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'महाभारत तो पढ़ी नहीं, कर्ण कैसे निभाऊं...?' मुकेश खन्ना से पूछते थे पंकज धीर; बीमारी के चलते हुए घर में कैद
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सार
Mukesh Khanna on Pankaj Dheer Death: महाभारत में भीष्म पितामह का किरदार निभा चुके मुकेश खन्ना ने पंकज धीर के निधन पर दुख जताया है। अमर उजाला से बातचीत में उन्होंने क्या कुछ कहा, चलिए जानते हैं।

मुकेश खन्ना इंटरव्यू
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
‘महाभारत’ फेम अभिनेता पंकज धीर का निधन हो गया है। बुधवार सुबह उनके निधन की खबर ने सभी को हैरान और दुखी कर दिया। अमर उजाला ने उनके दोस्त और को-स्टार मुकेश खन्ना से बातचीत की। मुकेश खन्ना ने शो में भीष्म पितामह का किरदार निभाया था। बातचीत के दौरान मुकेश ने बताया कि पंकज धीर का फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में सफर आसान नहीं था। उन्होंने असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर शुरुआत की थी। संघर्षों के बावजूद उन्होंने मेहनत और समर्पण से सफलता हासिल की। ‘महाभारत’ में कर्ण का किरदार निभाने से उनके करियर और पहचान को नई ऊंचाई मिली। पढ़िए बातचीत के कुछ प्रमुख अंश:
'वह मुझे हमेशा 'MK' बुलाते थे'
पंकज धीर सिर्फ पर्दे पर एक बेहतरीन अभिनेता ही नहीं थे, बल्कि असल जिंदगी में भी बेहद जिंदादिल और ऊर्जा से भरे इंसान थे। मुझे उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानने का सौभाग्य मिला और हमारा रिश्ता हमेशा अपनापन और गर्मजोशी से भरा रहा। वह मुझे हमेशा 'MK' बुलाते थे, जो हमारे बीच की सरलता और स्नेह को दर्शाता था।

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'वह मुझे हमेशा 'MK' बुलाते थे'
पंकज धीर सिर्फ पर्दे पर एक बेहतरीन अभिनेता ही नहीं थे, बल्कि असल जिंदगी में भी बेहद जिंदादिल और ऊर्जा से भरे इंसान थे। मुझे उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानने का सौभाग्य मिला और हमारा रिश्ता हमेशा अपनापन और गर्मजोशी से भरा रहा। वह मुझे हमेशा 'MK' बुलाते थे, जो हमारे बीच की सरलता और स्नेह को दर्शाता था।
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मुकेश खन्ना और पंकज धीर
- फोटो : Credit : Bheeshm International
'इंटरव्यू नहीं देते थे, लेकिन मेरे लिए उन्होंने समय निकाला'
करीब एक साल पहले मैंने उन्हें अपने पॉडकास्ट के लिए इंटरव्यू किया था। उन्हें मनाना आसान नहीं था, क्योंकि वह इंटरव्यू नहीं देते थे। लेकिन मेरे लिए उन्होंने समय निकाला और मेरे साथ बैठकर बातें कीं। कुछ महीने पहले जब मैंने उनसे फिर संपर्क किया, तो पता चला कि उनकी तबियत ठीक नहीं थी। वह घर से बाहर नहीं निकल पा रहे थे। मुझे पता चला कि वह कैंसर से जूझ रहे थे और इलाज चल रहा था। यह सुनकर बहुत दुख हुआ। इतना ज़िंदादिल इंसान अब घर तक सीमित हो गया था।
यह खबर भी पढ़ें: पंकज धीर का परिवार: कॉस्ट्यूम डिजाइनर थीं पत्नी, शाहरुख के साथ काम कर चुका है बेटा; बहू भी रहीं टीवी एक्ट्रेस
