Amar Ujala Samwad: 'घर में मेरी कोई वैल्यू नहीं है'; संवाद में अरशद वारसी ने सुनाए निजी जिंदगी के किस्से
Arshad Warsi: लोकप्रिय अभिनेता अरशद वारसी बीते दिनों हरियाणा में आयोजित अमर उजाला संवाद में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने अपनी निजी जिंदगी को लेकर कई दिलचस्प बातें साझा कीं।
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हरियाणा के गुरुग्राम में बीते बुधवार को अमर उजाला संवाद कार्यक्रम आयोजित हुआ। यहां खेल, राजनीति, धर्म और मनोरंजन से जुड़ी दिग्गज हस्तियां शामिल हुईं। मशहूर बॉलीवुड एक्टर अरशद वारसी भी यहां पहुंचे। इस दौरान उन्होंने करीब तीन दशक के करियर और फिल्मों पर बात की। इसके अलावा निजी जिंदगी पर भी कुछ दिलचस्प किस्से शेयर किए। पढ़िए
आपकी जो करियर जर्नी रही है उसमें कभी आपको आउटसाइडर जैसा महसूस हुआ?
अरशद वारसी: वो रहेगी। हकीकत है यह, इससे आप इनकार नहीं कर सकते। वो होगा और उसमें कुछ गलत नहीं है। आज अगर डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बनना चाहता है तो उसमें क्या नुकसान है? मैं भी अपने बेटे को चाहता हूं कि वो मुझे टेकओवर करे। जो टैलेंट है, वो कहीं नहीं जाएगा। बतौर स्टारकिड अगर आप टैलेंटिड नहीं है, तो आपके लिए कोई जगह नहीं है। सिर्फ इतना होता है कि उनके लिए दरवाजे खुलते हैं। इससे ज्यादा नहीं होता। कितने स्टारकिड हैं, जो बहुत अच्छा कर रहे हैं और कितने ही कुछ नहीं कर पाए। कितने ही नॉन नेपोकिड बहुत अच्छा कर रहे हैं और कुछ बिल्कुल अच्छा नहीं कर पाए। जनता को कोई परवाह नहीं है कि आप किसकी औलाद हैं।
आपने अपना एक मीम देखा, 'कौन हैं ये लोग, कहां से आ जाते हैं'? आप कैसे रिएक्टर करते हैं?
अरशद वारसी: मैं बहुत टैक सेवी नहीं हूं। मुझे इंस्टा वगैरह चलाना अभी भी नहीं आता। मुझे कोई दिलचस्पी भी नहीं है इसे सीखने में। मेरे पास किसी जानने वाले ने पहली बार यह मीम भेजा था। वह वीडियो जेनिफर लोपेज का था, उसमें उनकी पैंट और बूट सेम थे। उसके इस लुक के साथ मैं दिखाई देता हूं वीडियो में और कहता हूं, 'कहां से आते हैं ये लोग'। मैंने कहा, 'मैंने नहीं किया ये सब'। तब मुझे बताया गया कि ये मीम है। तब मैंने कहा कि ये बहुत फनी है।
आजकल शायद तीन घंटे की फिल्म को इतने व्यू नहीं मिलते, जितने पंद्रह सेकेंड की रील को मिल जाते हैं। आप भविष्य को कैसे देखते हैं? क्या आने वाले वक्त में फिल्म भी इस फॉर्मेट में शूट होंगी?
अरशद वारसी: उस कंटेंट की लाइफ भी 15 सेकेंड भी है। मुझे ऐसा नहीं लगता कि इस फॉर्मेट में फिल्म शूट होंगी। सिनेमा एक अनुभव है। ऐसे में यह नहीं होगा।
आपने अपनी लाइफ में डाउन फॉल भी देखा होगा। आप सबको कैसे मोटिवेट करेंगे। आप उस पड़ाव से कैसे निकले?
अरशद वारसी: आपको खुद में यकीन करना होगा। अगर आपको खुद पर भरोसा है तो दुनिया को आप पर आज नहीं तो कल भरोसा हो जाएगा। मुझे लगा कि फिल्में नहीं चलीं और मैं लोगों को यहां तक एंटरटेन कर चुका हूं तो मुझमें प्रतिभा है। कुछ लोग आज पहचान रहे हैं, कुछ कल पहचानेंगे और कुछ परसों पहचानेंगे। एक वक्त बाद सभी लोग पहचानेंगे। दिक्कत तब होती है, जब उस कमजोर वक्त में कुछ गलत करते हो। सब्र और खुद पर भरोसा जरूरी है।
कभी ऐसा हुआ है कि अकेले में तन्हाई में बैठकर दिल फाड़कर रोए हैं कि ऐसा क्यों नहीं हुआ?
अरशद वारसी: कोई काम क्यों नहीं हुआ, इसके लिए मैं कभी नहीं रोया। 'तुम्हारे हिस्से में वो आता है, जिसके लिए तुमने काम किया', मैं इस लाइन पर यकीन करता हूं। आज अमिताभ और शाहरुख इसलिए अमिताभ और शाहरुख बन पाए, क्योंकि वो वही बनना चाहते हैं।' अरशद ने आगे कहा, 'लाइफ में मैं सिर्फ तब रोया जब मेरी मां का निधन हुआ। मैंने बहुत कोशिश की कि मैं मजबूत बना रहूं पर हो नहीं पाया। तब मैं बाथरूम में खूब रोया था और वो निकल गया तो काफी अच्छा लगा।' रोने से शरमाना नहीं चाहिए। खुलकर करना चाहिए। एक बार और हुआ था जब काम, प्रेशर और टेंशन एक वक्त पर हो रही थीं। तब मैंने खुद को बंद किया और रोया था।
अरशद से पूछा गया कि क्या आप अच्छे कलाकार, अच्छे इंसान हैं, इतना अच्छा सेंस ऑफ ह्यूमर है, अच्छे हसबैंड हैं..., तो क्या आपकी पत्नी इतने सफल इंसान को डांटती हैं?
इस पर अरशद ने कहा, 'किसी की दुखती रग पर इस तरह हाथ नहीं रखते यार। थोड़ा सोचो। पहली बात तो मेरे घर में मेरी कोई वैल्यू नहीं है। मुन्नाभाई जब मैंने की तो सभी जगह खूब हंगामा हो गया। मेरे बेटे का बर्थडे था। एक दोस्त आया उसका। बोला- सर्किंट..सर्किट.. और मेरा बेटा पूछ रहा है कि ये सर्किट कौन है? तब महसूस हुआ कि घर की मुर्गी दाल बराबर'।