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Bihar Election 2025: पिछले तीन चुनावों में किसे मिला सारण प्रमंडल का साथ? जानें यहां की चर्चित सीटें और समीकरण

इलेक्शन डेस्क, अमर उजाला Published by: संध्या Updated Fri, 31 Oct 2025 07:31 AM IST
सार

Bihar Election 2025: बिहार में कुल 243 सीटों में से 24 सीटें सारण प्रमंडल के अंदर आती हैं। इसमें तीन जिले सारण, सीवान और गोपालगंज आते हैं। पिछले तीन चुनावों में यहां कभी राजद तो कभी भाजपा का दबदबा रहा है। 

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बिहार चुनाव सारण प्रमंडल की चर्चित सीटें - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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बिहार विधानसभा चुनाव में सियासी दलों का प्रचार जोर पकड़ चुका है।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अपने-अपने दलों और गठबंधन के उम्मीदवारों के लिए प्रचार कर रहे हैं। आगामी 6 और 11 नवंबर को होने वाले मतदान से पहले आरोप-प्रत्यारोप का दौर बिहार ड्रामें और अपमान तक पहुंच गया है। बिहार नौ प्रमंडलों में बंटा हुआ है। आज बात सारण प्रमंडल की। सारण प्रमंडल में कुल तीन जिले आते हैं। इसमें सारण, सीवान और गोपालगंज शामिल हैं। 

सारण प्रमंडल का सियासी समीकरण क्या है? पिछली तीन बार यहां के सियासी समीकरण किसके पक्ष में रहे? 2020 किस दल को कितनी सीटों पर सफलता मिली थी? इस बार की चर्चित सीटें कौन सी हैं? आइये जानते हैं…

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सारण क्षेत्र का सियासी समीकरण क्या है?

सारण प्रमंडल में तीन जिले सारण, सीवान और गोपालगंज आते हैं। इस प्रमंडल का प्रशासनिक मुख्यालय छपरा है। प्राचीनकाल में ये इलाका कोसल देश का एक हिस्सा था। कोसल में उत्तर प्रदेश में आधुनिक फैजाबाद, गोंडा, बस्ती, गोरखापुर, देवरिया और बिहार में सारण शामिल थे। चुनावी लिहाज से बात करें तो प्रदेश में 243 सीटों में से 24 सीटें सारण प्रमंडल में आती हैं। इनमें सबसे ज्यादा 10 विधानसभा सीटें सारण जिले में हैं। वहीं, सीवान में आठ और गोपालगंज जिले में छह सीटें हैं।  

2020 में कैसे रहे थे नतीजे? 

2020 के विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच में था। 243 सदस्यीय विधानसभा में एनडीए ने 125 सीटें जीतीं थीं। इनमें सबसे ज्यादा 74 सीटें भाजपा के खाते में गई थीं। जदयू को 43, वीआईपी और हम को 4-4 सीट पर सफलता मिली थी।  राज्य की 110 सीटें महागठबंधन के खाते में गई थीं। 75 सीटें जीतकर राजद राज्य की सबसे बड़ा दल बना था। इसके साथ ही कांग्रेस को 19, वामदलों को 16 सीट पर जीत मिली थी। इनमें 12 सीटें भाकपा (माले) और दो-दो सीटें भाकपा और माकपा के खाते में गईं थी। अन्य दलों की बात करें तो एआईएमआईएम ने पांच, बसपा, लोजपा और निर्दलीय को एक-एक सीट पर जीत मिली थी।  

सारण प्रमंडल में किसे मिली थी बढ़त?

2020 के विधानसभा चुनाव में राजद को सबसे बड़ी पार्टी बनवाने में सारण की बड़ी भूमिका रही थी। प्रमंडल की 24 में से 15 सीटों पर महागठबंधन को जीत मिली। बाकी नौ सीटें एनडीए को नौ सीट मिली थी। दलवार आंकड़ों का बात करें तो महागठबंधन में शामिल राजद को 11 सीटें और कांग्रेस को एक सीट मिली, वहीं भाकपा माले दो और माकपा को एक सीट जीतने में सफल रही। उधर एनडीए से भाजपा को सात सीटें और जदयू को दो सीटें सारण प्रमंडल से मिली थीं। 

2015 में कैसे थे नतीजे?