'पुनीत इस्सर के बेटे की शादी में भी शामिल नहीं हुए'
मैं, पुनीत इस्सर और पंकज धीर सिर्फ को-स्टार्स नहीं थे, बल्कि सच्चे दोस्त थे। मुझे याद है, कुछ महीने पहले पुनीत इस्सर के बेटे सिद्धांत की शादी हुई थी। मुझे उम्मीद थी कि पंकज जी जरूर आएंगे, लेकिन वह घर पर ही रहे। उनके बेटे निकितिन ने बताया कि वह घर से बाहर नहीं निकले। यह सुनकर बहुत दुख हुआ। मुझे बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि वह हमें इतनी जल्दी छोड़ देंगे।
'उन्होंने महाभारत कभी पढ़ी नहीं थी'
सबसे खास बात यह थी कि उन्होंने महाभारत कभी पढ़ी नहीं थी। उनकी पढ़ाई कॉन्वेंट स्कूल में हुई थी। वह अक्सर सेट पर मजाक करते थे, 'MK, मैंने महाभारत कभी पढ़ी नहीं। अब इसे कैसे निभाऊँ?' फिर भी, उनका अभिनय इतना बेहतरीन था कि उन्होंने कर्ण का किरदार पूरी निपुणता और मास्टरी के साथ निभाया। सेट पर हम उनकी candid बातें सुनकर हँसते थे, लेकिन उनके समर्पण और मेहनत ने हर संदेह को सफलता में बदल दिया।
करीब एक साल पहले मैंने उन्हें अपने पॉडकास्ट के लिए इंटरव्यू किया था। उन्हें मनाना आसान नहीं था, क्योंकि वह इंटरव्यू नहीं देते थे। लेकिन मेरे लिए उन्होंने समय निकाला और मेरे साथ बैठकर बातें कीं। कुछ महीने पहले जब मैंने उनसे फिर संपर्क किया, तो पता चला कि उनकी तबियत ठीक नहीं थी। वह घर से बाहर नहीं निकल पा रहे थे। मुझे पता चला कि वह कैंसर से जूझ रहे थे और इलाज चल रहा था। यह सुनकर बहुत दुख हुआ। इतना ज़िंदादिल इंसान अब घर तक सीमित हो गया था।
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'पुनीत इस्सर के बेटे की शादी में भी शामिल नहीं हुए'
मैं, पुनीत इस्सर और पंकज धीर सिर्फ को-स्टार्स नहीं थे, बल्कि सच्चे दोस्त थे। मुझे याद है, कुछ महीने पहले पुनीत इस्सर के बेटे सिद्धांत की शादी हुई थी। मुझे उम्मीद थी कि पंकज जी जरूर आएंगे, लेकिन वह घर पर ही रहे। उनके बेटे निकितिन ने बताया कि वह घर से बाहर नहीं निकले। यह सुनकर बहुत दुख हुआ। मुझे बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि वह हमें इतनी जल्दी छोड़ देंगे।
'उन्होंने महाभारत कभी पढ़ी नहीं थी'
सबसे खास बात यह थी कि उन्होंने महाभारत कभी पढ़ी नहीं थी। उनकी पढ़ाई कॉन्वेंट स्कूल में हुई थी। वह अक्सर सेट पर मजाक करते थे, 'MK, मैंने महाभारत कभी पढ़ी नहीं। अब इसे कैसे निभाऊँ?' फिर भी, उनका अभिनय इतना बेहतरीन था कि उन्होंने कर्ण का किरदार पूरी निपुणता और मास्टरी के साथ निभाया। सेट पर हम उनकी candid बातें सुनकर हँसते थे, लेकिन उनके समर्पण और मेहनत ने हर संदेह को सफलता में बदल दिया।

पंकज धीर, पुनीत इस्सर और मुकेश खन्ना
- फोटो : एक्स
'फिल्म इंडस्ट्री में पंकज धीर का सफर आसान नहीं था'
फिल्म इंडस्ट्री में पंकज धीर का सफर आसान नहीं था। उन्होंने नरेंद्र बेदी की पहली फिल्म में असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में काम किया। उस समय उन्हें केवल 300 रुपये प्रति माह मिलते थे। उनके पिता भी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े थे, लेकिन पंकज धीर ने अपने दम पर संघर्ष किया। कई मुश्किलों और छोटे-मोटे कामों के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। फिर महाभारत आया। इसने उनके करियर और जीवन दोनों को बदल दिया। कर्ण का किरदार निभाने से उन्हें न केवल पहचान मिली, बल्कि उनके अभिनय और समर्पण की वजह से उन्हें सफलता के नए आयाम भी हासिल हुए।
