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NCERT: ऑपरेशन सिंदूर पर एनसीईआरटी ने पेश किए विशेष मॉड्यूल; कक्षा 3 से 12वीं तक की किताबों में किए गए शामिल

एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला Published by: आकाश कुमार Updated Tue, 19 Aug 2025 09:04 PM IST
सार

NCERT: पाठ्यपुस्तकों में सामग्री अपडेट करने का सिलसिला जारी रखते हुए एनसीईआरटी ने अब इसमें ऑपरेशन सिंदूर को भी शामिल कर लिया है। कक्षा 3 से 12वीं तक के लिए ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष मॉड्यूल पेश किया गया है।
 

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NCERT releases special module on Operation Sindoor for classes 3 to 12; Read here
एनसीआरटी ने ऑपरेशन सिंदूर पर पेश किया विशेष मॉड्यूल - फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
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NCERT: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने अपनी किताबों में ऑपरेशन सिंदूर को जगह दी है। कक्षा 3 से 12वीं तक के लिए ऑपरेशन सिंदूर पर दो विशेष मॉड्यूल जारी किए गए हैं। इनमें कहा गया है कि भले ही पाकिस्तान ने पहलगाम आतंकी हमले में अपनी संलिप्तता से इनकार किया है, लेकिन यह पाकिस्तान के सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व के सीधे आदेश पर किया गया था।



प्रारंभिक और माध्यमिक स्तर यानी कक्षा 3 से 8 के लिए इन दो मॉड्यूल का शीर्षक 'ऑपरेशन सिंदूर- वीरता की गाथा' और माध्यमिक स्तर यानी कक्षा 9 से 12 के लिए 'ऑपरेशन सिंदूर- सम्मान और बहादुरी का मिशन' है। ये मॉड्यूल स्कूली बच्चों में भारत की सैन्य शक्ति के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से बनाए गए हैं।
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ऑपरेशन सिंदूर को "बहादुरी, रणनीति और नवाचार की विजय" बताते हुए, इन मॉड्यूल में भारत की वायु रक्षा प्रणालियों, जैसे S-400, का भी उल्लेख किया गया है, जिसने लंबी दूरी पर दुश्मन के विमानों को मार गिराया और दुश्मन के ड्रोन को नुकसान पहुंचाने से भी रोका।
 

ऑपरेशन सिंदूर पीडितों की विधवाओं के प्रति श्रद्धांजलि: एनसीईआरटी

मॉड्यूल में कहा गया है कि ऑपरेशन सिंदूर केवल सैन्य अभियान नहीं, बल्कि शांति की रक्षा और शहीद हुए लोगों के सम्मान का वादा है। ऑपरेशन सिंदूर नाम पीड़ितों की विधवाओं के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में चुना गया था, जो एकजुटता, सहानुभूति और सम्मान का प्रतीक है।

ऑपरेशन सिंदूर के बारे में विस्तार से बताने से पहले, मॉड्यूल में भारत में शांति भंग करने के पाकिस्तान के कई प्रयासों का जिक्र है। 2016 में हुए उरी हमले और 2019 के पुलवामा हमले जैसे विशिष्ट आतंकी हमलों पर भी संक्षेप में चर्चा की गई है।
 

पहलगाम हमले के बाद स्थानीय लोगों की भूमिका पर विशेष ध्यान

एनसीईआरटी मॉड्यूल में आतंकी हमले के बाद स्थानीय लोगों की भूमिका पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसमें कहा गया है, "स्थानीय लोग खड़े हुए और आतंकवादियों के खिलाफ आवाज उठाई। उनकी प्रतिक्रिया रूढ़िवादिता को तोड़ती है और शांतिप्रिय लोगों की असली आवाज को उजागर करती है।"

एक मॉड्यूल में कहा गया है, "भारत ने 7 मई, 2025 को पाकिस्तान और पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) में स्थित नौ आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाकर मिसाइलें और हवाई हमले किए। अंततः चुने गए और स्वीकृत किए गए नौ ठिकानों में से सात आतंकी शिविरों को भारतीय सेना ने नष्ट कर दिया, जबकि भारतीय वायु सेना ने मुरीदके और बहावलपुर में आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया, जो लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के गढ़ हैं।"

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने सरकार के इस रुख को दोहराया है कि भारत ने सुनिश्चित किया कि किसी भी नागरिक को नुकसान न पहुंचे।

इसमें आगे कहा गया है, "हर लक्ष्य की दोबारा जाँच की गई। केवल आतंकवादी ठिकानों पर ही हमला किया गया। इस ऑपरेशन ने दिखाया कि भारत आतंकवादी सरगनाओं को सजा से बचने नहीं देगा।"

इन मॉड्यूल में इस बात पर जोर दिया गया है कि देश भर के लोग एकजुट थे और एकजुटता के लिए देश भर में मोमबत्ती मार्च निकाले गए।

मुस्लिम समुदाय के प्रयासों को भी किया गया शामिल

द्वितीयक चरण के मॉड्यूल में कहा गया है, "हैदराबाद, लखनऊ और भोपाल में मुस्लिम समुदायों ने काली पट्टियां बांधीं और हमले की खुलकर निंदा की। कश्मीर में दुकानदारों ने विरोध में अपनी दुकानें बंद कर दीं। सीमा के पास के गांवों ने कड़ी कार्रवाई की मांग की और सशस्त्र बलों का समर्थन किया।"

इसमें आगे कहा गया है, "स्थानीय (कश्मीरी) आबादी खड़ी हुई और आतंकवादियों के खिलाफ आवाज़ उठाई। उनकी प्रतिक्रिया रूढ़िवादिता को तोड़ती है और शांतिप्रिय लोगों की असली आवाज को दर्शाती है।"

एक मॉड्यूल में कहा गया है, "अतीत में, भारत अपने नागरिकों के लिए खड़े होने से कभी नहीं हिचकिचाया। हमने 1947, 1965, 1971 और 1999 के युद्धों में कड़ा जवाब दिया... ऑपरेशन सिंदूर, जैश-ए-मोहम्मद (JeM), लश्कर-ए-तैयबा (LeT), हिजबुल मुजाहिदीन (HuM) और पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी ISI के नेतृत्व वाले आतंकवाद को रोकने का भारत का तरीका भी था।"

इसमें कहा गया है, "यह सिर्फ एक सैन्य अभियान नहीं था; यह शांति की रक्षा और जान गंवाने वालों के सम्मान का वादा था।"

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