प्रदेश में 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच में मुकाबला हुआ। इस चुनाव में महागठबंधन में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी भी शामिल थी। जदयू के अलावा राजद और कांग्रेस ने साथ मिलकर यह चुनाव लड़ा। वहीं, एनडीए में भाजपा के साथ लोजपा, जीतन राम मांझी की हम और उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा शामिल थे। 
इस चुनाव में महागठबंधन ने 178 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं, एनडीए को 58 सीटों से संतोष करना पड़ा था। वाम दलों के खाते में तीन सीटें गईं थी। दलवार आंकडे़ की बात करें तो राजद को सबसे ज्यादा 80 सीटें मिली थीं। जदयू के खाते में 71 और कांग्रेस को 27 सीटों पर सफलता मिली थी। एनडीए में सबसे ज्यादा 53 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। लोजपा और रालोसपा को दो-दो और हम को एक सीट जीतने में सफलता मिली थी। वाम दलों में तीनों सीटें भाकपा (माले) ने जीती थीं। बाकी चार सीटों रप निर्दलीय उम्मीदवार जीतने में सफल रहे थे। 

2015 में सारण प्रमंडल में किसे मिली बढ़त?

सारण प्रमंडल की बात करें तो 2015 में भी इस क्षेत्र का चुनाव परिणाम महागठबंधन के पक्ष में गया था। महागठबंधन को यहां 18 सीटों पर जीती मिली थी। वहीं एनडीए को सिर्फ पांच सीटों के साथ संतोष करना पड़ा था। वहीं एक सीट भाकपा (माले) के खाते में गई थी। दोनों गठबंधनों के दलवार आंकड़ों की बात करें तो महागठबंधन में राजद को नौ सीटें, जदयू को सात और कांग्रेस को दो सीटों पर जीत मिली थी। एनडीए द्वारा जीती गई सभी पांच सीटें भाजपा के खाते में गई थीं। 

2010 में कैसे थे नतीजे?

2008 में परिसीमन के बाद यहां 2010 में पहली बार चुनाव हुए थे। इस चुनाव में एकतरफा एनडीए को जीत मिली थी। एनडीए में जदयू और भाजपा ने एक साथ चुनाव लड़ा था। वहीं राजद और लोजपा साथ थे। वहीं, कांग्रेस ने सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इस चुनाव में एनडीए को 243 में से 206 सीटों पर एकतरफा जीत मिली। राजद-लोजपा गठबंधन को महज 25 तो कांग्रेस को चार सीटों से संतोष करना पड़ा। बाकी सात सीटों में से छह निर्दलियों के खाते में गई थी। वहीं, चकाई सीट पर झामुमो के सुमित कुमार सिंह जीते थे। दलवार आंकड़ों की बात की जाए तो एनडीए की 206 सीटों में से 115 जदयू और 91 सीटें भाजपा के खाते में गई थीं। वहीं, राजद को 22 और लोजपा को 3 सीटों पर जीत मिली थी।  

2010 में सारण प्रमंंडल में किसे मिली बढ़त?

बिहार में 2010 के चुनाव में सारण प्रमंडल में एनडीए ने नीतीश कुमार के काम की बदौलत 24 में से 22 सीटें जीत लीं थीं। इनमें 12 सीटें भाजपा को मिलीं और 10 सीटों पर जदयू का कब्जा हुआ। राजद गठबंधन में केवल राजद को यहां सिर्फ दो सीटें ही हासिल हुई थीं। यहां तक की लालू यादव के गृह जिले गोपालगंज में भी राजद को सभी छह सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। 

इस चुनाव में सारण प्रमंडल की कौन सीटें हैं चर्चा में?