'उन्हें खोना मेरे लिए बहुत बड़ा सदमा है'
मैंने पहले सोचा था कि मैं कर्ण या अर्जुन का रोल निभाऊँगा, लेकिन किस्मत ने भिष्म का किरदार लिखा। और फिर पंकज धीर कर्ण बने। यह मेरे लिए बिल्कुल सही तालमेल था। हमारे बीच रिश्ता केवल काम तक सीमित नहीं था। यह सम्मान, विश्वास और गहरी मित्रता पर आधारित था। समय के साथ, महाभारत के कई साथी...गुफी पैंटल (शकुनी), प्रवीण कुमार (भीम) हमें छोड़ चुके हैं। और अब पंकज धीर भी। यह खोना मेरे लिए बहुत बड़ा सदमा है। जो खालीपन महसूस हो रहा है, उसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है।
'वह डायनामिक, प्रभावशाली और सरल थे'
वह एक सच्चे जेंटलमैन थे। उनका बोलने का अंदाज, उनकी ऊर्जा और चारों ओर उनका असर, ऑन-स्क्रीन जितना ही ऑफ-स्क्रीन भी दिखाई देता था। महाभारत में कर्ण का किरदार निभाते हुए भी उनकी अपनी अलग छवि हमेशा सामने रहती थी। वह डायनामिक, प्रभावशाली और सरल थे। उन्होंने कर्ण के किरदार को न केवल विश्वसनीय बनाया, बल्कि उसे अविस्मरणीय भी बना दिया।
फिल्म इंडस्ट्री में पंकज धीर का सफर आसान नहीं था। उन्होंने नरेंद्र बेदी की पहली फिल्म में असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में काम किया। उस समय उन्हें केवल 300 रुपये प्रति माह मिलते थे। उनके पिता भी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े थे, लेकिन पंकज धीर ने अपने दम पर संघर्ष किया। कई मुश्किलों और छोटे-मोटे कामों के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। फिर महाभारत आया। इसने उनके करियर और जीवन दोनों को बदल दिया। कर्ण का किरदार निभाने से उन्हें न केवल पहचान मिली, बल्कि उनके अभिनय और समर्पण की वजह से उन्हें सफलता के नए आयाम भी हासिल हुए।
'उन्हें खोना मेरे लिए बहुत बड़ा सदमा है'
मैंने पहले सोचा था कि मैं कर्ण या अर्जुन का रोल निभाऊँगा, लेकिन किस्मत ने भिष्म का किरदार लिखा। और फिर पंकज धीर कर्ण बने। यह मेरे लिए बिल्कुल सही तालमेल था। हमारे बीच रिश्ता केवल काम तक सीमित नहीं था। यह सम्मान, विश्वास और गहरी मित्रता पर आधारित था। समय के साथ, महाभारत के कई साथी...गुफी पैंटल (शकुनी), प्रवीण कुमार (भीम) हमें छोड़ चुके हैं। और अब पंकज धीर भी। यह खोना मेरे लिए बहुत बड़ा सदमा है। जो खालीपन महसूस हो रहा है, उसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है।
'वह डायनामिक, प्रभावशाली और सरल थे'
वह एक सच्चे जेंटलमैन थे। उनका बोलने का अंदाज, उनकी ऊर्जा और चारों ओर उनका असर, ऑन-स्क्रीन जितना ही ऑफ-स्क्रीन भी दिखाई देता था। महाभारत में कर्ण का किरदार निभाते हुए भी उनकी अपनी अलग छवि हमेशा सामने रहती थी। वह डायनामिक, प्रभावशाली और सरल थे। उन्होंने कर्ण के किरदार को न केवल विश्वसनीय बनाया, बल्कि उसे अविस्मरणीय भी बना दिया।