किताब में सिख गुरुओं के संघर्ष, मराठों के उदय, उपेक्षित नायकों और जनजातीय विद्रोहों को प्रमुखता दी गई है। मुगल काल की धार्मिक असहिष्णुता और उपनिवेश काल के आंदोलनों को भी स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया गया है।
 

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NCERT Class 8 Book Highlights Sikh Gurus' Resistance, Forgotten Heroes and Mughal Era Religious Intolerance
NCERT - फोटो : अमर उजाला, ग्राफिक
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विस्तार
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NCERT Textbook: एनसीईआरटी की नई कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की किताब "समाज की खोज: भारत और उससे आगे" इस हफ्ते जारी की गई। इसमें इतिहास के उन पन्नों को प्रमुखता दी गई है जो अब तक मुख्यधारा की किताबों में नजरअंदाज होते रहे हैं। खासतौर पर सिख गुरुओं द्वारा मुगलों के उत्पीड़न के खिलाफ दिखाए गए साहस, मराठों के उदय, महिलाओं जैसे ताराबाई और अहिल्याबाई होल्कर के योगदान और जनजातीय विद्रोहों को विस्तार से शामिल किया गया है।



यह किताब नई एनसीईआरटी पाठ्यचर्या के तहत आने वाली पहली किताब है, जिसमें दिल्ली सल्तनत, मुगलों, मराठों और औपनिवेशिक युग की शुरुआत कराई गई है।

भूले-बिसरे नायकों को मिला स्थान

इस किताब में रानी दुर्गावती, रानी अबक्का और त्रावणकोर के मार्तंड वर्मा जैसे नायकों को भी जगह दी गई है। साथ ही भारत की सांस्कृतिक ज्ञान परंपरा और कौशल विरासत पर भी एक विशेष खंड रखा गया है।

किताब की शुरुआत में "इतिहास के कुछ अंधकारमय कालखंडों पर टिप्पणी" नामक भाग में छात्रों को यह समझाने की कोशिश की गई है कि युद्ध, रक्तपात और सत्ता की महत्वाकांक्षा जैसे संवेदनशील विषयों को किस तरह पढ़ा और समझा जाए। इसमें कहा गया है, "आज किसी को भी इतिहास की घटनाओं के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए।"

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13वीं से 17वीं सदी का इतिहास

"भारत के राजनीतिक मानचित्र का पुनर्निर्माण" नामक अध्याय में 13वीं से 17वीं सदी तक के भारत के राजनीतिक परिदृश्य में आए बदलावों को समेटा गया है। इसमें दिल्ली सल्तनत और उसके विरोध, विजयनगर साम्राज्य, मुगल शासन और उनके विरुद्ध हुए प्रतिरोध, साथ ही सिखों के उदय को विस्तार से बताया गया है।

बाबर को एक "निर्दयी और क्रूर विजेता" बताया गया है जिसने "शहरों की पूरी आबादी का कत्लेआम किया।" औरंगजेब को एक सैन्य शासक के रूप में वर्णित किया गया है जिसने मंदिरों और गुरुद्वारों को नष्ट किया। किताब में इस बात का उल्लेख है कि "मुगल काल में धार्मिक असहिष्णुता की कई घटनाएं हुईं।"

अकबर को "क्रूरता और सहिष्णुता का मिश्रण" बताया गया है। किताब में यह भी दर्ज है कि "गैर-मुस्लिमों को प्रशासन के ऊपरी स्तरों में बहुत कम स्थान दिया गया।" चित्तौड़गढ़ की घेराबंदी के बाद "करीब 30,000 लोगों के नरसंहार का आदेश" देने की बात भी बताई गई है।

मराठा, सिख और उपनिवेशकालीन विद्रोह

मराठों को सिर्फ युद्ध शक्ति के लिए नहीं, बल्कि समुद्री ताकत और प्रशासनिक सुधारों के लिए भी महत्व दिया गया है। सिख गुरुओं द्वारा अन्याय के विरुद्ध संघर्ष और अपनी पहचान को बचाए रखने के प्रयासों को विस्तार से दर्शाया गया है।

इसके साथ ही उपनिवेश काल के विद्रोहों जैसे संन्यासी-फकीर आंदोलन, नील विद्रोह और 1857 की क्रांति को भी शामिल किया गया है। 

एनसीईआरटी की टेक्स्टबुक समिति के एक सदस्य के अनुसार, "इससे छात्रों को संघर्षों की एक अधिक समावेशी तस्वीर देखने को मिलेगी, जो अब तक की सामान्य कहानियों से अलग है।"

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