सारण प्रमंडल की सबसे चर्चित सीटों की बात करें तो इनमें  सीवान, भोरे, बनियापुर छपरा, शामिल है। आइये इन सीटों के बारे में जानते हैं…

सीवान: इस चुनाव का सबसे बड़ा मुकाबला सीवान सीट पर ही हो रहा है। यहां से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और छह बार के सीवान विधायक अवध बिहारी चौधरी का मुकाबला भाजपा के कद्दावर नेता और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे से है। राजद के अवध बिहारी 2020 में भी यहां से जीते थे। जनसुराज का तरफ से इन्तेखाब अहमद इस सीट पर उतरे हैं। 

छपरा: मशहूर भोजपुरी गायक और अभिनेता खेसारी लाल यादव की वजह से सारण जिले की छपरा सीट चर्चा में है। इस सीट से राजद ने महागठबंन की ओर से शत्रुघ्न यादव उर्फ खेसारी लाल यादव को मैदान में उतारा है। खेसारी लाल के खिलाफ भाजपा ने छोटी कुमारी और जनसुराज ने जयप्रकाश सिंह को टिकट दिया है। इस सीट पर कुल 10 उम्मीदवार मैदान में हैं। 

रघुनाथपुर: सीवान जिले की इस सीट पर राजद ने बाहुबली शाहबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब को टिकट दिया है। जदयू ने यहां से विकास कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया है। वहीं जनसुराज की तरफ से राहुल कीर्ति मैदान में हैं।  पिछले दो चुनावों से यहां राजद ने जीत दर्ज की है। दोनों बार यहां से राजद के हरिशंकर यादव को जीत मिली थी। पार्टी ने इस बार उनकी जगह ओसामा शहाब को टिकट दिया है।   

भोरे: यह सीट गोपालगंज जिले के अंदर आती है। इस सीट से वर्तमान विधायक सुनील कुमार बिहार सरकार में शिक्षा मंत्री हैं। उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में भाकपा माले के प्रत्याशी जितेंद्र पासवान को मात्र 462 वोटों के बेहद मामूली अंतर से हराकर जीत दर्ज की थी। इस बार भी सुनील कुमार को जदयू से टिकट मिला है। उधर, महागठबंधन की ओर से भाकपा माले के धनंजय मैदान में हैं। जनसुराज ने प्रीति किन्नर को टिकट दिया है। 

बनियापुर:  सारण जिले बनियापुर सीट पर भाजपा ने केदार नाथ सिंह को टिकट दिया है। केदारनाथ इससे पहले यहां से लगातार तीन बार राजद के टिकट पर जीत चुके हैं। केदारनाथ चुनाव से पहले पाला बदलकर राजद से भाजपा में आए हैं। राजद ने यहां से चांदनी देवी को मैदान में उतारा है। जनसुराज के टिकट पर श्रवण कुमार मैदान में हैं। 

 गरखा- चिराग का भांजे सीमांत मृणाल यहां से लोजपा के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। पिछली बार इस सीट पर भाजपा के उम्मीदवार को हार मिली थी। इस बार एनडीए गठबंधन में भाजपा ने यह सीट लोजपा के लिए छोड़ दी। राजद ने यहां से मौजूदा विधायक सुरेंद्र राम को ही टिकट दिया है। जनसुराज ने मनोहर कुमार राम को उम्मीदवार बनाया है। 

 मढ़ौरा- सभी सीट किसी न किसी प्रत्याशी को लेकर चर्चा में हैं, लेकिन सारण जिले की मढ़ौरा सीट एनडीए का प्रत्याशी न होने के कारण चर्चा में है। सीट बंटवारे में यह सीट लोजपा के खाते में गई थी। लोजपा ने यहां से  सीमा सिंह को टिकट दिया, लेकिन उनका नामांकन रद्द हो गया। सीमा का नामांकन रद्द होने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ रहे अंकित कुमार को एनडीए ने अपना समर्थन दिया है। राजद ने पिछले तीन चुनावों से जीत रहे जितेंद्र कुमार राय और जनसुराज ने नवीन कुमार सिंह उर्फ अभय सिंह को मैदान में उतारा है। 

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